आज हमारी जीवनशैली ऐसी हो ली है कि हम अपने पर्यावरण और आहार के माध्यम से लगातार तरह-तरह के विषाक्त पदार्थों के संपर्क में आते हैं। ये विषाक्त पदार्थ समय के साथ हमारे शरीर में जमा होने लगते हैं। विषाक्त पदार्थों के सामान्य स्रोतों में पॉल्यूटेंट्स, कीटनाशक, सिंथेटिक रसायन और प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों में शामिल एडिटिव्स हैं। जब ये हमारे शरीर में प्रवेश करते हैं, तो वे हमारे अंगों और ऊतकों में जमा हो सकते हैं, जिससे सूजन, ऑक्सीडेटिव तनाव और सेलुलर डैमेज हो सकता है।
गलत खाने का प्रभाव हमारे शरीर पर बहुत ज्यादा पड़ता है। इसके कारण थकान और कई ऑटो इम्यून बीमारियां हो सकती हैं। इतना ही नहीं, शरीर में टॉक्सिन्स यदि काफी समय तक रहें, तो अन्य गंभीर स्थितियां और स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर सकते हैं। ऐसे में जरूरी है कि हमारे शरीर से ये टॉक्सिन्स समय-समय पर बाहर निकलें।
हालांकि, हमारे शरीर में मुख्य रूप से लिवर, गुर्दे, त्वचा, फेफड़े और पाचन तंत्र के माध्यम से विषाक्त पदार्थों बाहर निकाला जा सकता है। ये अंग शरीर को डिटॉक्सीफाई करने और आंतरिक संतुलन बनाए रखने के लिए मिलकर काम करते हैं।
मगर कई बार, हमारे शरीर की डिटॉक्सिफिकेशन की क्षमता खत्म हो जाती है, तो विषाक्त पदार्थ फैट सेल और अन्य ऊतकों में जमा हो सकते हैं, जिससे स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। जानी-मानी न्यूट्रिशनिस्ट अंजली मुखर्जी ने शरीर से टॉक्सिन्स निकालने का तरीका बताया है। आइए उनसे इसके बारे में विस्तार से जानें।
व्रत रखने के कई सारे स्वास्थ्य लाभ हैं। अंजली बताती हैं कि यह शरीर से टॉक्सिन्स रिलीज करने में भी मदद करता है। आइए एक्सपर्ट से जानें कि फास्टिंग आपके लिए कैसे उपयोगी हो सकती है-
फास्टिंग के कई बेनिफिट्स हैं और उनमें से एक है कि शरीर की डिटॉक्सिफाई करने की क्षमता को उत्तेजित करता है। जब हम उपवास करते हैं, तो हमारा शरीर ऊर्जा के प्राथमिक स्रोत के रूप में ग्लूकोज का उपयोग करने के बजाय फ्यूल के लिए फैट जलाता है। यह मेटबॉलिज्म बदलाव फैट सेल में स्टोर हुए विषाक्त पदार्थों को रिलीज करने के लिए ट्रिगर करता है, जिससे उन्हें कई मार्गों के माध्यम से शरीर से बाहर निकाला जा सकता है।
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समय के साथ, हमारे शरीर में पर्यावरण प्रदूषकों, प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों और तनाव सहित कई जगहों से विषाक्त पदार्थ इकट्ठा हो जाते हैं। उपवास रखने से शरीर को डिटॉक्सिफिकेशन करने और इन स्टोर्ड विषाक्त पदार्थों को खत्म करने का अवसर मिलता है। इससे हमारे अंगों पर बोझ कम होता है और स्वास्थ्य को बढ़ावा मिलता है।
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उपवास के दौरान, हमारा शरीर ऑटोफैगी नामक प्रक्रिया से गुजरता है, जहां क्षतिग्रस्त कोशिकाएं टूट जाती हैं और रिसाइकल हो जाती हैं। यह सेलुलर रिपेयर सिस्टम न केवल विषाक्त पदार्थों को हटाने में मदद करता है बल्कि स्वस्थ कोशिकाओं, टिश्यू और अंगों के पुनर्जनन को भी बढ़ावा देता है, जिससे स्वास्थ्य में सुधार हो सकता है।
फास्ट रखने से इंसुलिन प्रतिरोध को कम करने में मदद मिल सकती है। इतना ही नहीं, इससे इंसुलिन संवेदनशीलता में सुधार करके, ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रित करने और टाइप 2 मधुमेह के खतरे को कम करने में मदद मिल सकती है। इससे ब्लड प्रेशर भी कम हो सकता है और हाई ब्लड प्रेशर का खतरा कम हो सकता है, जिससे हृदय स्वास्थ्य को बढ़ावा मिलता है और हृदय रोगों का खतरा कम होता है।
ऐसा देखा गया है कि उपवास रखने से एलडीएल कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में मदद कर सकता है। यह एचडीएल कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ाता है, जिससे लिपिड प्रोफाइल में सुधार होता है और हृदय रोग का खतरा कम होता है।
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इसके अलावा नियमति रूप से एक्सरसाइज करें और एक्टिव रहने की कोशिश करें। अच्छी खाना खाने के साथ ही आपको अपने शरीर को एक्टिव रखने की भी खास जरूरत होती है। हमें उम्मीद है यह लेख आपको पसंद आया होगा। इसे लाइक और शेयर करें। ऐसे ही लेख पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी के साथ।
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