मेरी आंटी ने मुझे कल मौसमी और कुछ दूसरे फलों का जूस निकालकर दिया और पूछा कि "बेटा ये स्मूदी कैसी है? मैंने अभी बनाना सीखा है।"
अब मैं क्या कहूं। क्योंकि वो स्मूदी नहीं जूस था।
फिर मैंने हिचकती हुए कहा कि "आंटी ये स्मूदी नहीं जूस है।"
मेरा केवल इतना बोलना था कि आंटी सुनाने लगी। कहती हैं, "ज्यादा पढ़ा-लिखा लिया है तो सोचती है कि मुझे कुछ नहीं आता।"
फिर मैं इतना कहकर चुप हो गई कि "लेकिन आंटी वैसे ये है बहुत अच्छा। काफी अच्छा बनाया है।"
आंटी भी ये सुनकर खुश हो गई और मैं घर आ गई।
मैने घर आकर सोचा कि इसमें आंटी की क्या गलती है। बहुत से लोगों को नहीं मालुम चलता कि जूस और स्मूदी, दोनों अलग-अलग चीजें हैं और अलग-अलग तरीके से बनाईं जाती हैं।
जूस और स्मूदी में अंतर
- जूस और स्मूदी दोनों ही हेल्दी होते हैं केवल इनके बनाने का तरीका अलग-अलग होता है।
- जूस बनाने के लिए ताजे फलों और सब्जियों को जूसर में डालकर उनका रस निकाला जाता है।
- वहीँ स्मूथी ताजे फलों और सब्जियों को नट्स और डेयरी प्रोडक्ट के साथ मिलाकर मिक्सर या ब्लैंडर (blander) में डाल कर बनाया जाता है।
अगर आपका सवाल ये है कि दोनों में से ज्यादा हेल्दी और फायदेमंद क्या है? तो इसका कोई जवाब नहीं हो सकता। क्योंकि दोनों ही हेल्दी हैं।
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जूस के फायदे
- जूस सब्जियों का भी बनता है और फलों का भी।
- जूस शरीर की इम्युनिटी बढ़ाने में मदद करता है। दरअसल जूस में काफी मात्रा में विटामिन्स और खनिज-तत्व होते हैं जो शरीर को डिटॉक्स करते हैं।
- जूस के कारण हम वे सब्जियां भी खा पाते हैं जिनका स्वाद हमें खाने में नापसंद होता है।
- जूस आसानी से डायजेस्ट हो जाता है, जिसके कारण यह उन लोगों के लिए भी अच्छा है जिन्हें पाचन सम्बंधित समस्या है।
जिनको दूध पीने या दही खाने से प्रॉब्लम होती है वे स्मूदी बनाकर इन डेयरी प्रॉडक्ट्स को खा सकते हैं। स्मूटी वेट लॉस करने में भी मदद करता है। क्योंकि इसे पीने से काफी देर तक पेट भरा रहता है।
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