ग्लूकोज चैलेंज टेस्ट एक प्रीनेटल टेस्ट है जो प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं का किया जाता है। यह टेस्ट महिला के शरीर में जेस्टेशनल डायबिटीज की जांच करने के लिए किया जाता है। जेस्टेशनल डायबिटीज, डायबिटीज का अल्पकालिक रूप है और यह प्रेग्नेंट महिलाओं में हो सकता है। यह लगभग 7% प्रेग्नेंट महिलाओं को प्रभावित करता है जो कि एक छोटी संख्या है। हालांकि, इस पर अंकुश लगाने और आवश्यक उपाय करने के लिए इसे जांचना जरूरी होता है। जब एक प्रेग्नेंट महिला का शरीर प्रेग्नेंसी के दौरान होने वाले इंसुलिन प्रतिरोध से निपटने के लिए इंसुलिन के उन्नत स्तर को हासिल करने में असमर्थ होता है, तो उसे जेस्टेशनल डायबिटीज होने की संभावना होती है।
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सामान्य रिकमनडेशन के अनुसार ग्लूकोज चैलेंज टेस्ट प्रेग्नेंसी के 24वें सप्ताह में या लगभग 28वें सप्ताह में या फिर तीसरे ट्राइमेस्टर की शुरुआत में किया जाता है। हालांकि, अब प्रेग्नेंट महिलाओं को यही सलाह दी जाती है कि वह पहले ट्राइमेस्टर में ही यह टेस्ट करवा लें। हाल में हुए इस डेवलमेंट को करने के पीछे उद्देश्य है कि प्रेग्नेंसी के 16वें सप्ताह में maternal glycemic level को प्रभावी ढंग से मापा जा सकता है। हालांकि, यदि इस समय टेस्ट नेगेटिव आता है तो इस टेस्ट को प्रेग्नेंसी के 24वें-28वें सप्ताह में दोबारा किया जा सकता है और अंतिम बार यह टेस्ट प्रेग्नेंसी के 32वें-34वें सप्ताह में किया जाता है। ग्लूकोज चैलेंज टेस्ट सभी प्रेग्नेंट महिलाओं के लिए एक अनिवार्य और सर्वभौमिक स्क्रीनिंग टेस्ट है।
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इस टेस्ट के नाम से ही समझा जा सकता है कि इसे प्रेग्नेंट महिला के शुगर लेवल को मापने के लिए किया जाता है। सटीक परिणाम प्राप्त करने लिए इस टेस्ट को करवाने वाली महिला को फास्टिंग करनी पड़ती है। टेस्टिंग सेंटर में महिला को 75 ग्राम ग्लूकोज मौखिक रूप से दिया जाता है, जिसके 2 घंटे बाद लैब तकनीशियन या डॉक्टर ब्लड सैंपल एकत्र करता है। फिर प्रेग्नेंट महिला के शरीर में ग्लूकोज के लेवल का अध्ययन किया जाता है और चिकित्सक इसके तहत ही आगे कोई सलाह देता है।(प्रेगनेंसी में क्यों होती है खुजली)
यह सुनिश्चित करना कि ग्लूकोज चैलेंज टेस्ट हर प्रेग्नेंट महिला करवाती है अभी भी मुश्किल है। ऐसे में निम्नलिखित स्थितियों में प्रेग्नेंट महिला को जेस्टेशनल डायबिटीज का खतरा हो सकता है:
● यदि महिला की उम्र 26 वर्ष से अधिक है
● यदि परिवार में डायबिटीज की कोई हिस्ट्री है
● अगर महिला का वजन अधिक है
● यदि महिला को पहले 4 किलोग्राम से अधिक वजन का बच्चा हुआ है
● अगर महिला को पीसओडी या पीसीओएस है
यह टेस्ट न केवल होने वाली मां के लिए बल्कि बच्चे के लिए भी आवश्यक है। यदि सही तरीके से या समय पर इलाज नहीं किया जाता है, तो नवजात शिशु को इससे होने वाली स्वास्थ्य समस्याएं होने की संभावना हो सकती है। नवजात शिशु के अच्छे स्वास्थ्य के लिए और मां की सुरक्षा के लिए, सभी प्रेग्नेंट महिलाओं को ग्लूकोज चैलेंज टेस्ट करवाने की सलाह दी जाती है।
एक्सपर्ट सलाह के लिए डॉ. शीला माने (एमडी, एफआईसीओजी, एफआईसीएमसीएच) का विशेष धन्यवाद।
Reference:
https://www.japi.org/august2006/DIPSI-622.htm
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