हर महिला की ख्वाहिश होती है कि उसकी शादी हो वो अपने जीवनसाथी के साथ अच्छा समय बिताए। फिर अपनी आने वाली ग्रहस्थ जीवन को आगे बढ़ाए। मां का वो खास अहसास को महसूस करे। मैंने भी शादी के बाद मन में इसी इच्छा को उजागर किया था। मैं हमेशा से यही सोचती थी कि मेरी भी बेटी या बेटा होगा, जो मुझे मां कहकर पुकारे। फरवरी 2022 में शादी के बाद मेरी लाइफ में ऐसे हालात बने कि मैं टेंशन में रहने लगी। पति की बीमारी के कारण दौड़-भाग बढ़ गई। मुझे पता नहीं चला की मैं कब प्रेग्नेंट हो गई, हालांकि इसके शुरूआती दिन थे, लेकिन मैं खुद को संभाल नहीं पाई।
पति की नौकरी के चले जाने के कारण हमें बिहार से हैदराबाद जाना पड़ा। वहां जाकर पता चला की मेरा मिसकैरिज हो गया है। मैं फूट-फूटकर रोई। इस दर्द को मैं किसी के सामने बयां नहीं कर पाई। लेकिन जब मैंने इसके बारे में अपने पति को बताया तो उन्होंने मुझे शांत किया और हिम्मत दी। उन्होंने कहा कि आगे से हम दोनों मिलकर अपने आनेवाले बच्चे का ख्याल रखेंगे। बस उनकी इस हिम्मत ने मुझे अहसास दिलाया कि अगर पार्टनर अच्छा हो तो आपकी सारी परेशानी दूर हो जाएगी। जिस चीज को आप चाहेंगी वो जरूर पूरी होगी। उस दिन से मेरा प्यार और सम्मान पति के लिए दोगुना हो गया।
ठीक एक साल बाद हमने फिर मां बनने का फैसला लिया। मैं मायके से अपने पति के पास आ गई। उनका कहना था कि वह मेरा ख्याल खुद रखना चाहते थे ताकि इस बार कोई दिक्कत न हो। इस बार मैं कोई रिस्क नहीं लेना चाहती थी, इसलिए मैं हमेशा डॉक्टर के संपर्क में रही। मई 2023 में मैं प्रेग्नेंट रह गई। करीब आठ महीने तक उन्होंने मेरा पूरा ख्याल रखा। वह हमेशा डॉक्टर के पास चेकअप के लिए ले जाते रहे। हर वह टेस्ट कराया, जिसे डॉक्टर ने सजेस्ट किया। हम खुशी-खुशी अपने बच्चे का इंतजार कर रहे थे।
बेटे को गोद में पाकर खुशी हुई दोगुनी
अब वह दिन आ ही गया, जिसका मुझे इंतजार था। 26 जनवरी को मैंने बेटे को जन्म दिया, लेकिन जन्म के बाद वह रोया नहीं। उसे NICU में एडमिट कराना पड़ा। मैं भगवान से यही प्रार्थना करती रही कि इस बार मेरी मां बनने की ख्वाहिश को पूरा कर दो। मैं करीब सात दिनों तक अपने बेटे को नहीं देखी थी। दर्द से कराहते हुए बेटे को गोद में लेना का मन किया करता था। आखिर भगवान ने मेरी सुन ली। मैं अपने बेटे को गोद में पाकर अभिभूत महसूस कर रही थी। गोद में बेटे की किलकारी सुनकर मुझे इतनी खुशी हुई जिसे में शब्दों में बंया नहीं कर सकती थी।
खुद का ध्यान रखना भी है जरूरी
आज ईशान करीब डेढ़ महीने का चुका है। उसके हंसने और रोने में अपने खुशी तलाशती हूं। मैं अपने आप को संपूर्ण मानती हूं। कहते हैं न कि बच्चे के सोने और उठने का कोई टाइम नहीं होता, लेकिन मैं उसे एक सही टाइमटेबल फॉलो कराती हूं, ताकि उसकी परवरिश बेहतर हो और मेरा स्वास्थ्य भी खराब न हो। घर के बाकी सदस्य भी उसके साथ टाइम स्पेंड करते हैं। उसे बढ़ते हुए देखना काफी खुशी देती है। मैंने अब सोच लिया है कि आगे की प्लानिंग अब 3-4 साल के अंतराल पर ही करूंगी।
बेहतर जीवनसाथी से सफर होता है आसान
इस पूरी जर्नी में मैंने एक ही चीज सीखी है एक अच्छा जीवनसाथी के मिल जाने से से सफर आसाना और खुशियोंभरा हो जाता है। जबतक वो मेरे साथ रहे मुझे किसी चीज की कोई दिक्कत नहीं हुई। हर चीज आसानी से हो गई। मुझे किसी के साथ की अब कोई जरूरत नहीं। पति और बच्चा ही जीवन की खुशियों की वजह बन गए हैं।
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