सुमन से जिस तरह से सैलरी स्लिप मांगी गई थी उसे समझ आ गया था कि यह सिर्फ पैसों की शादी है और लेन-देन के आगे और कुछ भी नहीं। सुमन ने अपनी सैलरी स्लिप दे दी और उस दिन की छुट्टी का नोटिस बॉस को दे दिया। सुमन की जिंदगी में बहुत ज्यादा उथल-पुथल चल रही थी फिर ऑफिस में शांति कैसे रह सकती थी। बॉस ने सुमन को कहा कि अगले ही दिन उसके काम का रिव्यू होगा। उसे यह साबित करना होगा कि जितना काम वो करती है, वह सही है या नहीं। उसे डिमोशन की धमकी भी दे डाली। सुमन को पता था कि अब आगे क्या होने वाला है, उसका बॉस नहीं चाहता कि वो प्रमोट हो और यही चक्रव्यूह बुना गया है उसके लिए। ऑफिस पॉलिटिक्स के बारे में हर कर्मचारी को पता होगा कि उसके कारण समस्या कितनी ज्यादा हो जाती है।
शगुन वाले दिन सुमन गुलाबी रंग की साड़ी पहन कर तैयार हो गई। अगर कोई पारखी नजर से देखे, तो सुमन वाकई बहुत सुंदर लग रही थी। रंग भेद हमारे देश में इतना ज्यादा है कि लोग यह नहीं समझ पाते कि वाकई इसके कारण किसी की जिंदगी खराब हो सकती है।
सुमन में कोई कमी नहीं है, लेकिन आज वो एक और समझौता करने जा रही है। लड़के वाले आए और सुमन को देखकर लड़के की मां ने कहा, 'चलो, आज कम से कम ठीक-ठाक दिख रही है, मेकअप सही किया है। रिश्तेदारों के सामने इज्जत बच जाएगी कि प्रांजल के लिए इतनी बुरी लड़की नहीं चुनी हमने।' सुमन को ऐसा लगा जैसे किसी ने लावा उसके कानों में घोल दिया हो। उसके मन में आया कि वो कहे इतनी ही ना पसंद हूं तो हां क्यों कर दी, लेकिन पिता जी की शक्ल देखकर चुप हो गई।
सुमन फिर भी चुप-चाप उनके पैर छूने के लिए झुक गई। उसे अभी जिंदगी भर यही सब सुनना है। प्रांजल आया, खादी का कुर्ता पहन कर, इस वक्त उसका पेट थोड़ा ज्यादा ही निकला हुआ दिख रहा था। फिर से पान मसाले की खुशबू से सराबोर। इस बार पान-मसाले के साथ धुएं की स्मेल भी आ रही थी। जी हां, प्रांजल स्मोक करके आया था। एक और समझौता सुमन ने अपने जिम्मे ले लिया। सुमन मान चुकी थी कि उसके जीवन में खुशियां नहीं आने वाली हैं।
'अरे लड़की तो बहुत काली है.. पता नहीं क्यों शादी कर रहे हैं...' जैसी कई बातें सुमन ने दिन भर सुनी। शायद लोग यह भूल गए थे कि सुमन भी इंसान है। जो दिन सुमन के लिए खुशी से भरा होना चाहिए था, उसमें सिर्फ ताने और कड़वे बोल ही सुने थे सुमन ने। लड़के वालों ने सुमन को शगुन में 1100 रुपये का लिफाफा दिया था और सुमन के घर वालों ने लड़के को पहले से ही 5000 रुपये का शगुन, फल, मिठाई, लड़के वालों के लिए कपड़े और ना जाने क्या-क्या दे दिया था। उन्हें बस इस बात की फिक्र थी कि बेटी विदा हो जाए, उन्हें इस बात से मतलब नहीं था कि बेटी की शादी करके वो लोग उसकी जिंदगी बर्बाद कर सकते हैं।
किसी तरह से ये दिन खत्म हुआ और सुमन ने ऑफिस में कल की तैयारी करनी शुरू कर दी। ऑफिस में क्या होगा पता नहीं। इतने में सोहम उसके पास आ गया, 'दीदी, मैंने हमेशा से लोगों से यही सुना है कि लड़कों को चुप नहीं रहना चाहिए, लेकिन मेरी मानो तो लड़कियों को भी चुप नहीं रहना चाहिए। जो हो रहा है सही नहीं हो रहा, लेकिन तुम कुछ नहीं बोल रही हो। अपनी जिंदगी के मालिक हम खुद होते हैं, अपनी जिंदगी की हिरोइन तो तुम बन ही सकती हो...' इतना कहकर सोहम एक लिफाफा देकर चला गया। लिफाफे में एक कागज पर लिखा था, 'कोशिश करने वालों की हार नहीं होती...' सुमन को लगा कि उसका भाई कितना बड़ा हो गया था। एक छोटी सी बात ने उसे कितना कुछ समझा दिया था।
