दांतों को चमकाने के लिए अगर ये इस्‍तेमाल करती हैं तो सावधान हो जाएं

क्‍या आपके दांत पीले हैं और दांतों का पीलापन दूर करने के लिए व्‍हाइ‍टनिंग प्रोडक्‍ट का इस्‍तेमाल करती हैं तो सावधान हो जाएं।

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क्‍या आपके दांत पीले हैं और दांतों का पीलापन दूर करने के लिए व्‍हाइ‍टनिंग प्रोडक्‍ट का इस्‍तेमाल करती हैं तो सावधान हो जाएं। क्‍योंकि व्‍हाइ‍टनिंग प्रोडक्‍ट आपके दांतों को नुकसान पहुंचा सकते हैं। ये बात हम नहीं कह रहे बल्कि एक नई स्‍टडी से सामने आई है। जी हां हम अक्सर दांतों की सफेदी को लेकर बहुत चिंतित रहते हैं। दांत को सफेद करने के तरीके भी आजमाते हैं, उनमें 'टूथ व्हाइटनिंग' प्रोडक्ट्स या मशीन के जरिए दांतों को सफेद करना शामिल है तो आपको इससे बचने की जरूरत हैं। अमेरिका में स्टॉकटन यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने पाया कि दांतों को चमकाने वाले प्रोड्क्टस में हाइड्रोजन पेरोक्साइड दांतों की हिफाजत करने इनेमल के नीचे पाए जाने वाले प्रोटीन युक्त डेंटिन टिशू को नुकसान पहुंचा सकता है।

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दांतों को नुकसान

स्‍टडी में पाया गया, दांत सफेद करने वाले प्रोडक्‍ट - जो आपकी मुस्कुराहट को खूबसूरत बनाने का वादा करते हैं - इससे दांतों को नुकसान भी हो सकता है। दांत तीन परतों से मिल कर बने होते हैं: बाहरी इनेमल, अंदरूनी डेंटिन परत और तीसरा संजोयी टिश्‍यु जो दांतों को मसूड़ों से जोड़ता है।

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स्टॉकटन यूनिवर्सिटी में एसोसिएट प्रोफेसर केली कीनन ने कहा, 'हमने कोलेजन के लिए हाइड्रोजन पेरोक्साइड को आगे बढ़ाने के लिए आगे बढ़ने की मांग की। हमने अध्ययन के लिए पूरे दांतों का इस्तेमाल किया और प्रोटीन पर हाइड्रोजन पेरोक्साइड के प्रभाव पर ध्यान केंद्रित किया।'

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प्रोटीन का हाई लेवल

व्हाइटनिंग स्ट्रिप्स के अधिकांश अध्ययनों ने दांतों का इनमेल पर ध्यान फोकस किया है, जिसमें बहुत कम प्रोटीन पाया जाता है। ज्यादातर स्टडीज में पूरा फोकस दांत के इनेमल पर होता है, लेकिन इस स्टडी में डेंटिन पर फोकस किया गया, जिससे दांत के ज्यादातर हिस्से का निर्माण होता है। डेंटिन में प्रोटीन का लेवल हाई होता है, खासकर कोलेजन। कोलेजन शरीर में सबसे ज्यादा पाया जाने वाला प्रोटीन है। ये हमारे नाखून, बाल, हड्डियों, लिगामेंट्स, नसों को आकार देने में मदद करता है। टीम ने बताया किया कि हाइड्रोजन पेरॉक्साइड के साथ डेंटिन के मुख्य प्रोटीन छोटे टुकड़ों में बदल जाते हैं।

क्‍या कहती है रिसर्च

दूसरे प्रयोगों में, उन्होंने हाइड्रोजन पेरॉक्साइड को कोलेजन पर इस्तेमाल किया और फिर एक जेल इलेक्ट्रोफॉरिसिस लैबोरेटरी टेकनीक का इस्तेमाल करके प्रोटीन का विश्लेषण किया। जेल इलेक्ट्रोफॉरिसिस लैबोरेटरी टेकनीक के जरिए प्रोटीन को देखा जा सकता है। हमारे परिणामों से पता चला है कि व्हाइटनिंग स्ट्रिप्स में पाए जाने वाले हाइड्रोजन पेरॉक्साइड कोलेजन प्रोटीन को नष्ट करने के लिए पर्याप्त है, जो संभवतः कई छोटे टुकड़ों के बनने की वजह से है।

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शोधकर्ताओं ने बताया कि उनके प्रयोगों से यह पता नहीं चला है कि क्या दांतों में कोलेजन और दूसरे प्रोटीन फिर से निर्मित हो सकते हैं या नहीं। इसलिए ये नहीं बताया जा सकता है कि इस तरह हुई दांतों की क्षति स्थाई है या थोड़े समय के लिए। शोधकर्ताओं को ये भी पता करना है कि हाइड्रोजन पेरॉक्साइड का दांतों के दूसरे प्रोटीन पर क्या असर होता है।



इस रिसर्च के निष्कर्ष को फ्लोरिडा के ऑरलैंडो में आयोजित 2019 प्रायोगिक जीव विज्ञान बैठक के दौरान प्रस्तुत किया गया। हालांकि अमेरिकन डेंटल एसोसिएशन भी चेतावनी देता है कि दांतों को सफेद करने वाले प्रोडक्‍ट से मसूड़ों में सूजन और दांतों की सेंसिटिव बढ़ सकती है।

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Source: IANS

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