महिला का शरीर उम्र के हर पड़ाव के साथ-साथ अलग-अलग बदलावों से गुजरता हुआ मेनोपॉज तक पहुंचता है, इस समय पीरियड साइकल बंद हो जाता है। मेनोपॉज फीमेल बायोलॉजिकल क्लॉक का अहम पड़ाव होता है, जहां एक निश्चित समय पर हर महिला को पहुंचना होता है। लेकिन इन दिनों कई ऐसे मामले सामने आ रहे हैं जहां समय से पहले ही महिलाओं को मेनोपॉज का सामना करना पड़ रहा है।
आमतौर पर महिलाओं में मेनोपॉज40 से 55 वर्ष की उम्र के बीच होता है, जब पीरियड बंद होने के साथ ही महिला में गर्भधारण और प्रजनन क्षमता खत्म हो जाती है। वहीं आजकल कई महिलाओ को इस समय-सीमा से बहुत पहले ही मेनोपॉज का सामना करना पड़़ रहा है। हमने इस विषय पर जानी मानी हेल्थ एक्सपर्ट डॉ. सोहिनी सेनगुप्ता से बात की और उनसे प्रीमैच्योर मेनोपॉज, इसके चलते होने वाले दुष्प्रभाव और इससे बचाव के बारे जाना। यही जानकारी इस आर्टिकल के माध्यम से यहां हम आपसे शेयर कर रहे हैं।
क्या है प्रीमैच्योर मेनोपॉज (What is premature or early menopause)
डॉ. सोहिनी सेनगुप्ता बताती हैं कि वैसे तो प्रीमैच्योर मेनोपॉज की कोई एक निश्चित समय-सीमा नहीं होती, लेकिन अगर 40 की उम्र में पहुंचने से पहले ही किसी महिला को पीरियड्स आने में दिक्कत होने लगे तो ये अर्ली मेनोपॉज की स्थिति है। वहीं 45 की उम्र से पहले पीरियड्स बंद होना मेडिकल टर्म में प्रीमैच्योर मेनोपॉज कहलाएगा।
डॉ. सोहिनी सेनगुप्ता के अनुसार, लगभग 12 प्रतिशत महिलाओं को 45 वर्ष की आयु से पहले मेनोपॉजका अनुभव होता है। वहीं अगर हम सर्जरी और कैंसर के उपचार के कारण होने वाले समय से पहले के मेनोपॉजपर विचार करें तो यह प्रतिशत और अधिक हो सकता है। जहां कम आयु में ही अंडाशय की सामान्य कार्यप्रणाली धीमी हो जाती है, इसकी वजह से अंडाशय एस्ट्रोजन हार्मोन के सामान्य स्तर का उत्पादन करने में विफल हो जाते हैं और प्रीमैच्योर मेनोपॉज होती है। दरअसल, एक महिला के प्रजनन स्वास्थ्य के लिए उचित एस्ट्रोजन के स्तर को बनाए रखना महत्वपूर्ण है। इसकी गिरावट से अनियमित मासिक धर्म और प्रजनन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं, इसकी वजह से समय से पहले रजोनिवृत्ति हो सकती है।
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प्रीमैच्योर मेनोपॉज के लक्षण (Symptoms of premature menopause)
अब बात करें कि आखिर किसी महिला को कैसे पता चलेगा कि वह समय से पहले रजोनिवृत्ति का शिकार हो चुकी है। असल में शरीर में ऐसे कई सारे बदलाव होते हैं जो प्रीमैच्योर मेनोपॉज का संकेत देते हैं। इसका सबसे मुख्य लक्षण है मासिक धर्म में अनियमितता। जैसे, अगर पहले आपका पीरियड साइकल सही चल रहा था लेकिन अब वह अनियमित हो गया है। पीरियड देर से आने लगे हैं या रुक-रुक कर आ रहे हैं तो ये प्रीमैच्योर मेनोपॉज के शुरुआती संकेत हो सकते हैं। इसके अलावा योनि का सूखापन, यूरिन इंफेक्शन, पेशाब करने में दिक्कत या जलन होना भी समय से पहले रजोनिवृत्ति के लक्षण हो सकते हैं।
