विमेंस डे का दिन था और सुमन ने फैसला कर लिया था कि अब वह अपनी जिंदगी में किसी और को दखल नहीं देने देगी। आज सुमन ने अपनी शादी को लेकर वो फैसला कर लिया, जिसके बारे में किसी ने नहीं सोचा था। उसने अपने लिए एक नई दुनिया चुन ली थी। यह बात प्रांजल भी नहीं जानता था। प्रांजल का फोन आया और सुमन ने कुछ ऐसा कहा, जिससे उसके होश उड़ गए। सुमन ने बिना कुछ सोचे समझे शादी के लिए मना कर दिया। लड़की की तरफ से ना सुनकर प्रांजल के पैरों से जमीन ही खिसक गई थी। ना सुनते ही उसने सुमन से कहा, 'अच्छा, अब तुम मुझे ना करोगी? सारी तैयारियां हो गई हैं, फिर तुम मेरी नाक कटवाओगी, वैसे ही तुमसे शादी को लेकर लोग इतना सुना चुके हैं मुझे, ऊपर से तुम ऐसा करोगी' उसका गुस्सा उफान पर था और सुमन ने फोन काट दिया। सुमन को पता था अब उसके घर पर कॉल आने वाला है। कुछ एक रिश्तेदार पहले से ही घर पर आ गए थे और एकदम से सुमन के शादी से मना करने से बहुत कुछ हो सकता था। सुमन की मां का फोन बजा और फिर सब शांत....
उन्हें पता चल गया था कि सुमन ने शादी से मना कर दिया है। प्रांजल के परिवार वालों ने कहा कि वो घर आकर बात करेंगे, वो आए और फिर शुरू हुआ कलेश। प्रांजल की मां ने बोलना शुरू किया 'ये क्या तरीका है? हमारी बेइज्जती करवानी तो अभी से शुरू कर दी इस लड़की ने, मां-बाप कह रहे हैं कि शादी की तैयारियां करो और लड़की कह रही है कि शादी नहीं करनी। मेरे बेटे से ज्यादा कमाती है तो ज्यादा सिर चढ़ रही है, शक्ल देखी है इसकी, हम फिर भी इज्जत वाले हैं और इस काली मां के प्रसाद को अपने साथ लेकर जा रहे हैं, लेकिन इसे देखो..' वो बोले जा रही थी और ऐसा लग रहा था कि बस यहां सुमन की बेइज्जती करने आई हो।
'मां मुझे तो लगता है कोई दिक्कत है, इससे मैंने सैलरी स्लिप मांगी थी वो भी नहीं दी, पता नहीं ज्यादा कमाती भी है या यूं ही... इसके ऑफिस में पता करवाया था मैंने, वो बोल रहे थे प्रमोशन हुआ है, लेकिन इसे देखकर तो नहीं लगता कि प्रमोशन हुआ भी होगा।' प्रांजल ने कहा.. 'ऑफिस में पता लगवाया मतलब? आप मेरी जासूसी कर रहे हैं?', सुमन ने पूछा... 'तो और क्या करें... पता तो करना पड़ेगा ना कि जिस लड़की को लेकर आ रहे हैं उससे कुछ फायदा भी है या हम ऐसे ही अपने लड़के को बली चढ़ा रहे हैं...' प्रांजल की मां ने कहा और ऐसा लगा मानो ब्रह्मांड घूम गया। सुमन को समझ नहीं आ रहा था कि ये लोग उससे शादी को लेकर बली जैसे शब्द का इस्तेमाल क्यों कर रहे हैं। सुमन इतनी परेशान पहले कभी नहीं हुई जितनी अभी हो रही थी। सुमन की आंखों में आंसू थे और उसने हिम्मत जुटाकर कहा, 'तब तो शादी तोड़ना अच्छा है ना, कम से कम आपका बेटा बली से बच गया...'
