हिंदू धर्म में सभी भगवानों की पूजा करने का विधान है। जिसमें से सबसे प्रमुख हैं भगवान श्री गणेश। गणेश जी को प्रथम पूजनीय भी माना जाता है और उनकी सबसे पहले पूजा अर्चना की जाती है। हिन्दुओं में ऐसा माना जाता है कि जो भगवान् गणपति की विधि विधान से पूजा अर्चना करता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं और समस्त पापों से मुक्ति मिलती है। लेकिन गणेश जी के कई प्रकारों में से एक हैं श्वेतार्क गणेश जी। ऐसा माना जाता है कि श्वेतार्क गणपति की पूजा करने से घर में सुख समृद्धि तो आती ही है और घर की शांति भी बनी रहती है।
दरअसल भगवान गणेश के अनेक रूपों में से एक चमत्कारी रूप है सफेद आंकड़े के गणेश। यही श्वेतार्क गणेश कहलाते हैं। प्राचीन मान्यताओं के अनुसार आंकड़े के गणेशजी की पूजा से धन, सुख-सौभाग्य, ऐश्वर्य और सफलता प्राप्त होती है। यदि श्वेतार्क गणेशजी की प्रतिमा तिजोरी में रखी जाए तो स्थाई लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। घर में रिद्धि-सिद्धि की कृपा बनी रहती है। हर काम में लाभ प्राप्त होता है। आइए अयोध्या के जाने माने पंडित राधे शरण पाण्डेय शास्त्री जी से जानें कि श्वेतार्क गणपति की पूजा करने से क्या लाभ होते हैं और इन्हें घर में रखना किस तरह से आपके जीवन को खुशहाली से भर सकता है।
पंडित जी बताते हैं कि शास्त्रों के अनुसार श्वेतार्क गणेशजी आंकड़े के पौधे की जड़ में प्रकट होते हैं। आंकड़े को आक का पौधा भी कहा जाता है। इस पौधे के फूलों को शिवलिंग पर भी अर्पित किया जाता है। आंकडे के पौधे की एक दुर्लभ प्रजाति है सफेद आंकड़ा। इसी सफेद आंकड़े की जड़ में श्वेतार्क गणपति की प्रतिकृति निर्मित होती है। इस पौधे की पहचान यह है कि इसके फूल सफेद होते हैं। किसी भी पौधे की जड़ में गणपति की प्रतिकृति बनने में कई वर्षों का समय लगता है। वैसे बाजार में पूजन सामग्रियों की दुकानों से श्वेतार्क गणेश आसानी से प्राप्त किए जा सकते हैं। सफेद आंकड़े की जड़ प्राप्त होने के बाद इसकी बाहरी परतों को कुछ दिनों तक पानी में भिगोया जाता है। जब सफेद आंकड़े की इस जड़ को पानी में से निकाला जाता है तो भगवान गणेश के शरीर की बनावट इसमें दिखाई देने लगती है। ऐसा माना जाता है कि इस तरह के गणपति का पूजन घर में अत्यंत फलदायी होता है और लोग इन्हें घर में स्थापित करके शुभ लाभ की प्राप्ति करते हैं।
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सफेद आंकड़े के हर पौधे की जड़ में गणेश जी की सूंड जैसा आकार रहता है। इसकी जड़ के तने में गणेशजी के शरीर, आस-पास की शाखाओं में भुजाएं और सूंड जैसी आकृति दिखाई देती है। कुछ पौधों की जड़ में बैठे हुए गणेश की मूर्ति जैसी भी दिखाई देती है। वैसे पुराने समय से कई पेड़-पौधों की पूजा की जाती रही है। इनमें पीपल, आंवला, वट वृक्ष मुख्य हैं। शास्त्रों के अनुसार बिल्व के वृक्ष में शिव का वास होता है और उसी प्रकार आंकड़े के पौधे में श्रीगणेश का वास होता है। वास्तव में आंकड़े की जड़ में दिखाई देने वाली श्रीगणेश की आकृतिइस बात का प्रमाण होती है। कार्यों में सफलता के लिए आंकड़े के गणेशजी की पूजा का विशेष महत्व बताया गया है। यह गणेशजी का प्राकृतिक व चमत्कारी स्वरूप है। मान्यता है कि जिस परिवार में आंकड़े के गणेश की रोज पूजा होती है, वहां दरिद्रता, रोग व परेशानियां का वास नहीं करती हैं। इस तरह की गणेश प्रतिमा की पूजा करने से सुख व सफलता के साथ ही भरपूर धन व वैभव प्राप्त होता है।
“ॐ पंचाकतम् ॐ अंतरिक्षाय स्वाहा”
से पूजन करें और इसके पश्चात इस मंत्र
“ॐ ह्रीं पूर्वदयां ॐ ह्रीं फट् स्वाहा”मंत्र से हवन कर 108 बार आहुति दें।
लाल कनेर के पुष्प, शहद तथा शुद्ध गाय के घी से आहुति देने का विधान है। इसके बाद गणपति कवच का तीन बार पाठ करें अथार्वशिर्ष का 11 पाठ करें ततपश्चात11 माला जप नीचे लिखे मंत्र का उच्चारण करें और प्रतिदिन कम से 1 माला का जाप करें। "ॐ गँ गणपतये नमः" का जप करें। अब “ॐ ह्रीं श्रीं मानसे सिद्धि करि ह्रीं नमः”मंत्र बोलते हुए लाल कनेर के पुष्पों को नदी या सरोवर में प्रवाहित कर दें।
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श्वेतार्क गणपति का आयुर्वेद में भी जिक्र किया गया है इसका प्रयोग चर्म रोगों, पाचन समस्याओं, पेट के रोगों, ट्यूमरों, जोड़ों के दर्द, घाव और दांत के दर्द को दूर करने में किया जाता है। इस पेड़ का दूध गंजापन दूर करने और बाल गिरने को रोकने वाला होता है। इसके फूल, छाल और जड़ दमे और खांसी को दूर करने वाले माने गए हैं। धार्मिक दृष्टि से श्वेत आक को कल्प वृक्ष की तरह वरदायक वृक्ष माना गया है। श्रद्धा पूर्वक नतमस्तक होकर इस पौधे से कुछ मांगने पर ये मांगने वाले की इच्छा पूरी करता है। ऐसी आस्था भी है कि इसकी जड़ को पुष्य नक्षत्र में विशेष विधिविधान के साथ जिस घर में स्थापित किया जाता है वहां स्थायी रूप से लक्ष्मी का वास बना रहता है और धन धान्य की कमी नहीं रहती है।
इस प्रकार श्वेतार्क गणपति को घर में रखना लाभकारी होता है और उनकी पूजा अर्चना करने से मनुष्य को कई शुभ फलों की प्राप्ति होती है। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें व इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ।
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