क्या पंचक काल में तेरहवीं कर सकते हैं? जानें नियम

हिंदू धर्म में पंचक को शुभ नहीं माना जाता है। इस दौरान कोई भी शुभ और मांगलिक कार्य करने की मनाही होती है। अब ऐसे में सवाल है कि क्या पंचक काल में तेरहवी कर सकते हैं। आइए इस लेख में विस्तार से जानते हैं। 
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जून 2025 में पंचक 16 जून 2025, सोमवार को दोपहर 01:10 बजे से शुरू होकर 20 जून 2025, शुक्रवार को रात 09:45 बजे समाप्त होंगे। चूंकि यह पंचक सोमवार से शुरू हो चुका है। इसे राज पंचक कहा जा रहा है, जिसे कुछ कार्यों के लिए शुभ भी माना जाता है। लेकिन कुछ ऐसे काम भी हैं, जिसे करना शुभ नहीं माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, पंचक काल में किए गए कार्यों का प्रभाव पांच गुना बढ़ जाता है, चाहे वह शुभ हो या अशुभ। इसलिए इस समय में कुछ विशेष कार्यों को करने से बचने की सलाह दी जाती है। अब ऐसे में सवाल है क्या पंचक में तेरहवीं कर सकते हैं। आइए इसके बारे में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।

क्या पंचक काल में तेरहवीं करना शुभ है?

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पंचक काल को हिंदू धर्म में एक अशुभ समय माना जाता है, जिसमें कोई भी शुभ कार्य करने से बचने की सलाह दी जाती है। पंचक तब लगता है जब चंद्रमा, धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद और रेवती नक्षत्रों में से किसी एक में होता है। इस दौरान पड़ने वाले पांच दिनों की अवधि को शुभ नहीं माना जाता है। लेकिन कुछ ऐसे पंचक हैं, जिसे काम करने से उत्तम परिणाम मिल सकते हैं। तेरहवीं जिसे मृत्युभोज भी कहते हैं। किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद 13वें दिन किया जाने वाला एक महत्वपूर्ण संस्कार है। यह दिवंगत आत्मा की शांति और मुक्ति के लिए किया जाता है।

आपको बता दें, धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पंचक काल में तेरहवीं करना शुभ नहीं माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दौरान किए गए कार्य का नकारात्मक प्रभाव परिवार पर पड़ सकता है या मृतक की आत्मा को पूर्ण शांति नहीं मिलती है। कुछ मान्यताओं के अनुसार, पंचक में तेरहवीं करने से परिवार में किसी और की मृत्यु का खतरा भी बना रहता है। इसलिए अगर आप तेरहवीं कर रहे हैं तो अपने पंडित जी से जरूर जानकारी लें।

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अगर पंचक काल में तेरहवीं करना जरूरी हो जाए तो क्या करना चाहिए?

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अगर किसी कारणवश पंचक काल में तेरहवीं करनी पड़े, तो कुछ विशेष उपाय करने की सलाह दी जाती है ताकि पंचक के अशुभ प्रभाव को कम किया जा सके।

पंचक में अगर आप तेरहवीं कर रहे हैं तो आप पहले शांति पूजा करवाएं।
उसके बाद एक कुश का पुतला बनाकर उसका अंतिम संस्कार करना चाहिए। यह पंचक दोष को दूर करने के लिए शुभ माना जाता है।
आप तेरहवीं के बाद ब्राह्मणों भोज जरूर कराएं।

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नोट - अगर आप पंचक में तेरहवीं कर रहे हैं तो अपने पंडित जी से जरूर सलाह लें।

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Image Credit- HerZindagi

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