भारत की धार्मिक परंपराओं में भगवान जगन्नाथ का एक विशेष स्थान है। भगवान जगन्नाथ वैसे तो पुरी में विराजते हैं, लेकिन यह जगत में विराजतें हैं। इतना ही नहीं भगवान जगन्नाथ अकेले नहीं, बल्कि अपनी बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र के साथ विराजते हैं। इनकी प्रतिमा नीम की लकड़ी से बनीं हुई है। इसलिए दब नव कलेवर अनुष्ठान होते है तो इसमें हर 12 या 19 साल में पूरे विधि-विधान के साथ बदली जाती है।
अब ऐसे में क्या आप जानते हैं कि भगवान जगन्नाथ के अंगों के दर्शन मात्र से ही अगर किसी जातक की कुंडली में स्थित नवग्रह दोष है तो उससे छुटकारा मिल सकता है। आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से भगवान जगन्नाथ के सभी अंगों और उनका नवग्रहों से संबंध के बारे में जानते हैं।
भगवान जगन्नाथ के नेत्र दर्शन से दूर होगा सूर्य और चंद्रदोष
भगवान जगन्नथ की विशाल और सुंदर आंखें उनकी पहचान हैं। इन आंखों को ब्रह्मांड का प्रतीक माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, सूर्य और चंद्रमा ग्रहों का प्रतिनिधित्व करते हैं। भगवान जगन्नाथ के नेत्रों के दर्शन करने से सूर्य और चंद्रमा से संबंधित दोष शांत होते हैं। यह मन की शांति और एकाग्रता प्रदान करता है, जिससे नकारात्मक विचारों का प्रभाव कम होता है।
भगवान जगन्नाथ के हाथ के दर्शन से दूर होगा मंगल और बुधदोष
भगवान जगन्नाथ के हाथ ऊपर की ओर उठे हुए हैं, जो आशीर्वाद और अभय मुद्रा का प्रतीक है। इन हाथों के दर्शन से मंगल और बुध ग्रह से संबंधित दोषों से मुक्ति मिलती है। मंगल ऊर्जा और पराक्रम का ग्रह है, जबकि बुध बुद्धि और वाणी का। इनके दर्शन से व्यक्ति में आत्मविश्वास बढ़ता है और संचार कौशल में सुधार होता है।
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भगवान जगन्नाथ के चरण दर्शन से दूर होगा राहु-केतु दोष
भगवान जगन्नाथ के चरणों को पृथ्वी और कर्म का प्रतीक माना जाता है। इनके दर्शन करने से शनि और राहु-केतु के दोष दूर होते हैं। शनि न्याय और अनुशासन का ग्रह है, जबकि राहु-केतु छाया ग्रह हैं जो अप्रत्याशित घटनाओं और बाधाओं का कारण बनते हैं। भगवान के चरणों में नमन करने से कर्मों का फल शुभ होता है और जीवन में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं।
भगवान जगन्नाथ के नाभि दर्शन से दूर होगा गुरु और शुक्र दोष
भगवान जगन्नाथ की प्रतिमा में नाभि को ब्रह्मांड का केंद्र माना जाता है। यह गुरु और शुक्र ग्रह से संबंधित दोषों को दूर करने में सहायक है। गुरु ज्ञान, धन और संतान का ग्रह है, जबकि शुक्र प्रेम, सौंदर्य और भौतिक सुखों का। नाभि के दर्शन से व्यक्ति के जीवन में समृद्धि, सुख और सौभाग्य आता है।
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नोट - अगली बार जब आप पुरी जाएं, तो भगवान जगन्नाथ के इन दिव्य अंगों के दर्शन अवश्य करें और नवग्रह दोषों से मुक्ति पाकर अपने जीवन को सफल बनाएं।
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Image Credit- HerZindagi
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