Hanuman Ji: हनुमान जी को उनके भक्त कई नामों से पुकारते हैं। हनुमान जी के हर नाम के पीछे एक रहस्य के साथ एक अनूठी कथा भी है। हमारे ज्योतिष एक्सपर्ट डॉ राधाकांत वत्स के अनुसार, तुलसीदास जी द्वारा लिखित हनुमान चालीसा में हनुमान जी के 12 नामों का वर्णन मिलता है। इन 12 नामों की न सिर्फ एक रोचक कथा है बल्कि हर नाम से जुड़ा एक मंत्र भी है जिसे नियमित जपने से व्यक्ति के सारे काज निर्विघ्न पूर्ण हो जाते हैं और उसके जीवन में शुभता एवं सफलता का आगमन होता है।
Hanuman Ji: हनुमान जी के इन 12 नामों में छिपा है आपकी बारह समस्याओं का हल
- Gaveshna Sharma
- Editorial
- Updated - 18 Nov 2022, 15:11 IST
1 हनुमान (Hanuman)
मंत्र: ॐ श्री हनुमते नमः।
कथा: एक बार जब हनुमान जी बाल अवस्था में सूर्य देव को फल समझकर खाने के लिए उनकी तरफ बढ़ने लगे तब इंद्र देव ने हनुमान जी को रोकने के लिए अपने वज्र से उन पर प्रहार किया था जिसके बाद व्रज के प्रहार से उनकी ठुड्डी टेड़ी हो गई थी। ठुड्डी को हनु कहा जाता है। तभी से उनका नाम हनुमान पड़ गया।
10 सीताशोकविनाशन (Sita Shoka Vinashana)
मंत्र: ॐ सीताशोकविनाशनाय नमः।
कथा: इस नाम की रोचक कथा यह है कि जब समुद्र को लांघ हनुमान जी माता सीता (माता सीता की बहनों की रोचक कथा) के पास पहुंचे थे तब उन्होंने छोटा सा आकार धर पेड़ की आड़ में खुद को छिपा लिया था। उन्होंने माता सीता को श्री राम से बिछड़ने के शोक में द्रवित देखा। जब माता सीता के समीप कोई भी रावण के रक्षाओं में से नहीं था तब समय का लाभ उठाते हुए उन्होंने माता सीता को अपना परिचय देते हुए खुद को राम दूत बताया जिसके बाद माता सीता का सारा शोक दूर हो गया। इसी वजह से हनुमान जी सीताशोकविनाशन कहलाए।
11 लक्ष्मण प्राणदाता (Lakshmana Prana Data)
मंत्र: ॐ लक्ष्मणप्राणदात्रे नमः।
कथा: रामायण के एक खंड में इस घटना का वर्णन मिलता है कि लक्ष्मण जी और मेघनाथ के युद्ध में जब मेघनाथ ने छल से लक्ष्मण जी को आहत कर मूर्छित कर दिया था तब हनुमान जी उनकी रक्षा हेतु संजीवनी बूटी लेकर आए थे जिससे लक्ष्मण जी की जान बचना संभव हो सकता था। इसलिए हनुमान जी को लक्ष्मण प्राणदाता के नाम से भी जाना जाता है।
12 दशग्रीवदर्पहा (Dashagriva Darpaha)
मंत्र: ॐ दशग्रीवस्य दर्पाय नमः।
कथा: दशग्रीव का मतलब होता है रावण और दर्पहा का अर्थ है घमंड तोड़ने वाला। ये तो समूचा जगत जानता है कि महाबली हनुमान ने किस प्रकार अनेकों बार रावण का अहंकार चूर चूर किया था। इसी कारण से उनका एक नाम दशग्रीवदर्पहा पड़ा।
तो ये थे हनुमान जी के चमत्कारी 12 नाम और उनके पीछे की कथा। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर जरूर शेयर करें और इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ। आपका इस बारे में क्या ख्याल है? हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।
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2 अंजनीसुत (AnjaniSuta)
मंत्र: ॐ अञ्जनी सुताय नमः।
कथा: हनुमान जी ने कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी को प्रदोषकाल में जन्म लिया था। इसी कारण से वह अंजनीसुत कहलाए।
3 वायुपुत्र (Vayu Putra)
मंत्र: ॐ वायुपुत्राय नमः।
कथा: बजरंगबली का जन्म वायु देव के आशीर्वाद से हुआ था और पवन देव उनके मानस पुत्र भी हैं। इसलिए हनुमान जी का एक नाम वायुपुत्र या पवन पुत्र भी है।
4 महाबल (Mahabala)
मंत्र: ॐ महाबलाय नमः।
कथा: हनुमान जी अत्यंत बलशाली हैं। ऐसा माना जाता है कि बालि, रावण (रावण ने क्यों रचा अपनी मृत्यु का षड्यंत्र), भीम, एरावत, इंद्र आदि सभी का बल मिलकर भी हनुमान जी के बल से इनकी तुलना संभव नहीं। हनुमान जी के बल के कारण ही स्वर्ण लंका क्षण भर में राख का ढेर बन गई थी। इसी कारण से हनुमान जी को महाबली भी कहा जाता है।
5 रामेष्ट (Rameshta)
मंत्र: ॐ रामेष्ठाय नमः।
कथा: हनुमान जी भगवान श्री राम के प्रिय माने जाते हैं। उनके रोम रोम में राम बसे हैं। राम काज में हनुमान जी का महत्वपूर्ण योगदान रहा था। इसी कारण से उनका एक नाम रामेष्ट भी पड़ा।
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6 फाल्गुनसखा (Phalguna Sakha)
मंत्र: ॐ फाल्गुण सखाय नमः।
कथा: हनुमान जी को अर्जुन का मित्र माना जाता है। इसके पीछे का तर्क यह है कि फाल्गुन का अर्थ होता है अर्जुन और सखा का अर्थ होता है मित्र। यानी कि वो जो अर्जुन के मित्र हैं। इसके अलावा, महाभारत और भगवद गीता दोनों ग्रंथों में इस बात का उल्लेख मिलता है कि हनुमान जी ने महाभारत युद्ध के दौरान अर्जुन के रथ पर स्थापित होकर उनकी रक्षा की थी।
7 पिंगाक्ष (Pingaksha)
मंत्र: ॐ पिंगाक्षाय नमः।
कथा: पिंगाक्ष का अर्थ होता है आंखों में हल्के लाल और पीले रंग की परत बनना। हनुमान जी के नेत्रों में भी ऐसी परत बनने का उल्लेख रामायण ग्रंथ में मिलता है। इसी कारण से हनुमान जी का एक नाम पिंगाक्ष भी है।
8 अमितविक्रम (Amita Vikrama)
मंत्र: ॐ अमितविक्रमाय नमः।
कथा: हनुमान जी का एक नाम अमितविक्रम भी है। अमित का अर्थ है अधिक और विक्रम का अर्थ होता है पराक्रमी। हनुमान जी भगवान शिव के अवतार माने जाते हैं। ऐसे में उनके अंदर अथाह बल होना स्वाभाविक है। हनुमान जी ने अपने बल से ऐसे अचंभित कर देने वाले कार्य किये हैं जो देवताओं के बल के भी बाहर है।
9 उदधिक्रमण (Udadhikramana)
मंत्र: ॐ उदधिक्रमणाय नमः।
कथा: उदधिक्रमण का मतलब होता है समुद्र को लांघने वाला। हनुमान जी ने सीता माता की खोज में समुद्र को लांघा था इसलिए उनका एक नाम उदधिक्रमण भी है।
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