
दिल्ली में इस समय बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए NO PUC–NO Fuel नियम लागू कर दिया गया है। इसके साथ ही GRAP-4 लागू होने के बाद स्कूलों और ऑफिसों को हाइब्रिड मोड में कर दिया गया है। इतना ही नहीं, दिल्ली में वाहनों के प्रवेश को लेकर भी सख्त नियम जारी किए गए हैं। इन नियमों के तहत सबसे अहम फैसला यह लिया गया है कि दिल्ली में केवल BS-6 मानक वाली गाड़ियां ही एंटर कर सकेंगी। अगर कोई वाहन BS-6 नहीं है, तो उसे दिल्ली में प्रवेश की अनुमति नहीं मिलेगी। हालांकि, जरूरी सामान लेकर आने वाले वाहनों को इस नियम में छूट दी गई है। ऐसे वाहन, भले ही BS-6 न हों, लेकिन आवश्यक सेवाओं और सप्लाई से जुड़े होने पर ही दिल्ली में प्रवेश कर पाएंगे। ऐसे में लोगों को समझ नहीं आ रहा है कि BS-3, BS4 और BS-6 वाली गाड़ियां कौन सी है? इनकी पहचान कैसे होगी, इसके बारे में हम विस्तार से जानकारी देंगे।
यह भारत में वाहनों के लिए तय किए गए स्टेज हैं, जिससे गाड़ियों के उत्सर्जन यानी खरीदने और चलाने के समय के बारे में पता लगता है। इसके साथ ही इन गाड़ियों के उत्सर्जन का पता भी इसी स्टेज से लगता है। पुरानी गाड़ियों में लगे इंजन प्रदूषण ज्यादा करते हैं। इसलिए, गाड़ियों के स्टेज के अनुसार उन्हें दिल्ली में चलाने की अनुमति मिलती है। GRAP-4 लागू होने के बाद इस नियम को फॉलो करना सख्त हो जाता है। BS का अर्थ भारत स्टेज है।
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इसमें वो गाड़ियां आती हैं, जो 2010 से पहले खरीदी गई थी। ऐसी गाड़ियों का प्रदूषण स्तर ज्यादा होता है, क्योंकि यह कई सालों से चलाई जा रही हैं। इन गाड़ियों में बेसिक इंजन टेक्नोलॉजी का भी यूज किया गया है। ऐसी गाड़ियां प्रदूषण के मानक में फिट नहीं बैठती, क्योंकि धुंआ ज्यादा करती है। प्रदूषण से बचने के जरूरी टिप्स आपको फॉलो करना चाहिए।
BS-3 वाली गाड़ियों को सबसे ज्यादा प्रदूषण फैलाने वाली माना जाता है। GRAP-4 के लागू होने के बाद ऐसी गाड़ियों पर बैन किया गया है।
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जो गाड़ी साल 2017 में शुरू हुई है। इनका प्रदूषण स्तर BS-3 से कम होता है। यानी BS-3 के मुकाबले प्रदूषण कम होता है। इसमें पहले से बेहतर इंजन लगाए जाते हैं। इन गाड़ियों में धुएं पर कुछ हद तक कंट्रोल रहता है। इस तरह की गाड़ियां माइलेज भी थोड़ा बेहतर होती हैं।

अब भारत में बनने और बिकने वाली सभी नई गाड़ियां BS-6 होती हैं। इसमें गाड़ियों को बनाने के लिए सबसे नया और सबसे सख्त उत्सर्जन मानक दिया गया है, जो अप्रैल 2020 में लागू किया गया है। इसमें गाड़ियों को धुएं पर सबसे ज्यादा कंट्रोल करने और आधुनिक इंजन टेक्नोलॉजी के लिए गाड़ी बनाने के मानक शामिल हैं।
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