samjhaute wali shadi heartbreaking story of a dark skinned women life part 1

    सुमन का गहरा पक्का रंग उसकी शादी में अड़चन बन रहा था, 80 हजार सैलरी उठाने वाली लड़की के लिए एक ऐसा रिश्ता आया जिसे...

    Shruti Dixit

    ऑफिस से थकी हारी सुमन बस का इंतजार कर रही थी। बस स्टॉप पर खड़े-खड़े थकान के कारण ही उसकी आंखें बंद होने लगी थीं। आज का दिन बहुत भारी था। सुमन एक कंपनी में बतौर एचआर काम करती थी। वह अपने काम में अच्छी थी, लेकिन उसकी एक कमी बाकी हर चीज पर भारी पड़ जाती थी। सुमन का रंग... हमारे देश में अगर आपका रंग पक्का है, तो आपकी उपलब्धियां थोड़ी फीकी पड़ जाती हैं। आपके लिए इतनी समस्याएं शुरू हो जाती हैं कि बताया नहीं जा सकता है। सुमन के साथ भी कुछ ऐसा ही था, काम अच्छा होने के बाद भी उसका प्रमोशन नहीं हो पाता था। दिन-रात मेहनत करने के बाद भी अगर ऐसा हो, तो बुरा तो लगेगा ही। ऐसा नहीं था कि सुमन के लिए सिर्फ ऑफिस ही परेशानी का कारण था, सबसे बड़ी समस्या थी उसका घर।

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    बस आई और सुमन अपना बैग लिए उसपर चढ़ गई। आज बस में थोड़ी ज्यादा ही भीड़ थी। सुमन को लग रहा था कि आज तो किसी तरह से बिस्तर मिल जाए। कंपनी ने इन दिनों हायरिंग का थोड़ा ज्यादा काम दे रखा था। घर से एक घंटे की दूरी पर ऑफिस था और आज सुमन इतना थक गई थी कि उसे घर पहुंचने की जल्दी थी। देर-सवेर उसे सीट मिल ही गई और उसे नींद भी आ गई। कंडक्टर ने उसे हिलाकर उठाया तब पता चला कि उसका स्टॉप तो निकल गया। फिर आगे जाकर उतरी और दूसरी बस लेकर किसी तरह से घर पहुंची। घर पर एक और तूफान था जो उसका रास्ता रोके खड़ा था।


    घर जाते ही सुमन को माता-पिता ने एक नई न्यूज दी। फिर से उसे रिश्ते वाले देखने आ रहे थे। सुमन के लिए यह किसी अग्नि परीक्षा से कम नहीं था। हर बार उसे लड़के रिजेक्ट करके जाते और सुमन को इसके लिए बहुत सुनना पड़ता। सुमन बहुत गुणी थी और घर और ऑफिस को बहुत अच्छे से संभाल लेती थी, लेकिन उसका रंग जैसे उसके लिए सबसे बड़ी समस्या बन गया था। लड़के वाले उसके रंग को लेकर ना जाने कैसे-कैसे कमेंट करते और फिर घर वाले भी उसे सुनाते।

    कल भी कुछ ऐसा ही होने वाला था। सुमन आज बहुत थकी थी, लेकिन उसे कल ऑफिस से छुट्टी लेने को कह दिया गया था। उसे हिदायत दे दी गई कि वो दुनिया भर के लेप लगाकर, अपने चेहरे को मेकअप से ढककर लोगों के सामने आए। अपनी पहचान बदल कर सुमन कुछ ऐसे दिखे जिससे उसकी शक्ल ही बदल जाए। पर कितनी भी फेयरनेस क्रीम्स लगा लीजिए जनाब ऐसा नहीं हो सकता। आपकी शक्ल नहीं बदल सकती है।

    खैर, सुमन ने छुट्टी की अर्जी डाली और बॉस का मेल भी आ गया। सुमन को लिखित वॉर्निंग दी गई थी कि उसके काम का रिव्यू किया जाएगा। अब बॉस को उसकी शक्ल खलने लगी थी। सुमन ने वो कड़वा घूंट भी पी लिया और फिर एक और मेहनत के लिए तैयार हो गई। लड़के वालों के आने का समय हो चला था। लड़के वाले घर के अंदर आए और सुमन ने लंबी सांस ली। साड़ी पहनकर सुमन तैयार हो गई थी, अगर कोई पारखी हो तो देखे कि वह कितनी खूबसूरत है और कितनी मेहनती, लेकिन लोगों को तो सिर्फ ऊपरी रंग दिखता है।

