भारत में आयुर्वेद को बहुत ज्यादा पसंद किया जाता है। प्राचीन पद्धति से जुड़ी दवाओं न केवल देश के अंदर लोकप्रियता हासिल की है, बल्कि विदेशों में भी अपनी छाप छोड़ी है, ऐसा इसमें मौजूद जादुई उपचार गुणों के कारण होता है। इसके साथ ही एक नया क्रेज है जो आयुर्वेद में बहुत ज्यादा पसंद किया जा रहा है वह गिलोय है। इसे गुडुची के नाम से भी जाना जाता है। गिलोय एक ऐसी जड़ी बूटी है जिसने हाल ही में स्वास्थ्य समस्याओं से निपटने के लिए आयुर्वेदिक समाधान के रूप में आकर्षण प्राप्त किया है। हालांकि इस जड़ी बूटी का उपयोग सदियों से बीमारियों के इलाज के लिए किया जाता रहा है, लेकिन बेहतर तकनीक ने आयुर्वेद को एक औषधीय अभ्यास के रूप में देखा है, और इसके साथ, इसकी जागरूकता बढ़ गई है। गिलोय को व्यावसायिक रूप से कई रूपों में बेचा जाता है, जैसे कैप्सूल, पाउडर, या पेस्ट। हालांकि, खपत का सबसे फेमस रूप जूस है। गिलोय का जूस जड़ी-बूटी का सबसे व्यावसायिक रूप से वितरित रूप है, और इसके कई स्वास्थ्य लाभों के साथ, लोग महसूस कर रहे हैं कि गिलोय कई विकट समस्याओं और बीमारियों को ठीक करने के लिए औषधि है।
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क्या सच में गिलोय इतना फायदेमंद है, इस बारे में विस्तार से जानने के लिए हर जिंदगी ने शालीमार बाग स्थित फोर्टिस हॉस्पिटल की डायटिशियन सिमरन सैनी से बात की तब उन्होंने हमें बताया, 'सच में गिलोय जिसे कुछ लोग गुदुची के नाम से भी जानते हैं, एक ऐसा हर्ब है जिससे आप नेचुरल तरीके से वायरल फीवर का इलाज कर सकती हैं। यह बॉडी को ठंडा रखता है जिससे बुखार कम करने में हेल्प मिलती है। यह फीवर के साथ-साथ कई रोगों से आपको दूर रखने में हेल्प करता है क्योंकि इससे आपकी इम्यूनिटी स्ट्रॉग होती है। गिलोय में कई तरह के गुण पाए जाते हैं। गिलोय एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होता है जो हमारी फ्री-रेडिकल्स से रक्षा करता है और इम्यूनिटी बढ़ाता है। इसके अलावा यह फैट बर्न करने में भी आपकी हेल्प करता है। गिलोय खाने से आप अपने फैट को भी तेजी से कम कर सकती हैं। गिलोय चूर्ण को त्रिफला चूर्ण के साथ मिलाकर सुबह शाम शहद के साथ लेने से फैट तेजी से कम होने लगता है।''
वेट लॉस के लिए गिलोय
आजकल लोग बढ़ते वजन से इतना ज्यादा परेशान हैं, खासतौर पर महिलाए पेट की चर्बी को कम करने के उपायों की तलाश में रहती हैं और अब सभी की नजर गिलोय जूस पर है। ऐसा इसलिए क्योंकि जूस इम्यूनिटी और मेटाबॉलिज्म को बढ़ावा देकर फैट बर्न करने की हेल्प के लिए जाना जाता है। सिमरन सैनी जी का कहना है कि ''अच्छी इम्यूनिटी वेट कंट्रोल में हेल्प करती है और बेहतर मेटाबॉलिज्म ज्यादा फैट को जलाने में हेल्प करता है। जूस बॉडी के एक्स्ट्रा फैट को दूर करके हाई ब्लड प्रेशर को कम करके डाइजेस्टिव सिस्टम में सुधार करने में हेल्प करता है। वजन बढ़ाने के लिए हाई ब्लड प्रेशर एक प्रमुख जोखिम कारक है। जड़ी-बूटी के औषधीय गुणों में से एक यह है कि इसका उपयोग एक एडाप्टोजेनिक पदार्थ के रूप में किया जाता है, जो बॉडी के स्ट्रेस मैनेज करने की क्षमता को बढ़ावा देता है। यह स्ट्रेस के प्रभावों को नियंत्रित करके और भूख को कंट्रोल करके वेट लॉस में मदद करता है। गिलोय का रस जिद्दी पेट की चर्बी से छुटकारा पाने के लिए एक उत्कृष्ट उपाय है।''
गिलोय के अन्य फायदे
