ब्रेस्ट कैंसर का नाम सुनते ही महिलाओं का शरीर कॉपने लगता है। ऐसा इसलिए क्योंकि यह महिलाओं में होने वाले सबसे आम कैंसर में से एक है। जी हां भारतीय महिलाएं सबसे ज्यादा परेशान ब्रेस्ट कैंसर से रहती है और कहा जाता है कि इसके चलते महिलाओं को मां बनने में परेशानी का सामना करना पड़ता है। लेकिन हेल्थ एक्सपर्ट ने इस बात की जानकारी दी है कि अगर समय रहते इसका इलाज किया जाए तो मां बनने में किसी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता है। इनके मुताबिक, ब्रेस्ट कैंसर से जंग लड़ रही महिलाओं के लिए प्रेग्नेंसी संभव है। यह पुनरावृत्ति के जोखिम को नहीं बढ़ाता और न ही शिशु को किसी तरह का नुकसान पहुंचाता है।
डॉक्टर की राय
मुंबई के एचसीजी कैंसर सेंटर की कंसलटेंट (रेडिएशन, ओंकोलोजी) उपासना सक्सेना ने बताया, "जी हां, ब्रेस्ट कैंसर मरीजों के लिए प्रेग्नेंसी संभव है। फिलहाल ऐसा कोई कारण या सबूत नहीं है, जिससे माना जाए कि ब्रेस्ट कैंसर के इलाज के बाद प्रेग्नेंट होने से मां या शिशु को किसी प्रकार का जोखिम हो सकता है।"
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गुरुग्राम के मेदांता में कैंसर संस्थान की एसोसिएट डायरेक्टर कंचन कौर ने कहा, "ऐसा मुमकिन है कि ब्रेस्ट कैंसर से निदान के दौरान महिलाएं अपना प्रेग्नेंसी जारी रख सकती हैं और अपनी प्रेग्नेंसी के साथ-साथ इसका ट्रीटमेंट करवा सकती हैं। वे हेल्दी शिशुओं को भी जन्म दे सकती हैं।"
कंचन कौर ने कहा, "हालांकि कुछ में नेचुरल प्रेग्नेंसी भी संभव है।" एचसीजी में एक मरीज में 27 साल की उम्र में ब्रेस्ट कैंसर की पहचान हुई और 2007 में उसका इलाज हुआ। महिला ने पूर्ण ब्रेस्ट शल्य के बजाय ब्रेस्ट संरक्षण का विकल्प चुना और 2013 में उसने एक हेल्दी बच्चे को जन्म दिया।
क्या कहती है रिपोर्ट
सक्सेना ने कहा, "पहले, प्रेग्नेंसी का इरादा रखने वाली महिलाओं में कैंसर की पुनरावृत्ति के जोखिम में वृद्धि को लेकर चिंताएं थीं, लेकिन यह अच्छी खबर है कि अध्ययनों में दर्शाया गया कि गर्भधारण करने वाली महिलाओं में इस प्रकार का जोखिम कम होता है। उन महिलाओं की तुलना में जो गर्भ धारण नहीं करती हैं।" भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में 2016 में 14 लाख कैंसर के मरीज थे और इनकी संख्या बढ़ने की संभावना है।
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रिपोर्ट के मुताबिक, "ब्रेस्ट कैंसर फिलहाल भारतीय महिलाओं में सबसे आम कैंसर हैं साथ ही इससे होने वाली मौतों के मामलों में भी। यह वैश्विक औसत की तुलना में युवा आयु समूहों में अधिक प्रचलित है।" ब्रेस्ट कैंसर के बाद प्रेग्नेंट महिलाओं को फिर कष्ट में पड़ने का जोखिम भी नहीं बढ़ाता है।
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