why women can not perform shradh in hindi

क्या महिलाएं कर सकती हैं श्राद्ध? जानें पिंडदान की विधि

पितृपक्ष पितरों के लिए मोक्ष का मार्ग माने जाते हैं। पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह की पूर्णिमा तिथि से लेकर आश्विन माह की अमावस्या तिथि तक सोलह दिन तक श्राद्ध कर्म किये जाते हैं।  
Editorial
Updated:- 2023-09-22, 13:46 IST

Pind Daan Ka Sahi Tarika: हिन्दू धर्म में पितृपक्ष का बहुत महत्व माना जाता है। पितृपक्ष पितरों के लिए मोक्ष का मार्ग माने जाते हैं।

पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह की पूर्णिमा तिथि से लेकर आश्विन माह की अमावस्या तिथि तक सोलह दिन तक श्राद्ध कर्म किये जाते हैं। 

मान्यता है कि पितृपक्ष में श्राद्ध कर्म, तर्पण एवं पिंडदान करने से पितरों को श्रापित योनियों से मुक्ति मिलती है और उनकी कृपा होती है। 

शास्त्रों में पुरुषों द्वारा ही तर्पण-पिंडदान आदि करने का विधान है। वहीं, आजकल महिलाएं भी ये सब विधि-विधानों का पालन करती हैं। 

ऐसे में ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से आइये जानते हैं कि महिलाओं द्वारा पिंडदान करना क्या सही है और कैसे करना चाहिए पिंडदान। 

क्या महिलाएं कर सकती हैं पिंडदान?

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  • गरुड़ पुराण में यह उल्लेख मिलता है कि अगर किसी व्यक्ति के पुत्र नहीं तो तब घर की महिलाएं श्राद्ध कर्म और पिंडदान कर सकती हैं।
  • इसके अलावा, अगर श्राद्ध कर्म या पिंडदान के समय घर का पुत्र (बेटे ही क्यों करते हैं अंतिम संस्कार) वहां मौजूद नहीं है तब भी महिलाओं को पिंडदान करने का अधिकार है। 

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किस महिला ने किया था सबसे पहले पिंडदान?

  • पौराणिक कथा के अनुसार, सबसे पहल मात सीता ने पिंडदान किया था। श्री राम और लक्ष्मण पिता दशरथ के श्राद्ध की सामग्री लेने गए थे।
  • मगर किसी कारणवश उन्हें लौटने में देरी हो गई तब माता सीता ने पूर्ण विधि-विधना के साथ महाराज दशरथ का श्राद्ध कर्म संपन्न किया था।  

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क्या है पिंडदान की संपूर्ण विधि? 

kya mahilae shradh kar sakti hain

  • सबसे पहले पिंडदान या श्राद्ध कर्म करते समय सफेद वस्त्र धारण करें। फिर जौ के आटे (आटे का दीपक जलाने के लाभ) से पिंड बनाएं। जौ नहीं है तो खोये से भी बना सकते हैं। 
  • इसके बाद चावल, कच्चा सूत, फूल, चंदन, मिठाई, फल, अगरबत्ती, तिल, जौ और दही से पिंड का पूजन करें। पितरों की मन से आरधना करें।
  • फिर पितरों को मोक्ष प्राप्त हो इसकी कामना करते हुए पिंड को जल में प्रवाहित कर दें। ध्यान रहे श्राद्ध दोपहर के समय करेंगे तो शुभ रहेगा।   

 

अगर आप भी पितृपक्ष के दौरान पिंडदान करना चाहती हैं तो यहां इस लेख में दी गैजानकारी के माध्यम से पिंडदान करने की संपूर्ण विधि के बारे में जान सकती हैं। इससे आपके द्वारा किया गया श्राद्ध कर्म पितरों को लगेगा भी और किसी प्रकार का दोष भी उत्पन्न नहीं होगा। अगर हमारी स्टोरीज से जुड़े आपके कुछ सवाल हैं, तो वो आप हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।

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