देश में हर साल हार्ट अटैक और समय से पहले होने वाली मौतों के लगभग 45-50 प्रतिशत मामलों में बगैर लक्षण वाले दिल के दौरों को वजह बताया जाता है। मेडिकल भाषा में असिम्टोमैटिक हार्ट अटैक कहा जाता है।
आपको यह जानकर हैरानी हो सकती है, लेकिन देश में हर साल होने वाली असमय मौतों में लगभग 50 प्रतिशत मौतें बगैर लक्षण वाले दिल के दौरों की वजह से होती हैं। हृदय रोग विशेषज्ञों का मानना है कि देश में हर साल हार्ट डिजीज और समयपूर्व मौत के लगभग 45-50 प्रतिशत मामलों के लिए बगैर लक्षण वाले हार्ट अटैक्स को जिम्मेदार पाया गया है।
एक्सपर्ट्स का मानना है कि मिडिल एज ग्रुप वालों में ऐसी घटनाएं महिलाओं की तुलना में पुरुषों में दोगुनी होने की आशंका होती है। वास्तविक दिल के दौरे की तुलना में एसएमआई के लक्षण हल्के होते हैं, इसीलिए इसे साइलेंट किलर कहा गया है।”
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कार्डियोलॉजिस्ट बताते हैं कि सामान्य दिल के दौरे में छाती में तेज दर्द, बाहों, गर्दन और जबड़े में तेज दर्द, सांस लेने में अचानक परेशानी महसूस होना, पसीना और चक्कर आना जैसे लक्षण नजर आते हैं। जबकि इसके उलट एसएमआई के लक्षण बहुत कम और हल्के होते हैं। इसीलिए महिलाएं इससे भ्रमित हो सकती हैं और छोटी-मोटी परेशानी समझकर इसे अनदेखा कर सकती हैं। इसके पीछे ज्यादा उम्र, फैमिली हिस्ट्री, स्मोकिंग या तंबाकू चबाना, हाई ब्लड प्रेशर, हाई कोलेस्ट्रॉल, डायबिटीज, वजन संबंधित समस्याएं, फिजिकल एक्टिविटी की कमी जैसी कई वजहें हो सकती हैं।”
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मिडिल एज की कई महिलाओं में स्मोकिंग और शराब पीने की आदत असमय दिल की समस्याओं के लिए जिम्मेदार मानी है। आरामतलबी वाली जीवनशैली, खान-पान की खराब आदतें और फिजिकल एक्टिविटी में कमी मोटापे सहित कई तरह की बीमारियों को जन्म देती है। इससे दिल की बीमारियां होने की आशंका पैदा होती है। इन्हीं वजहों से यंग महिलाओं में भी दिल की बीमारी की समस्या के मामले देखने को मिल रहे हैं।”
एक्सपर्ट्स का मानना है कि लोगों को एसएमआई से जुड़ी दो जटिलताओं -कोरोनरी आर्टरी डिजीज ( सीएडी ) और सडन कार्डियक डेथ ( एससीडी ) के बारे में जरूर मालूम होना चाहिए। दवाइयों, स्टेंट का उपयोग कर रिवैस्कुलराइजेशन और यहां तक कि बाईपास सर्जरी की मदद से इस्कीमिया, हार्ट फेलियर और कार्डिएक एरीथमिया के कारण होने वाली मौतों को रोका जा सकता है।”
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अगर महिलाएं हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाएं और नियमित रूप से अपना हेल्थ चेकअप कराती रहें तो निश्चित रूप से हार्ट डिजीज के खतरों से सुरक्षित रह सकती हैं। डॉक्टरों का मानना है कि स्ट्रेस टेस्ट भी कराए जा सकते हैं। इससे एक्सरसाइज की लिमिट मापने में मदद मिलती है, जो इस्कीमिया पैदा कर सकता है और डॉक्टर सबसे सेफ एक्टिविटी से जुड़े इंस्ट्रक्शन दे सकते हैं।”
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