सावन का पूरा महीना भगवान शिव की पूजा के लिए समर्पित होता है। इस अवधि में भक्तजन शिवलिंग पर जल चढ़ाते हैं, शिव जी की पूजा अर्चना करते हैं और घर या मंदिर में रुद्राभिषेक का आयोजन करते हैं। रुद्राभिषेक को अत्यंत पुण्य का अनुष्ठान माना जाता है और यदि इसका घर में आयोजन होता है तो पूरा वातावरण पवित्र हो जाता है। यही नहीं रुद्राभिषेक से घर पर सकारात्मक ऊर्जा आती है और सदैव खुशहाली बनी रहती है। ऐसे में आपको इसके सही नियमों के साथ इस बात की जानकारी भी होनी चाहिए कि रुद्राभिषेक करने का सही समय क्या होना चाहिए और दिन और रात को मिलाकर किस समय में भूलकर भी आपको इस अनुष्ठान का आयोजन नहीं करना चाहिए।
रुद्राभिषेक भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने का एक प्रभावी तरीका है, जिससे जीवन में सुख और शांति की प्राप्ति होती है। रुद्राभिषेक के दौरान, मंत्रों का उच्चारण और शिव जी की पूजा अर्चना करने से आत्मिक शांति और संतुष्टि मिलती है। आइए ज्योतिर्विद पंडित रमेश भोजराज द्विवेदी से जानें रुद्राभिषेक के नियमों और सही समय के बारे में।
सावन में रुद्राभिषेक करने के लिए सही समय क्या है?
- सावन या किसी भी महीने में यदि आप रुद्राभिषेक का आयोजन कर रही हैं, तो आपको इसके सही समय की जानकारी जरूर लेनी चाहिए। सावन माह में न केवल सोमवार, बल्कि अन्य दिन भी भगवान शिव की आराधना के लिए विशेष माने जाते हैं।
- इस दौरान सोमवार को सावन सोमवार के रूप में पूजा जाता है तो मंगलवार देवी पार्वती को समर्पित होता है और इस दिन मंगला गौरी व्रत किया जाता है। इसी तरह से सावन के किसी भी दिन में रुद्राभिषेक करना बहुत शुभ माना जाता है।
- यदि हम शुभ समय की बात करें तो रुद्राभिषेक के लिए सबसे शुभ समय ब्रह्म मुहूर्त को माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि ब्रह्म मुहूर्त में रुद्राभिषेक करने से सभी देवताओं की ऊर्जा का फल एक साथ मिलता है।
- वहीं यदि आप इस समय में रुद्राभिषेक नहीं कर पा रही हैं तो सूर्योदय के बाद कभी भी इसका आयोजन किया जा सकता है। आपको कोशिश करनी चाहिए कि सूर्योदय से दोपहर के समय तक के समय में ही रुद्राभिषेक करें या फिर इसे प्रदोष काल में यानी सूर्यास्त से डेढ़ घंटे पहले के समय में भी किया जा सकता है।
- इसके साथ ही आप दिन के अमृत काल में भी रुद्राभिषेक कर सकती हैं, जिससे इसके पूर्ण फल प्राप्त हो सकते हैं। यदि हम रात के समय की बात करें तो आप रात्रि के समय भी रुद्राभिषेक कर सकती हैं। यही नहीं इस अनुष्ठान के लिए निशिता काल भी बहुत शुभ माना जाता है।
किस समय रुद्राभिषेक नहीं करना चाहिए?
- जिस तरह से रुद्राभिषेक के लिए एक शुभ समय माना गया है, उसी तरह से आपको दिन और रात के कुछ विशेष समय में इस अनुष्ठान के आयोजन से बचने की सलाह भी दी जाती है।
- आपको भूलकर भी राहुकाल में रुद्राभिषेक नहीं करना चाहिए। राहुकाल में किसी भी तरह का पूजन करने से अशुभ फल प्राप्त होते हैं।
- इसके अलावा दोपहर के समय 12 से 3 बजे तक रुद्राभिषेक नहीं करना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि दोपहर का समय सभी देवताओं के विश्राम का समय होता है, इसी वजह से इस समय कोई भी पूजा -पाठ न करने की सलाह दी जाती है।
सावन में रुद्राभिषेक के लिए सबसे शुभ दिन कौन से होते हैं?
आइए तो ज्योतिष की मानें तो सावन में रुद्राभिषेक के लिए सभी दिन विशेष माने जाते हैं, लेकिन यदि आप सावन के किसी भी सोमवार, नागपंचमी, तीज, सावन शिवरात्रि, कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा, अष्टमी, अमावस्या और शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को घर पर रुद्राभिषेक का आयोजन करें तो ये विशेष रूप से फलदायी माना जाता है।
इनमें से किसी भी दिन इस अनुष्ठान को करने से शुभ फल मिलते हैं। वहीं यदि हम रुद्राभिषेक के लिए सबसे शुभ स्थान की बात करें तो किसी भी ज्योतिर्लिंग में रुद्राभिषेक करना सबसे ज्यादा फलदायी माना जाता है, इसके अलावा मंदिर में भी इसका आयोजन शुभ होता है। वहीं यदि आप घर पर इसका आयोजन कर रही हैं, तो उस स्थान की पवित्रता को बनाए रखना जरूरी माना जाता है।
यदि आप सावन में रुद्राभिषेक करें तो इसके समय का विशेष रूप से ध्यान रखें जिससे इसके पूर्ण फलों की प्राप्ति हो सके।
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