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    लड़के वाले बैठ गए और बातें शुरू हुईं। सुमन का छोटा भाई भी उनके साथ जाकर बैठ गया। मां-पापा तो आव भगत में ही लगे हुए थे। लड़का किसी ऑफिस में जूनियर अकाउंटेंट के पद पर है। उसकी हाइट भी सुमन के मामले में थोड़ी कम है और पेट बाहर निकला हुआ है। कोई दूर से देखे तो समझ जाए कि पान-मसाले का शौकीन है। सुमन को चाय लेकर आने को कहा गया। आज के जमाने में भी लड़कियों को ये सब करना ही पड़ता है। सुमन चाय लेकर पहुंची और लड़के की मां ने देखते ही मुंह बना लिया, 'तस्वीर में तो इतनी काली ... मेरा मतलब है पक्के रंग वाली नहीं दिख रही थी। मेरी एक बात मानिए बहन जी, फोटो की इतनी एडिटिंग मत करवाया करिए। लोगों को लग सकता है कि आप उन्हें धोखे में रखकर बुला रही हैं अपने घर। नाम बड़े और दर्शन छोटे... ऐसा नहीं होना चाहिए ना।' उन्होंने कहा और खुद ही हंस दीं, जैसे मजाक के बहाने ताना मार रही हों।

    काली शब्द सुनकर सुमन वैसे भी अपने कान खड़े कर लेती है। उसने बचपन से यही शब्द तो सुना है अपने लिए। 'अब आ ही गए हैं तो ... बच्चों को एक साथ बात करने देते हैं,' लड़के की मां ने ऐसे कहा जैसे वह एहसान कर रही हों। लड़का उठा और सुमन के साथ चला गया। 'मेरा नाम प्रांजल है... ' उसने कहा। 'मुझे ना घरेलू लड़िकयां अच्छी लगती हैं, खाने-पीने का शौक है और हां, मेरी शादी को लेकर कुछ उम्मीदें हैं.. आप कहें तो मैं बताऊं...' उसने कहा और बिना सुमन की मर्जी जाने बस अपनी बातें थोप दीं... 'जैसा मैंने बताया कि खाने का बहुत शौक है मुझे, तो मुझे मेड के हाथ का खाना अच्छा नहीं लगता, वो तो मेरी बीवी को ही बनाना पड़ेगा, मुझे आपके जॉब करने से कोई दिक्कत नहीं, मेरी पूरी इजाजत रहेगी, लेकिन सैलरी घर के खर्च में देनी होगी, ऐसा ना हो कि आप सैलरी अपने मेकअप वगैराह में खर्च करें... वैसे देखकर लगता तो नहीं कि ज्यादा मेकअप करती होगी, लेकिन फिर भी बताना सही रहता है।' उसने कहा और जैसे सुमन के मन में कोई कांटा चुभ गया। उसने खड़े-खड़े दो मिनट के अंदर सुमन की बेइज्जती कर दी थी।

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    सुमन ने उससे कुछ नहीं पूछा। 'मैं महीने के 40 हजार कमाता हूं वह हमारे खर्च के लिए काफी है और आपकी जितनी भी सैलरी है, वो मम्मी को दे सकते हैं, सेविंग्स के लिए...' उसने तो पूरा प्लान ही सेट कर लिया था। सुमन खुद 80 हजार महीना वेतन पाती थी। उसने कुछ नहीं कहा और उनके जाने का इंतजार किया। लगातार तानों को सुनने के बाद आखिरकार वो लोग चले गए। सुमन ने अपने माता-पिता से कहा कि उसे लड़का पसंद नहीं है... फिर क्या था, 'हां, तुम तो महारानी विक्टोरिया हो ना जिसे लड़का पसंद नहीं आएगा। इस साड़ी में कितनी काली लग रही हो, कम से कम कोई ऐसी पहनती जिसमें तुम अच्छी लगो, ऊपर से खुद कह रही है कि लड़का पसंद नहीं है। जीवन भर यहीं बैठे रहना है क्या हमारे सिर पर, एक बोझ कम हो सिर से तो आगे बढ़कर कुछ सोचें...' मां के ये शब्द सुनकर सुमन और टूट गई। यकीनन सुमन इंडिपेंडेंट थी, लेकिन उसे अभी भी बोझ ही समझा जा रहा था।

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    सुमन की सुंदरता देखना वाला शायद इस दुनिया में कोई था ही नहीं। उसके अपने माता-पिता भी उसके साथ ऐसा ही बर्ताव करते थे। सुमन को सारी बातें समझाई गईं कि कैसे शादी में समझौता करना होता है। उसे भी समझौते वाली शादी करनी थी..

    अगले दिन लड़के वालों का फोन आया और फिर...

    क्या कहा लड़के वालों ने? सुमन के साथ आगे क्या होने वाला था? क्या उसे फिर वही समझौते वाली शादी करनी थी? जानने के लिए पढ़िए 'समझौते वाली शादी-भाग 2'।