- जड़ी-बूटी में एंटी-एजिंग गुण होते हैं जो झुर्रियों और काले धब्बों को कम करने में मदद करते हैं, जिससे आपको जवां और ग्लोइंग स्किन मिलती है।
- गिलोय का जूस हाई ब्लड शुगर लेवल को कम करता है, इस तरह ये डायबिटीज के ट्रीटमेंट में हेल्प करता है, विशेष रूप से टाइप 2 डायबिटीज।
- यह हर बुखार का इलाज करता है। गिलोय में नेचुरल एंटी-पायरेटिक होता है, जिससे यह हर तरह के बुखार को कम कर सकता है, खासतौर पर जो स्वाइन फ्लू, डेंगू, या मलेरिया जैसी कई खतरनाक स्थितियों के साथ आता है।
- इसमें मौजूद एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों के कारण, गिलोय का जूस श्वसन समस्याओं जैसे खांसी, सर्दी, या टॉन्सिलिटिस को दूर करने में हेल्प करता है।
- गिलोय की प्रकृति गर्म और खुश्क होती है। यह तीखा होने के कारण से पेट के कीड़ों को मारता है।
- स्वामी परमानंद प्राकृतिक चिकित्सालय (एसपीपीसी) के नेचुरोपैथी एक्सपर्ट प्रमोद बाजपाई ने लंग कैंसर से बचने के लिए सबसे अच्छी आयुर्वेदिक औषधि गिलोय बताई हैं। वायरस का सबसे बड़ा दुश्मन गिलोय इंफेक्शन को रोकने में मददगार होता है। यह सबसे अच्छा एंटीबायोटिक और इसकी जड़ों में मौजूद शक्तिशाली एंटी-ऑक्सीडेंट कैंसर की रोकथाम में हेल्प करता है।
- गिलोय शुगर के लिए एक रामबाण औषधि है। गिलोय की टहनी से दातुन करें। दातुन करते समय जो पानी मुंह में आए उसे बाहर ना निकालें बल्कि अंदर ही गटक ले जाएं। इसे आप अपनी दिनचर्या में शामिल कीजिये। इससे भी शुगर लेवल कंट्रोल में रहता है।

गिलोय का इस्तेमाल करने का तरीका
- घी के साथ गिलोय लेने से वात रोग नष्ट दूर होते है।
- गुड़ के साथ गिलोय का सेवन करने से कब्ज दूर होती है।
- खाण्ड के साथ गिलोय लेने से पित्त दोष दूर होता है।
- शहद के साथ गिलोय लेने से कफ की शिकायत दूर होती है।
- कैस्टर ऑयल के साथ गिलोय लेने से गैस की समस्या दूर होती है।
- सोंठ के साथ गिलोय लेने से अर्थराइटिस रोग ठीक होता है।
आयुर्वेदिक एक्सपर्ट बाजपेयी का कहना हैं कि ''गिलोय हरे रंग का होता है। यह एक प्रकार की बेल है जो बहुत लंबी होती है। इसके पत्ते पान के पत्तों के समान होते हैं। गिलोय खाने में तीखी होती है और इसकी प्रकृति गर्म होती है। गिलोय की 20 ग्राम मात्रा में सेवन करना चाहिए। गिलोय गुण में हल्की, चिकनी, प्रकृति में गर्म, मीठी, स्वाद में तीखी और कड़वी, खाने में टेस्टी, शक्ति तथा भूख को बढ़ाने वाली, वात-पित्त और कफ तीनों दोषों को दूर करने वाली, खून को साफ करने वाली, बुखार, पेचिश, खांसी, बवासीर, अर्थराइटिस, पथरी, आंखों, बालों और स्किन से जुड़ी समस्याओं को दूर करने वाली, पेट के रोग, डायबिटीज और टीबी रोग आदि को ठीक करने में फायदेमंद होता है। इसमें गिलोइन नामक कड़वा ग्लूकोसाइड, फैट अल्कोहल ग्लिस्टेराल, बर्बेरिन एल्केलाइड, अनेक प्रकार फैट अम्ल एवं उड़नशील तेल पाये जाते हैं। गिलोय की पत्तियों में कैल्शियम, प्रोटीन, फास्फोरस और तने में स्टार्च भी मिलता है। इसमें सोडियम सेलिसिलेट अधिक मात्रा में होने के कारण दर्द निवारक गुण पाये जाते हैं। यह क्षय रोग के बैक्टीरिया को बढ़ने से रोकता है। यह इंसुलिन की उत्पत्ति को बढ़ाकर ग्लूकोज का पाचन करने और रोग के इंफेक्शन को रोकने का काम करती है।''
अगर आप भी बीमारियों से बची रहना चाहती हैं तो आयुर्वेद के इस अमृत का सेवन आप भी कर सकती हैं।
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