हर साल 1 अगस्त से 7 अगस्त के बीच ब्रेस्टफीडिंग को इंप्रूव करने और नवजात शिशुओं की सेहत को बेहतर बनाने के लिए वर्ल्ड ब्रेस्टफीडिंग वीक मनाया जाता है। यह वीक ब्रेस्टफीडिंग करवाने वाली महिलाओं को ब्रेस्ट फीडिंग के लिए जागरूक करने के लिए मनाया जाता है। हर कोई जानता है कि शिशु के लिए मां का दूध अमृत के समान होता है। ब्रेस्टफीडिंग से ही शिशु का शरीरिक विकास होता है। इससे न केवल शिशु को बल्कि प्रेग्नेसी के बाद होने वाली तकलीफों से नई माताओं को भी लाभ पहुंचता है। लेकिन आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि किस तरह स्मोकिंग का ब्रेस्टफीडिंग पर भी असर पड़ता है।
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Image courtesy: Pixel.com
स्मोकिंग का ब्रेस्टफीडिंग पर असर
जी हां एक नई रिसर्च से सामने आया है कि शिशु को ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली मां जो अपने घर में स्मोकिंग के संपर्क में आती हैं, वे स्मोकिंग के संपर्क में नहीं आने वाली मांओं की तुलना में उनके ब्रेस्टफीडिंग की अवधि पर नेगेटिव असर पड़ सकता है। शोध के निष्कर्ष का प्रकाशन पत्रिका 'ब्रेस्टफीडिंग मेडिसीन' में किया गया है। इसमें ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली माताओं पर घरेलू धूम्रपानकर्ताओं के संपर्क में आने पर नेगेटिव असर पड़ने की बात सामने आई है।
कनाडा के ओकानंगन परिसर स्थिति ब्रिटिश कोलंबिया यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर मैरी तरांत ने कहा, "हमारे शोध से पता चलता है कि स्मोकिंग करने वाले परिवार में होने से बच्चे के ब्रेस्टफीडिंग अवधि के समय में कमी देखी गई। इन स्मोकिंग करने वालों में पति, मां या विस्तारित परिवार का कोई सदस्य हो सकता है।" तरांत ने कहा, "वास्तव में जिस परिवार में स्मोकिंग करने वालों की संख्या ज्यादा थी उनमें स्मोकिंग अवधि कम रही।" इस शोध के लिए शोधकर्ताओं के दल ने हांगकांग के चार बड़े अस्पतालों के 1200 महिलाओं का अध्ययन किया गया।
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ब्रेस्टफीडिंग के फायदे
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- बच्चे के लिए मां का दूध अमृत समान होता है, इससे बच्चे को पोषण के साथ रोगों से लड़ने की ताकत मिलती है। हालांकि ब्रेस्टफीडिंग केवल बच्चे के लिए नहीं, बल्कि मां के लिए भी फायदेमंद होता है। एक नए शोध में पता चला है कि ब्रेस्टफीडिंग महिलाओं में दिल का दौरा और स्ट्रोक के जोखिम को कम करता है। नए शोध के मुताबिक, जो महिलाएं अपने बच्चों को ब्रेस्टफीडिंग कराती हैं, उनमें हार्ट अटैक व स्ट्रोक का जोखिम 10 गुना तक कम हो जाता है।
- डिलीवरी के बाद ब्रेस्टफीडिंग से मां के मेटाबॉलिज्म में तेजी आती है। प्रेग्नेंसी के दौरान मां के मेटाबॉलिज्म में बहुत बदलाव आते हैं क्योंकि उनकी बॉडी बच्चे के विकास के लिए एक्सट्रा एनर्जी पैदा करती है।
- प्रेग्नेंसी में बढ़ा हुआ वजन डिलीवरी तक कम नहीं होता। ऐसे में अगर महिला ब्रेस्ट फीड कराती हैं उसकी बॉडी का बढ़ा हुआ वजन धीरे-धीरे कम होने लगता है।
Source: IANS
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