समय से पहले रजोनिवृत्ति के कारण (Causes Of Premature Menopause)
समय से पहले मेनोपॉज की वजह जेनेटिक से लेकर हार्मोनल प्रॉब्लम हो सकती हैं। जेनेटिक प्रॉब्लम में फ्रेजाइल एक्स सिंड्रोम, टर्नर सिंड्रोम और गैलेक्टोसेमिया से समय से पहले मेनोपॉज का कारण बन सकते हैं। ये सभी समस्याएं जेनेटिक होती हैं, जो एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी संचारित होती हैं। जैसे अगर आपकी मां, नानी या परिवार की दूसरी महिलाएं प्रीमैच्योर मेनोपॉज का सामना कर चुकी हैं तो आपके लिए ये रेड अलर्ट हो सकता है कि आपको भी समय से पहले रजोनिवृत्ति का सामना करना पड़ सकता है।
इंड्यूस्ड मेनोपॉज
वहीं, आजकल कई मामलों में इंड्यूस्ड मेनोपॉज, भी प्रीमैच्योर मेनोपॉज का कारण बनते हैं, जहां किसी गंभीर समस्या के चलते ओवरी या गर्भाशय निकाल दी जाती है। इसके अलावा कैंसर जैसी समस्याओं में रेडियोथेरेपी और कीमोथेरेपी की वजह से भी अर्ली मेनोपॉज हो सकता है।
धूम्रपान बन सकता है प्रीमैच्योर मेनोपॉज का कारण
अत्यधिक धूम्रपान भी प्रीमैच्योर मेनोपॉज का कारण बन सकता है।
प्रीमैच्योर मेनोपॉज के साइड इफेक्ट्स (Side effects of premature menopause)
प्रीमैच्योर मेनोपॉज का सबसे बड़ा असर मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ता है। ऐसे में समयपूर्व रजोनिवृत्ति की स्थिति में कुछ भावनात्मक परिवर्तन दिखाई देते हैं, जैसे बिना वजह चिड़चिड़ापन या मूड में बदलाव, ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई, सोने में परेशानी, भूलने की बीमारी जैसी समस्याएं।
प्रीमैच्योर मेनोपॉज में सावधानियां (Precautions for Women Facing Early Menopause)
प्रीमैच्योर मेनोपॉज के साइड इफेक्ट्स से बचने के लिए डॉ. सोहिनी सेनगुप्ता उचित खानपान और व्यवस्थित जीवन शैली के साथ जरूरी पोषण तत्वों के सेवन की सलाह देती हैं। जैसे कि कैल्शियम और विटामिन-डी सप्लीमेंट मेनोपॉजसे जुड़े ऑस्टियोपोरोसिस के बढ़ते जोखिम को कम करने में सहायक होते हैं। इसके अलावा प्रीमैच्योर मेनोपॉज की स्थिति में नियमित रूप से हेल्थ स्क्रीनिंग जरूरी होती है, ताकि हार्मोनल असुंतलन को ठीक करने के लिए उचित ट्रीटमेंट सही समय पर लिया जा सके।
प्रीमैच्योर मेनोपॉज का सामना करने के लिए महिलाओं में जागरूकता भी आवश्यक है। ऐसा इसलिए क्योंकि प्रीमैच्योर मेनोपॉज जैसी स्थिति को समय रहते समझ सकें और उचित उपचार ले सकें। यह आर्टिकल इसी उद्देश्य के साथ हर जिंदगी के रीडर्स के लिए लिखा गया है। ऐसे में अगर यह जानकारी आपको अच्छी लगी हो तो अपनी राय हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं। जानकारी से भरपूर लेख पढ़ने के लिए जुड़े रहिए आपकी अपनी वेबसाइट हर जिन्दगी के साथ।
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