सिगरेट पीने की है आदत तो जल्दी छोड़ दीजिए नहीं तो पैरों पर दिखाई देगा इसका बुरा असर

अगर आपको या आपकी फैमली में किसी को सिगरेट पीने की बुरी आदत है तो इससे कोसो दूर हो जाइएं नहीं तो आपके पैरों पर जल्द ही इसका बुरा असर दिखाई देगा।

disadvantage of  smoking

अगर आपको या आपकी फैमली में किसी को सिगरेट पीने की बुरी आदत है तो इससे कोसो दूर हो जाइएं नहीं तो आपके पैरों पर जल्द ही इसका बुरा असर दिखाई देगा। अगर आप सोचती हैं कि धूम्रपान से सिर्फ हमारे फेफड़ों को नुकसान पहुंचता है तो आप गलत हैं क्योंकि अभी हाल ही में हुई एक रिसर्च में सामने आया है कि सिगरेट के धुएं में पाए जाने वाले घटकों से हमारे पैरों की मांसपेशियों को बहुत ज्यादा नुकसान पहुंचता है

शोधकर्ताओं के अनुसार धूम्रपान पैर की मासपेशियों से रक्त शिराएं कम करके इन्हें सीधे तौर पर नुकसान पहुंचा सकता है। रक्त शिराएं कम होने से मांसपेशियों तक ऑक्सीजन और अन्य पोषक तत्व पर्याप्त मात्रा में नहीं पहुंच पाते हैं।

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Image Courtesy: Freepik

अमेरिका के कैलिफोर्निया-सैन डियागो विश्वविद्यालय में शोध के प्रमुख लेखक एलन ब्रीन ने कहा, "यह अत्यंत महत्वपूर्ण है कि हम लोगों को बताते हैं कि सिगरेट की तंबाकू से पूरे शरीर को नुकसान पहुंचता है। सिगरेट के धुएं के हानिकारक घटकों के कारण दैनिक जीवन में उपयोगी कई मांसपेशियों के समूहों को भी नुकसान पहुंचता है।

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जर्नल ऑफ फिजियोलॉजी' में प्रकाशित निष्कर्षो ने भी यही सार बताया है कि रक्त धमनियों के घटने से घटी ऑक्सीजन और अन्य पोषक तत्वों की संख्या से चयापचय और सक्रियता पर असर पड़ता है।

स्वस्थ दिमाग के लिए पैरों की कसरत जरूरी

एक रिसर्च से यह सामने आया है कि एक हेल्दी दिमाग के लिए पैरों की कसरत करना बहुत जरूरी होता है। रिसर्च के परिणामों से चिकित्सकों को नए संकेत मिले हैं कि मल्टीपल स्किलिरोसिस, स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी और दूसरी तंत्रिका तंत्र से जुड़ी बीमारियों में मरीजों के स्वास्थ्य में तेजी से गिरावट आती है। इसकी वजह इन बीमारियों के मरीजों में चलने की गतिविधि सीमित होना है।

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शारीरिक व्यायाम कम होने से शरीर को नई तंत्रिका कोशिकाओं के उत्पादन में दिक्कत होती है। यह तंत्रिका कोशिकाएं व्यक्ति को तनाव व जीवन की चुनौतियों से मुकाबले में मदद करती हैं।

इटली के मिलान विश्वविद्यालय की राफेला एडमी ने कहा, “हमारा शोध इस धारणा का समर्थन करता है कि जो लोग वजन उठाने वाले व्यायाम करने में असमर्थ हैं। बिस्तर पर पड़े मरीज, या लंबी यात्रा के अंतरिक्ष यात्री उनमें ना सिर्फ मांस पेशियों का भार घटता है बल्कि कोशिकीय स्तर पर उनके शरीर की केमिस्ट्री में बदलाव हो जाता है और यहां तक कि उनके तंत्रिका तंत्र पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।“

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