आंखें अनमोल होती हैं और इनका ख्याल रखना सभी के लिए जरूरी होता है। पर इन दिनों लाइफस्टाइल के बदलाव के कारण हमारी आंखें बहुत ज्यादा स्ट्रेस में रहती हैं। दिन-रात हम फोन और लैपटॉप की स्क्रीन के आगे बैठे रहते हैं। स्ट्रेस इतना बढ़ता जा रहा है कि अब सिर्फ आंखों का नंबर बढ़ने की बात नहीं रह गई बल्कि लोग ग्लूकोमा की ओर बढ़ते जा रहे हैं।
ग्लूकोमा (Glaucoma) एक ऐसी बीमारी है जिसमें आंखों की ऑप्टिक नर्व डैमेज होने लगती है। इस ऑप्टिक नर्व का सही रहना बहुत जरूरी है और अगर ऐसा नहीं हुआ तो हमारी आंखों की रोशनी भी जा सकती है। ये डैमेज आंखों पर पड़ने वाले बहुत हाई प्रेशर के कारण होता है और साथ ही साथ आपको बता दें कि ग्लूकोमा 60 की उम्र के ऊपर के लोगों में अंधेपन का अहम कारण भी होता है। पर इन दिनों कम उम्र के लोगों के साथ भी ये होने लगा है।
इसके बारे में जानने के लिए हमने डॉक्टर नीरज संदूजा (MS, FRCS(GLASGOW), FMRF, FICO (UK)) से बात की। डॉक्टर संदूजा फिलहाल विआन आई एंड रेटिना सेंटर में डायरेक्टर और सीनियर आई कंसल्टेंट हैं।
डॉक्टर संदूजा का कहना है कि ग्लूकोमा के कई प्रकार होते हैं और कई बार तो आपको कोई वार्निंग साइन भी नहीं दिखता है। तो चलिए इसके बारे में थोड़ी सी जानकारी ले लेते हैं।
इसे जरूर पढ़ें- 1 हफ्ते में आंखों की सूजन और झुर्रियों से पाएं छुटकारा, जानें कैसे
ग्लूकोमा के लक्षण और उपचार बहुत ही अलग होते हैं। ये इसपर निर्भर करते हैं कि आपको किस टाइप का ग्लूकोमा हुआ है, उदाहरण के तौर पर-
ओपन एंगल ग्लूकोमा (Open-Angle Glaucoma), क्रॉनिक एंगल ग्लूकोमा (Chronic Open-Angle Glaucoma (COAG)), प्राइमरी ओपन एंगल ग्लूकोमा (Primary Open-Angle Glaucoma), एक्यूट क्लोज्ड (Narrow-Angle Glaucoma)
ये सभी एक ही जैसी स्थिति पैदा करते हैं, लेकिन इनके प्रकार अलग हैं और इलाज भी थोड़ा अलग हो सकता है। हालांकि, एक सबसे खराब बात जो ग्लूकोमा के साथ होती है वो ये कि आपको पहले कोई भी साइन नहीं दिखेगा और जब तक आपको ये समझ आएगा तब तक बहुत ज्यादा विजन जा चुका होगा। पर अगर लक्षणों की बात करें तो इन्हें नोटिस किया जा सकता है-
इस तरह के ग्लूकोमा में बहुत ज्यादा दर्द होता है और इसके लक्षण बहुत जल्दी दिखने लगते हैं। जैसे,
इस तरह का ग्लूकोमा एक मेडिकल इमरजेंसी होगा और आपको अगर आपको ये हो रहा है तो ऑप्थेल्मोलॉजिस्ट या इमरजेंसी रूम में तुरंत जाएं। इस तरह के लक्षणों का मतलब है कि ऑप्टिक नर्व में डैमेज शुरू हो चुका है और अगर ये 6-12 घंटे में ट्रीट नहीं किया गया तो इससे बहुत ज्यादा विजन लॉस हो सकता है या फिर आपको पूरी तरह से ब्लाइंडनेस फील हो सकती है। आपको परमानेंट डाइलेटेड प्यूपिल की समस्या भी हो सकती है।
अगर इसका ट्रीटमेंट नहीं करवाया गया तो इससे अंधापन भी हो सकता है। ट्रीटमेंट के बाद भी करीब 15 प्रतिशत लोगों को अगले 20 सालों में किसी एक आंख में अंधेपन की शिकायत हो जाती है।
