आषाढ़ गुप्त नवरात्रि, जिसे चौमासा नवरात्रि भी कहा जाता है, हिंदू पंचांग के अनुसार आषाढ़ मास में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से आरंभ होकर नौ दिनों तक मनाई जाती है। यह वर्ष में चार नवरात्रि में से दूसरी नवरात्रि होती है। आषाढ़ गुप्त नवरात्रि का आरंभ 6 जुलाई हो चुका है और इसका समापन 14 जुलाई को होगा। आषाढ़ गुप्त नवरात्रि के दौरान, भक्त मां दुर्गा के इन दस रूपों की पूजा करते हैं और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। इस नवरात्रि में भी कलश स्थापना, व्रत, पूजा, पाठ और आरती का विधान होता है। भक्त मां दुर्गा को नौ दिनों तक भोग भी लगाते हैं। गुप्त नवरात्रि में अशोक के पेड़ की पूजा विधिवत रूप से करने का विधान है। आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।
आषाढ़ गुप्त नवरात्रि के दौरान अशोक के पेड़ की पूजा
आषाढ़ गुप्त नवरात्रि, जो कि आषाढ़ मास में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तक मनाई जाती है, देवी दुर्गा की उपासना का एक विशेष पर्व है। इस दौरान, न केवल देवी दुर्गा की पूजा की जाती है, बल्कि अशोक के पेड़ की पूजा का भी विशेष महत्व होता है। अशोक का पेड़ देवी लक्ष्मी और कामदेव का प्रिय माना जाता है। इस पेड़ को भगवान विष्णु का स्वरूप भी माना जाता है। इसलिए, गुप्त नवरात्रि के दौरान इसकी पूजा करने से देवी लक्ष्मी, कामदेव और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है। इतना ही नहीं, अशोक का पेड़ ग्रह राहु से जुड़ा हुआ माना जाता है। इस पेड़ की पूजा करने से राहु के अशुभ प्रभावों से बचा जा सकता है।
अशोक के पेड़ की पूजा कैसे करें?
- सबसे पहले, अशोक के पेड़ की जड़ों को साफ पानी से धो लें।
- एक लोटे में जल, दूध, घी, शहद और गुड़ मिलाकर अशोक के पेड़ की जड़ में अर्घ्य दें।
- पेड़ पर कलावा बांधें और फूल माला अर्पित करें।
- धूप-दीप जलाकर देवी लक्ष्मी, कामदेव और भगवान विष्णु की पूजा करें।
- एक दीप जलाकर अशोक के पेड़ के नीचे रखें और इसे रात भर जलने दें।
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- अशोक के पेड़ के नीचे बैठकर देवी दुर्गा के मंत्रों का जाप करें।
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अशोक के पेड़ की पूजा करने के दौरान मंत्र जाप
आषाढ़ गुप्त नवरात्रि के दौरान अशोक के पेड़ की पूजा करने के दौरान मां दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से लाभ हो सकता है। सिद्धि प्राप्ति के लिए आप नमः अशोक वृक्षायसर्व काम सिद्धायशुभ फल प्रदायकायनमः मंत्र का जाप कर सकते हैं।
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Image Credit- HerZindagi
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