सुमन को लगा जैसे उसके छोटे भाई की एक छोटी सी बात ने उसे दुनिया भर की ताकत दे दी है। सही तो है, सुमन के पास कोई अपना तो था जो उसके साथ खड़ा था। डूबते को तिनके का सहारा काफी होता है और यही हुआ सुमन के साथ भी। शादी के बारे में तो बाद में सोचा जाएगा, फिलहाल रिव्यू से निपटा जाए। सुमन ने सोचा और आगे बढ़ गई। सुबह होते ही सुमन ऑफिस के लिए तैयार हुई और इस बार अपने साथ बहुत सारी फाइलें, टेक्स्ट रिकॉर्ड ले गई। ऑफिस जाकर उसने प्रिंटर को काम पर लगाया और प्रिंट्स देने शुरू किए। इससे पहले कि सुमन का रिव्यू शुरू होता, वो सब कुछ लेकर सीधे चेयरमैन के पास पहुंच गई।
किस्मत से उस दिन उसका बॉस थोड़ा देर से आने वाला था। उसे पता था कि आज वो सुमन को डिमोट करके अपनी पसंदीदा कैंडिडेट को प्रमोशन के लिए रिकमेंड कर देगा। जब रिव्यू के लिए बैठे, तो सुमन कॉन्फिडेंट थी। उसके बॉस को थोड़ा शक हुआ, लेकिन उसने कहना शुरू किया,'सुमन तुम्हारी परफॉर्मेंस अच्छी नहीं रही है। तुम अपना काम समय पर नहीं करती हो और ये इतनी छुट्टियां कि बस। ये कोई तरीका है प्रोफेशनलिज्म का, पिछले दिनों में तुमने बस 2 ही हायरिंग की हैं। मेरे पास पूरा रिकॉर्ड है।' उसने कहा और फाइल खोली.. 'जी सर, आप अपनी फाइल खोलिए और मैं अपनी खोलती हूं...' सुमन ने कहा और अपना पुलिंदा टेबल पर रख दिया। इतने में खुद चेयरमैन सर वहां पहुंच गए।
'विवेक जी... मैंने सुना है आप रिव्यू कर रहे हैं। चलिए मैं भी इस रिव्यू का हिस्सा बनता हूं,' चेयरमैन ने सुमन के बॉस से कहा। वहां सुमन ने कहना शुरू किया, 'सर मैं पिछले दो सालों से लगातार अच्छा परफॉर्मेंस दे रही हूं, लेकिन मेरे सारे काम को आप अपना बताकर आगे बढ़ जाते हैं। मुझे लगता है कि मेरे हिसाब से मैंने बहुत अच्छा काम किया है। इतना ही नहीं, मैंने आपका भी काम किया है। मेरे पास आपके सारे मैसेज और मेल्स का रिकॉर्ड है। 8 घंटे की जगह 12-12 घंटे ऑफिस में मैं रही हूं, सिर्फ इसलिए कि आपका काम पूरा करना था। मेरे पास वो रिकॉर्ड्स भी हैं, जहां आपने मुझे धमकाया है। आपने मेरे काम को अच्छा ना बताकर सिर्फ अपना काम निकलवाया है और अब मेरा हक, मेरा प्रमोशन भी छीन रहे हैं।' सुमन के अंदर ना जाने कहां से इतनी हिम्मत आ गई थी कि उसने अपना सारा गुबार निकाल दिया।
विवेक जी हक्के-बक्के रह गए। 'विवेक जी, अब आपको कुछ कहना है?' चेयरमैन जी ने पूछा। 'अब आपकी परफॉर्मेंस का रिव्यू होगा और जहां तक सुमन का सवाल है, अब वह आपको नहीं, सीधे मुझे रिपोर्ट करेगी। आपका काम जब ये देख रही है, तो इसे ही प्रमोशन मिलना चाहिए।' इतना कहकर चेयरमैन जी चले गए। सुमन के प्रमोशन का प्रोसेस भी शुरू हो गया। आज सुमन खुलकर सांस ले रही थी। उसे अपनी जीत की खुशी थी।
ऑफिस की चुनौती को तो जीत लिया था, लेकिन अब सुमन के सामने और एक समस्या खड़ी थी। उसकी शादी की तारीख 1 महीने बाद की ही निकल गई थी। प्रमोशन की बात घर पर बता भी नहीं पाई और मां ने कहा, 'प्रांजल की मां का फोन आया था, तुम्हें चिरौंजी का उबटन लगाना है और तुम्हे केसर वाला दूध पीने को कहा है। तुम्हारा बच्चा जब भी होगा तब गोरा होगा इसके लिए अभी से तैयारी करनी है।' सुमन को यकीन नहीं हुआ कि उसकी मां खुद उससे ये कह रही है।
'मां... क्या आप मेरी सगी मां हैं?' सुमन ने पूछा और घर में सन्नाटा छा गया...
आगे क्या हुआ सुमन के साथ? जबरदस्ती की समझौते वाली शादी को लेकर सुमन ने क्या किया, जानिए कहानी के अगले भाग, समझौते वाली शादी- पार्ट 4 में।
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