लड़के वालों का फोन आते ही घर में एक अजीब सी शांति फैल जाती है। हर बार यही हाल, वो किसी ना किसी बात का बहाना बनाते है और सुमन को रिजेक्ट करके चले जाते हैं। पर सुमन को पता है कि कारण क्या है। इस बार कुछ अलग होने वाला है। इस बार लड़के वालों ने हां कर दी है। सुमन की मां के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई। 'आखिरकार तेरी शादी तय हो ही गई... लड़के वालों ने हां कर दी है और मिलने बुलाया है।' उन्होंने कहा और सुमन को लगा कि उसके जीवन का सबसे बड़ा समझौता उसके सामने आ गया है। उसने पापा की तरफ देखा और वो चुप थे। वो हमेशा से चुप ही तो थे। मां के आगे ज्यादा बोलते नहीं थे, पर सच ये है कि वो मां के लिए नहीं, बल्कि समाज के लिए बंधे थे। पापा के लिए सबसे बड़ी चीज थी समाज और उन्हें उसके आगे और कुछ नहीं दिखता था।
सुमन 31 साल की हो गई थी और समाज अब बातें बनाने लगा था। इसलिए पापा कुछ नहीं बोल रहे थे। बचपन से लेकर आज तक सुमन ने अपने माता-पिता से भी अपने काले रंग की दुहाई सुनी है। इसलिए तो उसे लगता है कि दुनिया वाले कुछ भी बोलें, घर वालों से लड़ना आसान नहीं होता। लड़के वालों के घर जाने की तैयारी होने लगी, पापा और मम्मी ने दुनिया भर की मिठाई के डिब्बे और शगुन के लिफाफे पैक कर लिए। फलों की टोकरी को इस तरह से सजाया गया जैसे भगवान को अर्पित की जा रही हो।
सुमन का मन नहीं कर रहा था कि ये लोग जाएं, लेकिन मां-पापा कहां सुनने वाले थे। वो लोग गए और सुबह से शाम हो गई। सुमन का छोटा भाई भी गया था और सुमन को इसकी खबर थी। सुमन का मन आज ऑफिस में नहीं लग रहा था। उसे डर था कि मां-पापा उसकी जिंदगी का फैसला बिना उससे पूछे करने वाले हैं।
शाम को जब तक वह घर पहुंची, घर का माहौल बदल चुका था। मां ने सुमन के आते ही उसके मुंह में मिठाई ठूंस दी, 'लो तय हो गई तुम्हारी शादी' उन्होंने कहा और सुमन को लगा कि मां ने छुरी चला दी हो। 'पर मां, मुझे नहीं करनी उस लड़के से शादी...' इतना उसने कहा और मां का रूप बदल गया। उन्हें इतना गुस्सा आया कि उन्होंने सुमन के चेहरे पर एक तमाचा मार दिया।
"नहीं करनी शादी, ऐसे कैसे नहीं करनी, तुझे पता भी है कि तेरी इस शादी के लिए हमने कितना इंतजार किया था। पर नहीं, तुझे तो हमारी नाक कटवानी है। एक तो लड़के वालों ने किसी तरह से शादी के लिए हां कर दी है, ऊपर से महारानी जी के नखरे ही खत्म नहीं होते हैं।' वो बड़बड़ाए जा रही थीं और सुमन की कोई सुन नहीं रहा था। पिता जी ने इस बार भी देखा और चुप हो गए। सुमन ने अपने कमरे में गई और रोने लगी। इतने में छोटा भाई सोहम आ गया। "दीदी, वो घर इतना अच्छा नहीं है, मैंने देखा उस लड़के को भी, वो बार-बार पान मसाला खा रहा था, तुम पिता जी से कहो... तुम्हारी शादी वहां ना हो,' उसने कहा और सुमन को गले लगा लिया। इतने लोगों में एक वही था जिसने सुमन को थोड़ा सुकून दिया था।