सुमन की ये बात सुनकर सभी चुप हो गए, 'देखिए कैसे बोल रही है... ऐसे ही संस्कार दिए थे आपने अपनी बेटी को... इसकी शादी टूट गई तो समाज में क्या थू-थू होगी जानते हैं?' प्रांजल की मां ने सुमन के पापा से कहा, और उन्होंने जो जवाब दिया उसके बारे में शायद किसी ने नहीं सोचा होगा। 'समाज का तो पता नहीं, लेकिन मुझे इसकी जरूर चिंता है कि अगर यह शादी हो गई, तो मेरी बेटी क्या कहेगी?' सुमन के पापा ने कहा। पहली बार उन्होंने समाज से दूर अपनी बेटी का साथ दिया था, उन्होंने कहा 'अगर मेरी बेटी शादी नहीं करना चाहती, तो वो नहीं करेगी'।
इतना होने के बाद भी सब सुमन की मां की तरफ देख रहे थे। उन्होंने उस दिन के बाद से सुमन से कुछ नहीं कहा था जिस दिन से उसने सवाल किया था कि क्या वो उसकी सगी मां हैं। 'आप देख रही हैं ये क्या हो रहा है? सुमन क्या कर रही है और आपके पति भी इसमें उसका साथ दे रहे हैं, जानती हैं बेटी की शादी टूट जाए तो लोग क्या-क्या बातें करते हैं, मेरा बेटा तो अभी भी उसे अपनाने को तैयार है, क्या आपने सुमन से कहा नहीं कि वो कम से कम आईना रोज देखे जिससे उसे समझ आ जाए कि क्या कर रही है वो?' प्रांजल की मां ने इतना कहा और सुमन की मां का गुस्सा फूट गया।
'क्या आपने कभी अपने बेटे को गौर से देखा है? नाटा, मोटा, लगभग गंजा और ये पान मसाले की बदबू... आप क्या सोच रही हैं कि बस उसका रंग थोड़ा सांवला है इसलिए मेरी बेटी गुणी नहीं है? आज आप मेरे सामने ये सब कुछ कह रही हैं, कल को शादी हो जाए तो आप अकेले में मेरी बेटी के साथ क्या करेंगी? और क्या कहा आपने, उसे आईना देखना चाहिए? मेरी बेटी रोज आईना देखती है और अपनी आंखों में इस समझौते वाली शादी का दुख देखती है, मेरी बेटी अब आपके घर नहीं जाएगी,' उन्होंने कहा और उनका गुस्से से लाल चेहरा देख सुमन और सोहम दोनों डर गए।
'मैंने समाज की बातों में आकर अपनी बेटी के साथ हमेशा से गलत किया है, वो इतनी अच्छी है और मैंने हमेशा उसके साथ खराब व्यवहार किया। आप जैसे लोग होते हैं जिनके कारण लड़की वाले अपनी लड़कियों के साथ गलत करते हैं। मैं भी उनमें से एक हूं, लेकिन गलती आपकी नहीं, मेरी है। आज महिला दिवस है और मैं अपनी बेटी के साथ हूं मैं। अगर आज भी मैं अपनी बेटी का साथ नहीं दे सकती, तो मेरी बेटी की नजरों में मेरी कभी इज्जत नहीं हो सकती। जो भी खर्च हुआ है, उसका हिसाब कर लेते हैं... हमने जितना पैसा आपको दिया है, उसे वापस कीजिए वरना मैं पुलिस के पास जाऊंगी। ये शादी नहीं होगी... ' मां को ऐसा बोलते देख सुमन को लगा कि उसकी सारी समस्याएं ही खत्म हो गई हैं। सुमन ने अपने जीवन में कभी भी अपने माता-पिता को इस तरह से अपना साथ देते हुए नहीं देखा था। आखिर मां-पापा होते किस लिए हैं?
'आप लोग इनसे निपटिए.. दीदी को ये सब देखने की जरूरत नहीं है...' सोहम ने सुमन से कहा और उसे बाहर ले गया। 'चलो आज मैं आपको आइसक्रीम खिलाता हूं...' सोहम ने कहा और दोनों आगे चल दिए। पिछले कुछ दिनों में सुमन ने यह समझ लिया था कि खुद के लिए जीना भी जरूरी है। अगर हम खुद से प्यार नहीं करेंगे, तो कोई हमसे प्यार नहीं करेगा। सुमन की हालत ऐसी थी मानो उसे अपने जीवन का सबसे बड़ा सुख मिल गया हो। सुमन और सोहम दोनों को ही अब आगे बढ़ना था।
किसी को भी समझौते वाली शादी नहीं करनी चाहिए। अगर जिंदगी में इज्जत नहीं है, तो कुछ भी अच्छा नहीं हो सकता।
समाप्त...
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