बहुत ज्यादा चीनी खाना हेल्थ के लिए अच्छा नहीं होता है, यह बात शायद हमें आपको बताने की जरूरत नहीं है। लेकिन एक नई रिसर्च के अनुसार इससे आपकी खूबसूरती भी कम हो सकती है। जी हां जो महिलाएं बहुत ज्यादा चीनी का सेवन करती हैं उनकी ब्यूटी कम होने लगती है।
डॉक्टर अग्रवाल ने आगे बताया, श्वेत शक्कर धीमा जहर है। प्रोसेस्ड सफेद चीनी पाचन तंत्र के लिए भी हानिकारक है, खासतौर पर उन लोगों के लिए जिन्हें कार्बोहाइड्रेट पचाने में कठिनाई होती है। यह महिलाओं में हार्मोनल असंतुलन के प्रभाव को बढ़ाती है, जो चेहरे के बाल जैसे एंड्रोजेनस अभिव्यक्तियों में होता है। जिससे महिलाओं की सुंदरता कम होने लगती है। प्राचीन काल में, भारत के लोग या तो गन्ने का रस, गुड़ या फिर ब्राउन शुगर (खांड) का उपभोग करते थे, और ये दोनों सेफ हैं।
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प्रत्येक भारतीय सालाना लगभग 20 किलोग्राम चीनी खाते है। ज्यादातर लोग इस बात से अनजान हैं कि चीनी अच्छी नहीं होती है और यह नशे की लत जैसी है। लाइफस्टाइल की सबसे आम बीमारियों में से एक, टाइप2 डायबिटीज, चीनी की अतिसंवेदनशीलता के कारण होती है। जो लोग नियमित रूप से बहुत अधिक चीनी का खाते हैं, उनके पैंक्रियास बहुत अधिक इंसुलिन उत्पन्न करते हैं और बॉडी के सेल्स को इंसुलिन प्रतिरोध विकसित करती हैं। इसका मतलब यह है कि ग्लूकोज को आसानी से बॉडी के सेल्स में संग्रहित नहीं किया जा सकता है, जिससे ब्लड सर्कुलेशन में चीनी अधिक हो जाती है। वैश्विक स्तर पर, चीन के बाद भारत में टाइप2 डायबिटीज वाले वयस्कों की सबसे ज्यादा संख्या है। भारत में टाइप2 डायबिटीज से पीड़ित लोगों की संख्या वर्तमान में 7.2 करोड़ से बढ़ कर वर्ष 2045 तक 15.1 करोड़ होने की संभावना है।
एचसीएफआई के अध्यक्ष डॉक्टर के. के. अग्रवाल के अनुसार, जब हम चीनी खाते हैं, तो ब्रेन बड़ी मात्रा में डोपामाइन, यानी अच्छा महसूस करने वाला एक हार्मोन पैदा करता है। बाजार में उपलब्ध अधिकांश प्रोसेस्ड फूड में खूब सारी चीनी मिलाई जाती है, ताकि हम केचप, दही, पेस्ट्री और इसी तरह के अन्य प्रोडक्ट अधिकाधिक उपभोग करने के लिए प्रेरित हों। चीनी की अतिसंवेदनशीलता ब्रेन को बहुत अधिक डोपामाइन छोड़ने का कारण बनती है, जिससे इसके हिस्सों को असंवेदनशील बना दिया जाता है।
डॉक्टर अग्रवाल के अनुसार, हालांकि, यह अच्छी भावना केवल 15 से 40 मिनट तक चलती है। चीनी अतिसंवेदनशीलता न्यूरोलॉजिकल प्रॉब्लम्स जैसे डिप्रेशन, चिंता, डिमेंशिया और यहां तक कि अल्जाइमर से भी संबंधित है। यह ब्रेन को सचमुच धीमा कर स्मृति और सीखने की क्षमता घटा देती है।
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खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) चीनी की तीन श्रेणियों को परिभाषित करता है : प्राकृतिक (फलों और सब्जियों में खाद्य संरचना में निर्मित), जोड़ी गई (प्रोसेसिंग और तैयारी के दौरान खाद्य पदार्थों और पेय पदार्थों में शर्करा और सीरप मिलाया जाता है) और नि:शुल्क (शक्कर और स्वाभाविक रूप से शहद, सीरप, फलों के रस और फलों में मौजूद होती है)।
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