अनियमित खान-पान और तनावपूर्ण जीवनशैली के कारण थायराइड की समस्या आजकल बेहद आम हो चुकी है। वहीं जानकारी के अभाव में भी बहुत सारे लोग इस समस्या से जूझते रहते हैं। ऐसे में थायराइड की समस्या के प्रति लोगों को जागरुक करने के लिए जनवरी का यह पूरा महीना थायराइड जागरूकता माह (Thyroid Awareness Month)के रूप में मनाया जा रहा है। इस दिशा में हमारा यह आर्टिकल भी छोटा सा प्रयास है, जिसमें हम प्रेग्नेंसी के दौरान होने वाली थायराइड की समस्या के बारे में बात कर रहे हैं।
देखा जाए तो प्रेग्नेंसी के नौ महीने, महिला और उसके गर्भ में पल रहे बच्चे के लिए बेहद नाजुक माने जाते हैं। इन दिनों में जरा सी भी लापरवाही नुकसानदेह हो सकती है, खासकर अगर प्रेग्नेंट महिला को पहले से किसी तरह की शारीरिक समस्या है तो उसके लिए और परेशानियां बढ़ जाती हैं। जैसे कि प्रेग्नेंसी में थायराइड की समस्या (Thyroid Problem During Pregnancy) महिला और उसके गर्भ में पल रहे बच्चे की सेहत के लिए काफी हद तक खतरा भी पैदा करता है।
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ऐसे में प्रेग्नेंसी में जिन महिलाओं को थायराइड की समस्या है, उन्हें कुछ बातों का विशेष ख्याल रखना चाहिए। इस आर्टिकल में हम आपको इसी बारे में बता रहे हैं कि किस तरह से प्रेग्नेंसी के दौरान थायराइड की समस्या के प्रभावों पर नियंत्रण पाया जा सकता है। दरअसल, हमने इस बारे में लखनऊ मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर सतीश कुमार से बात की और उनसे मिली जानकारी (Dos and Don'ts of Having Thyroid) यहां आपके साथ शेयर कर रहे हैं।
हमारे हेल्थ एक्सपर्ट डॉक्टर सतीश कुमार कहते हैं कि प्रेग्नेंसी के दौरान होने वाले हार्मोनल बदलाव के कारण ज्यादातर महिलाओं को थायराइड की समस्या पेश आती है। इसलिए प्रेग्नेंसी के दौरान डॉक्टर थायराइड की जांच जरूर करवाते हैं। वहीं अगर महिला को पहले से ही थायराइड की समस्या है तो भी उसे प्रेग्नेंसी के दौरान नियमित रूप से जांच करानी चाहिए, ताकि उसी अनुसार थायराइड की दवा और उचित इलाज किया जा सके।
थायराइड की समस्या गलत खानपान के कारण ट्रिगर होती है, ऐसे में आपको खान-पान का विशेष ध्यान रखना चाहिए। जैसे कि अगर आपको हाइपरथायरायडिज्म की समस्या है तो आपको भोजन में नमक का कम से कम सेवन करना चाहिए। साथ ही ऐसी सब्जियों और फलों का सेवन करना चाहिए जिससे थायराइड नियंत्रित रह सके। वहीं हाइपोथायरायडिज्म की समस्या से पीड़ित महिला को आहार में आयोडाइज्ड नमक और साबुत अनाज को अधिक से अधिक शामिल करना चाहिए।
प्रेग्नेंसी में थायराइड को नियंत्रित रखने के लिए डॉक्टर दवा की सलाह देते हैं। ऐसे में डॉक्टर के निर्देशानुसार दवा की डोज लें और स्वयं से इसमें कोई बदलाव न करें, क्योंकि ऐसा करने से दवा का प्रभाव कम हो सकता है और इससे गर्भ में पल रहे बच्चे के शारीरिक और मानसिक विकास पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
अनियमित जीवनशैली भी थायराइड की एक मुख्य वजह है, ऐसे में इस पर नियंत्रण पाने के लिए योग का अभ्यास भी लाभकारी हो सकता है। इससे शरीर में थायराइड और दूसरे हार्मोंस को नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है। लेकिन इसके लिए भी आपको किसी योग विशेषज्ञ की सलाह जरूर लेनी चाहिए और उनके निदेश अनुसार ही बताए गए योग का अभ्यास करना चाहिए।
इन सब बातों के साथ ही सबसे जरूरी है कि आप कम से कम तनाव लें, क्योंकि अधिक तनाव भी थायराइड की समस्या को बढ़ा सकता है। इसके लिए आपको समझना कि प्रेग्नेंसी के दौरान थायराइड की समस्या आम बात है। इससे आपको घबराने की जरूरत नहीं है, बल्कि दवा के सेवन के साथ ही अपने आहार और जीवन शैली को संतुलित कर काफी हद तक थायराइड नियंत्रण पा सकती हैं।
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