सुमन ने अपने पिता जी से बात करने के बारे में सोचा, उनके साथ सुबह वॉक पर गई और उसने कहा, 'पिता जी, मैं खुद कमाती हूं, मैं अपना ख्याल खुद रख सकती हूं, क्या आपको नही लगता कि इस शादी में आप लोग जल्दी कर रहे हैं, मुझे पता है कि यह शादी मेरे लिए समझौता होगी...' इतना कहते-कहते उसकी आंखों में आंसू आ गए। पिता जी ने उसकी तरफ देखा, उसके आंसू पोछे और कहा...'बेटा समाज का यही नियम है। समझौता तो सभी करते हैं, मेरी नौकरी ज्यादा थी, तो तेरी मां ने समझौता किया और एक काले इंसान से शादी कर ली। तेरी मां ने जीवन मेरे साथ काटा, मैंने समझौता किया क्योंकि मुझे पता था कि मुझे उससे अच्छी लड़की नहीं मिल सकती, इसलिए मैं हर वक्त उसकी बातें सुनता हूं।' पिता जी ने कहा।
'देख बेटा शादी तो करनी ही है ना, जिंदगी भर तुझे घर भी नहीं रख सकते हैं, समाज वाले दुनिया भर की बातें बनाएंगे... हमारे लिए तो यही जरूरी है कि हम तेरी खुशी देखें, लेकिन तू भी तो हमारी खुशी देख। मुझे हार्ट की समस्या है, क्या तू अपने पिता को ये खुशी भी नहीं देगी कि तेरा कन्यादान करके वो अपनी जिम्मेदारी से निवृत हो जाएं। तेरा भाई अभी कुछ कमाता नहीं है, उसकी जिम्मेदारी भी है... और फिर वो लोग तो तुझे शादी के बाद नौकरी भी करने देंगे, तू अपनी जिंदगी खुद अपने हिसाब से जिएगी। लड़का दिखने में थोड़ा अच्छा नहीं है, लेकिन बेटा धीरे-धीरे सब एडजस्ट हो जाता है।' पिता जी सुमन को समझाते जा रहे थे और ना जाने कितनी हिदायतें देते जा रहे थे।
सुमन सुन रही थी और उसे कुछ और समझ नहीं आ रहा था। पिता के लिए वो समझौता करने के लिए तैयार हो गई। दिन भर का काम करने के बाद रात होते ही अपने बिस्तर पर आकर लेटी, तो उसके फोन पर एक मैसेज आया था। 'मैं प्रांजल, तुम्हारा नंबर तुम्हारी मम्मी ने दिया है। ताकी हम आपस में बात कर लें।
हमारे घर वाले बहुत ओपन माइंडेड हैं इसलिए दिक्कत नहीं होती है। मैं कह रहा था, कि तुम अपनी सैलरी स्लिप भेज दोगी क्या? वो मम्मी को देखनी है, उन्होंने कहा है...' मैसेज में ये नहीं लिखा था कि सुमन कैसी हो... बस यह जानना था कि सुमन की सैलरी कितनी है। सुमन समझ गई थी कि शादी के लिए हां करने का कारण क्या था, उसकी सैलरी लड़के से बहुत ज्यादा थी। अपनी पूरी सैलरी उसे मम्मी के हाथ में देनी होगी यह भी सुमन को पता चल गया था।
अब दो दिन बाद वो लोग शगुन लेकर आने वाले थे, पर सुमन के लिए अभी एक और बड़ा झटका बाकी था।
क्या हुआ शगुन वाले दिन? क्यों सुमन को झटका लग गया? क्या यह शादी सुमन कर लेगी? जानने के लिए पढ़िए 'समझौते वाली शादी- भाग 3'।
इसे जरूर पढ़ें- सुमन का गहरा पक्का रंग उसकी शादी में अड़चन बन रहा था, 80 हजार सैलरी उठाने वाली लड़की के लिए एक ऐसा रिश्ता आया जिसे...
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों