Goddess Parvati: जानिए क्यों माता पार्वती ने लिया था छिन्नमस्ता अवतार

Goddess Parvati: छिन्नमस्ता माता को मां पार्वती का स्वरूप माना जाता हैं। मान्यता है कि इस रूप की उपासना करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। 

 
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Goddess Parvati Chinnamasta Avatar: हिंदू धर्म के अनुसार, देवी- देवताओं के कई स्वरूप हैं। छिन्नमस्ता माता को देवी पार्वती का स्वरूप माना जाता है। कई भक्त माता के इस स्वरूप की पूजा करते हैं ताकि उनके जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाएं और छिन्नमस्ता माता उनकी मनोकामनाओं को पूरा करें। चलिए जानते हैं कि पार्वती जी ने यह अवतार क्यों लिया था।

क्यों लिया था माता पार्वती ने छिन्नमस्ता अवतार?

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पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार मां पार्वती भ्रमण करने के लिए अपनी दो सहेलियां जया और विजया के साथ निकली। तभी उन्होंने मंदाकिनी नदी में स्नान करने की इच्छा प्रकट की लेकिन माता की दोनों सहेलियों ने कहा कि उन्हें भूख लगी है इसलिए वह भोजन करने के बाद स्नान करेंगी। इसके बाद पार्वती माता वह काफी लंबे समय तक स्नान करती रहीं और सहेलियों को वहीं रुकने के लिए कह दिया। बीच में कई बार जय विजया ने उन्हें रोका कि मां भूख लगी है, लेकिन माता पार्वती स्नान में मंत्रमुग्ध होने के साथ संसार में करुणा बरसा रही थी।

अंत में हारकर जया विजया ने कहा कि माता तो अपने शिशु की रक्षा करने और उसका पेट भरने के लिए अपना रक्त तक पिला देती है। मां आप तो इस पूरे संसार की पालक हो लेकिन हमारी भूख का आप कुछ नहीं कर रही हैं। उनकी इस बात को सुनकर मां पार्वती काफी क्रोधित हो जाती है और नदी से बाहर निकल आती है।

इसके बाद वह क्रोध में अपने ही सिर को काट देती हैं। ऐसे में उनके धड़ से रक्त की तीन धाराएं निकलती हैं। दो धाराएं जया-विजया के मुंह में जाती हैं और तीसरी धारा स्वयं मां पार्वती के मुख में आकर गिरती है।

पार्वती जी जब खुद का रक्त पी लेती हैं तो वह और अधिक क्रोधित हो जाती हैं। सभी देवी-देवता सोचते हैं कि माता काली का रूप लेकर पूरी सृष्टि का विनाश कर देंगी लेकिन भगवान शिव कबंध का रूप धारण करके आते हैं और देवी के प्रचंड स्वरूप को शांत करते हैं। उनके इस अवतार को ही छिन्नमस्ता अवतार कहा जाता है।इसे जरूर पढ़ें: Lord Shiva Temple: इस स्थान पर होती है शिवलिंग की रात में पूजा, जानें रोचक कथा

छिन्नमस्ता माता का स्वरूप कैसा होता है?

छिन्नमस्ता माता को माता पार्वती का ही स्वरूप माना जाता है जो कि काफी उग्र रूप में रहती हैं। छिन्नमस्ता माता के एक हाथ में स्वयं का ही कटा हुआ सिर रखा होता है। मान्यताओं के अनुसार, छिन्नमस्ता माता की विधिपूर्वक पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

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image credit- freepik

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