इसे जरूर पढ़ें- आंखों की देखभाल के 6 आसान तरीके जो बचा सकते हैं किसी भी बीमारी से
ये आमतौर पर बच्चों में दिखता है और ये बच्चा पैदा होने के बाद कुछ शुरुआती सालों में ही दिखने लगता है।
इस तरह के ग्लूकोमा के लक्षण इस बात पर निर्भर करते हैं कि आपकी आंखों पर प्रेशर किस वजह से पड़ रहा है। अगर आंखों में सूजन और जलन हो रही है तो लाइट के आस-पास गोल रिंग्स बनते हुए दिखेंगे और आपकी आंखें चौंधिया जाएंगी। ब्राइट लाइट देखने से आपकी आंखें और ज्यादा स्ट्रेस में आ जाएंगी।
देखिए पहली बात तो ग्लूकोमा में रोशनी लाने की जगह इसकी रोकथाम के बारे में सोचना चाहिए। ग्लूकोमा के बाद पूरी तरह से रोशनी कभी नहीं आती है, लेकिन अगर आपने आंखों का ध्यान रखा तो ये काफी हद तक अंधेपन से बचा सकती हैं। ग्लूकोमा के बाद सेल्फ केयर बहुत जरूरी है जिससे धीरे-धीरे विजन में इम्प्रूवमेंट हो सकता है।
1. रेगुलर डायलेटेड आई एग्जाम करवाएं- रेगुलर आई एग्जाम से ग्लूकोमा शुरुआती दौर में ही डिटेक्ट किया जा सकता है जिससे बहुत ज्यादा आई डैमेज रोका जा सके।
2. अगर आप 40 से कम हैं तो अपना आईएग्जाम हर 5 से 10 साल में करवाएं (यहां डायलेटेड आई एग्जाम की बात हो रही है, आंखों का नंबर चेक करवाने की नहीं), अगर आप 55 से 65 के बीच हैं तो हर तीन साल में ये करवाएं, अगर आप 65 के ऊपर हैं तो हर दो साल में ये एग्जाम करवाएं।
3. अपने परिवार की हेल्थ हिस्ट्री जरूर चेक कर लें। अगर आपकी फैमिली में किसी को ग्लूकोमा हुआ है तो आपके लिए रिस्क बहुत ज्यादा है और आपको फ्रीक्वेंट स्क्रीनिंग की जरूरत है।
4. डॉक्टर की बताई कुछ एक्सरसाइज आंखों का प्रेशर कम करने में मदद कर सकती हैं।
5. अपनी आंखों में हमेशा डॉक्टर द्वारा प्रिस्क्राइब की गई आई ड्रॉप्स ही डालें। ग्लूकोमा आई ड्रॉप आपके आई प्रेशर को काफी हद तक कम कर सकती हैं।
6. अगर आप टूल्स, हाई स्पीड स्पोर्ट्स, लेजर आदि कुछ भी करवा रहे हैं तो हमेशा आई प्रोटेक्शन पहनें। आंखों की चोट ग्लूकोमा के खतरे को और भी बढ़ा सकती है।
अगर आपको जरा भी लग रहा है कि आपको ग्लूकोमा हो सकता है तो पहले डॉक्टर से संपर्क करें। ऊपर बताए गए किसी भी लक्षण के दिखने पर आई एक्सपर्ट से मिलें। अगर आपको ये स्टोरी इन्फॉर्मेटिव लगी है तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से।
Image Credit: Freepik/ Shutterstock
यह विडियो भी देखें
Herzindagi video
हमारा उद्देश्य अपने आर्टिकल्स और सोशल मीडिया हैंडल्स के माध्यम से सही, सुरक्षित और विशेषज्ञ द्वारा वेरिफाइड जानकारी प्रदान करना है। यहां बताए गए उपाय, सलाह और बातें केवल सामान्य जानकारी के लिए हैं। किसी भी तरह के हेल्थ, ब्यूटी, लाइफ हैक्स या ज्योतिष से जुड़े सुझावों को आजमाने से पहले कृपया अपने विशेषज्ञ से परामर्श लें। किसी प्रतिक्रिया या शिकायत के लिए, [email protected] पर हमसे संपर्क करें।