16 अक्टूबर को हर साल वर्ल्ड स्पाइन डे मनाया जाता है, जो हमें याद दिलाता है कि एक डैमेज स्पाइन हमारे जीवन के हर हिस्से को प्रभावित कर सकता है। और रीढ़ की हड्डी में किसी भी प्रकार का नुकसान दीर्घकालिक परिणाम का नुकसान हो सकता हैं, खासतौर पर बच्चों और किशोरों के बीच में बहुत ज्यादा। क्यूआई स्पाइन क्लिनिक रीढ़ की हड्डी की समस्याओं से संबंधित मेनस्ट्रिम, नॉन सर्जिकल, मेडिकल ट्रीटमेंट की भारत की पहली श्रृंखला ; चेतावनी देता है कि टीएजर्स में पीठ दर्द भविष्य में गंभीर हेल्थ प्रॉब्लम का कारण बन सकता है।
किशोरावस्था में पीठ दर्द के बारे में जर्नल ऑफ पब्लिक हेल्थ में हालिया अध्ययन से सामने आया है कि किशोरावस्था में जो पीठ दर्द का अधिक बार अनुभव करते हैं, इसके लिए उनकी गलत आदतें जैसे स्मोकिंग और शराब पीना, और मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति जैसे चिंता और डिप्रेशन शामिल हैं।
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पीठ में दर्द के कारण
रीढ़ की हड्डी बॉडी का सबसे महत्वपूर्ण अंग है। आजकल ज्यादातर लोगों को रीढ़ की हड्डी और गर्दन की समस्या रहती हैं। इसके पीछे कई कारण हो सकते है जैसे मोटापा, धूम्रपान करना, पीठ के सहारे भारी चीज उठाना आदि। और बच्चों में ये समस्याएं गलत पोश्चर और स्कूल का भारी-भरकम बैग उठाने से होता है। स्कूल का भारी बैग बच्चों की रीढ़ की हड्डी पर प्रेशर बनाता है और यही प्रेशर कई दिनों तक बना रहे तो यह बच्चों में पीठ के दर्द की समस्या को जन्म देता है। मगर बच्चों में पीठ दर्द हमेशा स्कूल का भारी उठाने से नहीं होता है, इसके और भी कई कारण हो सकते है जैसे की बच्चे की शारीरिक संरचना में आयी विकृति। लेकिन आप परेशान ना हो क्योंकि अगर आपके बच्चे हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाएंगें तो इस समस्या से आसानी से बच सकते हैं। जी हां क्यूआई स्पाइन क्लिनिक के एक्सपर्ट आपके बच्चों की रीढ़ को हेल्दी और मजबूत रखने वाले 10 टिप्स के बारे में बता रहे हैं। जिससे हेल्प से आप बिना दवाओं के पीठ दर्द को आसानी से मैनेज कर सकती हैं।
बच्चों की रीढ़ को हेल्दी बनाने के टिप्स
1. अपने बच्चे से बहुत ज्यादा बैठने के लिए नहीं कहें। बैठना जरूरी नहीं है। उन्हें जितना वह चाहें उतना घूमने दें।
2. आप अपने बच्चों के लिए सबसे बड़े रोल मॉडल हैं। इसलिए आप लचककर ना चलें और सेडेंटरी लाइफस्टाइल अपनाना से बचें।
3. अपने बच्चों को सीधे बैठने के लिए बोलें। और हमेशा ध्यान रखें कि आपको बच्चा अपनी पीठ पर बहुत ज्यदा बोझ ना उठाएं।
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4. अगर आपके बच्चे को रात में पीठ में दर्द होता है, दर्द के कारण वह नींद से जाग जाता है और उसे अपनी डेली एक्टिविटी को सही तरीके से नहीं कर पाता है तो आपको डॉक्टर को दिखाना चाहिए।
5. खुद को र्स्पोट्र्स इंजरी के बारे में शिक्षित करें ताकि आपको जानकारी हो कि ऐसा होने पर इसे कैसे मैनेज करना है।
6. जब वह स्विंग्स या अन्य खेल के मैदान के उपकरण पर खेल रहा हो तो अपने बच्चे का ध्यान रखें। उसे सिखाएं कि स्विंग के सामने या पीछे चलने या भगाने से बचें।
7. जब आपका बच्चा नया खेल खेलता है तो उसकी सुरक्षा पर ध्यान दें। उदाहरण के लिए, अगर आपका बच्चा स्कीइंग, स्केटिंग या स्नोबोर्डिंग शुरू करने वाला है तो उसे अच्छी तकनीक सिखाएं, जिसमें गिरने का उचित तरीका भी शामिल हो।
8. सही गियर पर जोर दें। साइकिल या स्कूटर या स्केटिंग की सवारी करने वाले बच्चों को हमेशा हेल्मेट, माउथ गार्ड, कलाई गार्ड और नी गार्ड पहनने चाहिए।
9. कारों में सवारी करने वाले बच्चों के लिए सीट-बेल्ट और चाइल्ड सेफ्टी सीट सबसे अच्छी सुरक्षा हैं। शिशुओं और छोटे बच्चों के पास अपनी खुद की चाइल्ड सेफ्टी बेल्ट होनी चाहिए।
10. कई बार बच्चा तुरंत युवावस्था के आने के कारण शर्मिदा महसूस करता है। यानि युवावस्था में बॉडी में आने वाले बदलाव के कारण अपना पोश्चर बदल लेता है। उन्हें अपने बारे में सहज महसूस करने के लिए प्रोत्साहित करें। और उसे एक एक्टिव लाइफस्टाइल बनाए रखने में हेल्प करें।
इन टिप्स को अपनाने से लंबे समय तक आपके बच्चे की स्पाइन हेल्दी रह सकती है। तो देर किस बात की आज से ही अपने बच्चे में ये हेल्दी आदतें डालें।
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