हनुमान जी की पूजा का सही समय क्या होता है?

हनुमान जी को प्रभु श्री राम के परम भक्तों में से माना जाता है और यदि आप उनकी पूजा सही समय और नियम के अनुसार करते हैं तो आपके घर में समृद्धि आने के साथ विशेष फलों की प्राप्ति भी होती है।

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हिंदू धर्म में सभी देवी-देवताओं की पूजा का विशेष महत्व है। यही नहीं पूजा-पाठ के अलग नियम भी बनाए गए हैं जिनका पालन आपके जीवन में समृद्धि लाता है। ऐसा माना जाता है कि सभी भगवानों की पूजा एक निश्चित समय पर करनी चाहिए जिससे पूजा का फल पूर्ण रूप से मिले।

यदि आप पूजा के लिए सही समय का पालन करते हैं तो आपके घर में खुशहाली आती है और समृद्धि के द्वार खुलते हैं। ऐसे ही हनुमान जी की पूजा का भी एक निश्चित समय निर्धारित किया गया है और इस समय ही की गई पूजा हनुमान जी को स्वीकार्य होती है। आइए ज्योतिर्विद पंडित रमेश भोजराज द्विवेदी जी से जानें इसके बारे में विस्तार से और हनुमान जी की पूजा सही समय पर करने से मिलने वाले शुभ फल के बारे में।

हनुमान जी की पूजा का सही समय क्या है?

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यदि हम ज्योतिष और पौराणिक कथाओं की मानें तो हनुमान जी की पूजा शाम के समय करना सबसे ज्यादा फलदायी होता है। ऐसा माना जाता है कि यदि आप संध्याकाल के बाद हनुमान जी की पूजा करते हैं तो इस पूजा का पूर्ण फल मिलता है।

ज्योतिष के अनुसार रात्रि 8 बजे के बाद घी का दीपक जलाकर हनुमान चालीसा या सुंदरकांड का पाठ करना चाहिए। यदि आप यह पूजा हनुमान जयंती के दिन इसी समय करती हैं, तो इसके विशेष फल मिलते हैं।

किसी अन्य दिन में भी जब भी आप हनुमान जी की पूजा करें तो इसी समय करें, जिससे आपको मानसिक शांति के साथ भगवान का पूर्ण आशीर्वाद भी मिलता है। यदि आपकी कुंडली में किसी भी ग्रह की स्थिति अनुकूल न हो, तो आप इस समय पूजा करें जिससे आपके ग्रह मजबूत होते हैं।

शाम के समय हनुमान जी की पूजा क्यों करनी चाहिए

रामायण के अनुसार, राम और रावण के बीच युद्ध के बाद विभीषण को भगवान हनुमान से गहरा स्नेह हो गया था और रावण की मृत्यु के बाद विभीषण ने हनुमान जी से लंका में ही विराजने का अनुरोध किया।

उस समय भगवान राम के समर्पित अनुयायी होने की वजह से भगवान हनुमान ने इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया, लेकिन विभीषण के बहुत अनुरोध के बाद हनुमान जी ने उनका आग्रह स्वीकार कर लिया और दिन के समय उन्होंने नियमित रूप से लंका जाने और शाम को अयोध्या वापस लौटने का वादा किया। ऐसा कहा जाता है कि जिस समय हनुमान जी अयोध्या में होते हैं उस समय की पूजा विशेष मानी जाती है। इसी वजह से हनुमान जी की पूजा शाम के समय ही करने का पूर्ण फल मिलता है।

दोपहर के समय हनुमान जी की पूजा क्यों नहीं करनी चाहिए

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हिंदू पौराणिक कथाओं में ऐसा माना जाता है कि दोपहर के समय भगवान हनुमान की पूजा करना फलदायी नहीं होता है। इसकी प्रचलित मान्यता के अनुसार, ऐसा कहा जाता है कि भगवान हनुमान विभीषण को दिए गए वादे के अनुसार दोपहर में आज भी विभीषण के देश लंका में विराजमान होते हैं और इस समय की गई पूजा हनुमान जी तक नहीं पहुंच पाती है। दरअसल, ये प्रथा सदियों से चली आ रही है और इसे आज भी सत्य माना जाता है। मान्यता है कि हनुमान जी आज भी जीवंत रूप में मौजूद हैं और उनकी पूजा सही तरीके से करने से भक्तों को समस्त पापों से मुक्ति मिलती है।

हनुमान जी की पूजा किस दिन करनी चाहिए

वैसे तो हनुमान जी की पूजा आप नियमित रूप से सही समय और विधि-विधान से कर सकते हैं, लेकिन यदि आप मंगलवार और शनिवार के दिन विशेष रूप से हनुमान जी की पूजा करते हैं, तो आपको समस्त कष्टों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष के द्वार खुलते हैं।

मंगलवार के दिन ही हनुमान जी का जन्म हुआ था, इसलिए इस दिन उनकी पूजा जरूर करनी चाहिए। वहीं, शनिवार के दिन हनुमान जी की पूजा करने से शनिदेव के दुष्प्रभाव से बचा जा सकता है। शनिदेव से जुड़ी पौराणिक कथा के अनुसार, इस दिन हनुमान जी का पूजन शनिवार को करना अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है।

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हनुमान जयंती के दिन हनुमान जी की पूजा का महत्व

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हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, केसरी और उनकी पत्नी अंजना भगवान शिव के परम भक्त थे और उन्होंने भगवान शिव जैसे शक्तिशाली पुत्र के लिए वायु के देवता पवन देव की पूजा की।

पवन देव ने उन्हें आशीर्वाद दिया और भगवान शिव स्वयं अंजना के गर्भ में आए, जिन्होंने भगवान के समान शक्तिशाली पुत्र को जन्म दिया। हनुमान जी को भगवान शिव के अवतार के रूप में पूजा जाता है और उनमें पवन देव की शक्ति समाहित है, इसलिए उन्हें पवन सुत के नाम से भी जाना जाता है।

हनुमान जयंती के दिन ही हनुमान जी का जन्म हुआ था, इसलिए इस दिन उनका पूजन विशेष रूप से करना चाहिए। इस साल हनुमान जयंती 23 अप्रैल को मनाई जाएगी और इस दिन यदि आप सही समय पर हनुमान जी का पूजन करेंगे, तो आपको सभी कष्टों से मुक्ति मिल सकती है।

हनुमान जी का पूजन हमेशा सही समय पर करना फलदायी होता है और इस पूजा का भक्तों को पूर्ण फल मिलता है।

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