Diabetes Plant: पारंपरिक चिकित्सक विभिन्न बीमारियों के इलाज के लिए विभिन्न प्रकार की जड़ी-बूटियों और पौधों का इस्तेमाल करते थे। हमारे पूर्वजों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले एक अच्छे पौधों में से एक आक को पौधा भी है। इसे 'क्राउन फ्लावर' के नाम से जाना जाता है।
आक के पत्ते एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होते हैं और इनमें एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं। इस पौधे का उपयोग कब्ज, दस्त, जोड़ों के दर्द, दांतों की समस्याओं और शरीर में ऐंठन के इलाज के लिए किया जाता था।
इस बात के प्रमाण मिले हैं कि आक के पत्तों का उपयोग डायबिटीज के इलाज के लिए किया जाता था। तो, डायबिटीज के लिए आक के पत्तों के क्या फायदे हैं? क्या आक डायबिटीज को उलट देता है? या क्या आक के पत्ते ब्लड शुगर स्पाइक्स को कंट्रोल करते हैं? आइए इस आर्टिकल के माध्यम से इस बारे में विस्तार से जानते हैं।
डायबिटीज से मुक्ति के फाउंडर, डॉक्टर प्रमोद त्रिपाठी ने इस विषय पर अपने विचार शेयर किए हैं। आइए देखें कि क्या आक के पत्ते वास्तव में ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने में मदद कर सकते हैं।
डॉ. त्रिपाठी कहते हैं, 'स्वर्णभस्म - एक आयुर्वेदिक दवा में कैलोट्रोपिस गिगेंटिया (आक) होता है और इसका उपयोग डायबिटीज मेलेटस के उपचार में किया जाता है।' उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि चूहों में आज तक केवल एक वैज्ञानिक अध्ययन किया गया है।
वैज्ञानिकों ने आक के पौधे की पत्तियों और फूलों से क्लोरोफॉर्म के अर्क का इस्तेमाल किया। अध्ययन से पता चला है कि अर्क इंसुलिन प्रेरित प्रतिरोध को रोकता है।
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डॉ. त्रिपाठी की राय यह है कि शरीर में आक के पौधों से आक के पत्ते या अर्क कैसे कार्य करते हैं, इसका सटीक तंत्र अभी भी अज्ञात है। उनका सुझाव है कि मानव शरीर पर पौधे के तंत्र और विषाक्त प्रभाव का अध्ययन करने के लिए और अधिक अध्ययन किए जाने चाहिए।
डॉ प्रमोद त्रिपाठी ने बताया, 'लगभग 12 हजार पौधों में एंटी-डायबिटीज गुण होने की सूचना मिली है। उसी जीनस के एक अन्य सदस्य - कैलोट्रोपिस (कैलोट्रोपिस प्रोसेरा) का रूट मेन्थॉल अर्क डायबिटीज न्यूरोपैथी में प्रभावी पाया गया है।
उनका सुझाव है कि डायटिबिटीज के रोगी शरीर में ब्लड शुगर को कम करने के लिए अपने भोजन में भिंडी, मेथी (बालों के लिए मेथी का तेल), जामुन (जावा बेर), करक्यूमिन, जिमनेमा, दालचीनी, लाल मिर्च, पवित्र तुलसी, शिलाजीत, अरुगुला और तेज पत्ते शामिल करें।
आपको यह जानकर दिलचस्पी होगी कि आक के पत्ते एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होते हैं और इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं। डॉ. प्रमोद त्रिपाठी ने कहा, 'इनका उपयोग रूमेटोइड अर्थराइटिस, ब्रोन्कियल अस्थमा और नर्वस संबंधी विकारों जैसी बीमारियों के इलाज में किया जाता है।'
उन्होंने आगे कहा, 'आक के पौधों की जड़ों का उपयोग भारतीय पारंपरिक चिकित्सा में कुष्ठ, एक्जिमा, अल्सर, दस्त, सिफलिस, एलिफेंटियासिस और खांसी के इलाज में किया जाता है। जड़ों के अल्कोहल अर्क में ज्वरनाशक और दर्दनाशक एक्टिविटी होती है।'
उन्होंने शेयर किया, 'पत्तियों और पौधे के दूधिया रस को गैस्ट्रिक जलन बताया गया था। इसका उपयोग गर्भपात (भारत में गर्भपात कानून) को प्रेरित करने के लिए किया जा सकता है। हालांकि, 'आक के पौधे में एंटी-अमीबिक, घाव भरने और लीवर-सुरक्षात्मक गुण पाए जाने की की सूचना भी है।'
डॉ प्रमोद त्रिपाठी का कहना है, 'आक के पत्तों का दूध जहरीला होता है। इसलिए, आपको इसे कच्चा नहीं खाना चाहिए और अपनी आंखों के संपर्क से बचना चाहिए। उन्होंने कहा, 'यह बच्चों, प्रेग्नेंट और ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली माताओं को नहीं दिया जाना चाहिए।'
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