Heroine Supremacy: शाहरुख की फिल्मों में कितने स्ट्रॉन्ग हो रहे हैं फीमेल कैरेक्टर्स

क्या आपने कभी नोटिस किया है? शाहरुख खान की फिल्मों के फीमेल कैरेक्टर्स कुछ अलग ही कहानी कहते हैं। शाहरुख की फिल्मों के किरदार लगातार स्ट्रॉन्ग होते जा रहे हैं। 

 
Shahrukh movies and gender equality

अब माहौल कुछ ऐसा हो गया है जहां फीमेल कैरेक्टर्स फिल्मों में सिर्फ शो और ग्लैमर के लिए रह गए हैं। बड़े बैनर और बजट तले बनी फिल्मों को ले लीजिए तो हाउसफुल सीरीज, गोलमाल सीरीज, सलमान खान की फिल्में, अक्षय कुमार की देशभक्ति वाली फिल्में सभी में फीमेल कैरेक्टर्स का स्क्रीन टाइम और उनका रोल काफी कम होता जा रहा है। माचो छवि के साथ कहानी को कुछ ऐसे मोड़ा जाता है कि एक्ट्रेस के लिए फिल्म में करने को कुछ ज्यादा रह नहीं जाता। हां, यकीनन कई लोग मेरी इस बात से सहमत नहीं होंगे, लेकिन फिर भी मेरा लॉजिक समझने की कोशिश करिए।

एक फिल्म की कहानी में हिरोइन अगर सिर्फ लव इंटरेस्ट बनकर रह जाए, तो उसके कैरेक्टर के बारे में आप क्या कहेंगे? उसका काम सिर्फ फिल्म में कैरेक्टर डेवलप करना है, तो फिर फिल्म थोड़ी फीकी सी लगने लगती है। शाहरुख खान ने एक नियम भी बनाया है कि वो जिस भी फिल्म में एक्ट करेंगे उसमें लीडिंग एक्ट्रेस का नाम उनके नाम से पहले आएगा और क्रेडिट्स भी इसी तरह से दिए जाएंगे। शाहरुख की फिल्मों में एक्ट्रेस को स्क्रीन स्पेस भील भरपूर मिलती है।

अब हाल ही में जवान का प्रिव्यू (Jawan Prevue) आया है। उसके बारे में ही सोच लीजिए जहां शाहरुख के अलावा, तीन मेन फीमेल कैरेक्टर्स भी हैं। नयनतारा, सान्या मल्होत्रा और दीपिका पादुकोण। इस फिल्म में शाहरुख की अपनी लड़कियों की सेना है। ट्रेलर से ही समझ आ रहा है कि इस फिल्म में किस तरह से हमें स्ट्रॉन्ग फीमेल वर्कफोर्स मिलेगी।

अब यहां पर किंग खान की बात कुछ अलग है। धीरे-धीरे उनकी फिल्मों के फीमेल कैरेक्टर्स इवॉल्व हो रहे हैं।

चेन्नई एक्सप्रेस : मीनम्मा अपने लिए स्टैंड लेने वाली लड़की थी जिसने यह माना था कि उसे जिंदगी सिर्फ पिता की पसंद के लड़के से शादी करके नहीं बितानी। उसे अपनी जिंदगी का सफर खुद तय करना है।

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डियर जिंदगी : कायरा को अपनी जिंदगी की समस्याओं से लड़ने के लिए साइकिएट्रिस्ट के पास जाने का सोचा। थेरेपी लेना और उसके बारे में बात करना आसान नहीं होता, लेकिन कायरा ने सिखाया कि इसे करना इतना भी मुश्किल नहीं है।

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पठान :दीपिका पादुकोण का किरदार रुबाई ISI एजेंट है, वो एक्शन आदि भरपूर कर सकती है, लेकिन वो बेचारी नहीं है। इस फिल्म में उनका नेगेटिव और पॉजिटिव दोनों ही रोल देखने को मिलता है और फिल्म के क्लाइमैक्स में भी वो बहुत अहम रोल निभाती हैं।

दिलवाले: इस फिल्म में काजोल का किरदार एक ऐसी महिला का है जो अपनी सोच के बारे में हमेशा बात करती है और कभी भी अपने दिल की कहने से नहीं डरती। मीरा अपना काम करना जानती है और पूरी जिंदगी उजाड़ कर किसी नए शहर में शुरुआत करने से भी नहीं डरती है।

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माय नेम इज खान : काजोल ने मंदिरा खान का किरदार निभाया था जो एक इंडिपेंडेंट महिला थी। उसे दुनिया से लड़कर अपने लिए कुछ हासिल करना आता था। एक ऑटिस्टिक इंसान से शादी करना और अपने बच्चे को सिंगल मदर बनकर पालना उसे सब आता था।

कल हो ना हो: नैना अपनी परेशानियों में घिरी हुई है, लेकिन उसे अपने करियर और अपने परिवार का ख्याल रखना आता है। वो इमोशनली इंडिपेंडेंट है जो अकेले में रोकर भी अगले दिन अपनी जिंदगी को अपनी तरह से जी लेती है। उसे प्यार को खोने की तकलीफ भी पता है और आगे बढ़ने का हौसला भी है।

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देखिए यहां स्ट्रॉन्ग फीमेल कैरेक्टर सिर्फ ऐसा ही नहीं होता जिसमें एक्ट्रेस के काम का जिक्र हो और उसे स्टंट करते दिखाया जाए। एक्ट्रेस का रोल तब महत्वपूर्ण होता है जब हम फिल्म में उसका कैरेक्टर डेवलपमेंट भी देखें। उसकी स्क्रीन प्रेजेंस से कहानी में कुछ फर्क पड़ता हो।

जेंडर इक्वालिटी को लेकर काफी हद तक शाहरुख खान की फिल्मों में यह देखा जा सकता है।

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