एक महिला के शरीर में कुछ चीजें प्राकृतिक रूप से होती हैं उनमें से एक पीरियड्स है। लेकिन उम्र के एक पड़ाव के बाद एक ऐसा समय भी आता है जब यह प्रक्रिया बंद हो जाती है। इस समय को मेनोपॉज कहा जाता है। ये प्रक्रिया आमतौर पर महिलाओं में 45 की उम्र के बाद देखने को मिलती हैं। लेकिन कुछ महिलाओं में ये प्रक्रिया 40 की उम्र में भी देखने को मिलती है। मेनोपॉज के दौरान न केवल महिलाओं के शरीर में कई तरह के बदलाव जैसे वजन बढ़ना, थकान, अनिद्रा, कमजोरी, रात के समय बहुत अधिक पसीना आना, पेट में गैस बनना आदि महसूस होते हैं। बल्कि वेजाइना में भी कई तरह के बदलाव जैसे ड्राईनेस, एस्ट्रोजन की कमी आदि दिखने देने लगते हैं। आइए इस आर्टिकल के माध्यम से ऐसे ही कुछ बदलाव और उनसे बचने के उपायों के बारे में जानें।
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वेजाइना में ड्राईनेस
मेनोपॉज के दौरान वेजाइना में सबसे बड़ी समस्या ड्राईनेस की होती है। इस समस्या के कारण महिला बहुत असहज हो जाती है। इस दौरान यौन संबंध बहुत ही कष्टकारी होता है। क्योंकि इस समय महिला के वेजाइना में नेचुरल लुब्रिकेंट बंद हो जाता है। महिलाओं में एस्ट्रोजन नामक हार्मोन होता है, मेनोपॉज के दौरान एस्ट्रोजन हार्मोन का स्राव कम होने लगता है जिसकी वजह से वेजाइना में ड्राईनेस की समस्या अधिक होती है।
एस्ट्रोजन वेजाइना की दीवारों को लुब्रिकेंट रखने के लिए जिम्मेदार होता है, इसलिए जैसे ही इस हार्मोन का लेवल कम होना शुरू होता है, आप पहले से कहीं ज्यादा ड्राईनेस महसूस करती हैं। वेजाइना के टिश्यु अधिक पतले और नाजुक हो जाते है, और वेजाइना कम लोचदार हो जाती है। इसके अलावा एस्ट्रोजन हार्मोन की कमी के कारण महिलाओं की शारीरिक क्षमता कम होने लगती है। एस्ट्रोजन हार्मोन वेजाइना को लुब्रिकेंट बनाए रखने में हेल्प करती हैं, लेकिन जब यह कम हो जाता है तो वेजाइना ढीली होने लगती है। इसके कारण ही महिलाओं में यौन इच्छा कम होने लगती है। जी हां मेनोपॉज के बाद ज्यादातर महिलाओं की यौन इच्छा कम या बिल्कुल ही खत्म हो जाती हैं।
इसे दूर करने के लिए महिला को लुब्रिकेशन का इस्तेमाल करना चाहिए। लुब्रिकेशन के लिए नारियल का तेल वेजाइना पर लगाना बेहतर विकल्प हो सकता है। इसमें एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-फंगल गुण होते हैं जो इंफेक्शन से भी बचाता है। इस दौरान हार्मोन थेरेपी कराने के कई खतरे हो सकते हैं, ऐसे में बेहतर और सुरक्षित विकल्प के लिए एस्ट्रोजन थेरेपी का सहारा आप ले सकती हैं। इससे वेजाइना में ड्राईनेस की समस्या दूर हो जाती है। अगर मूड स्विंग और अनिद्रा की समस्या अधिक हो तो आप एस्ट्रोजन की गोलियां या फिर इंजेक्शन ले सकती हैं। लेकिन इन सभी चीजों के लिए हमेशा चिकित्सक के संपर्क में रहें और उनसे अपनी सारी प्रॉब्लम्स शेयर करें।
स्मैल का बदलना
कुछ महिलाओं में वेजाइना से अजीब सी स्मैल आने लगती हैं। और वह इस स्मैल से इतना परेशान होती हैं कि बार-बार वेजाइना को साफ करती हैं। लेकिन क्या आप जानती हैं कि ऐसा क्यो होता है तो हम आपको बता दें कि मेनोपॉज के बाद बहुत बार ऐसा वेजाइना में बैक्टीरिया के लेवल में बदलाव के कारण होता है और आमतौर पर प्रोबायोटिक का इस्तेमाल करके बहुत जल्दी इसे ठीक भी किया जा सकता है।
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इसके अलावा मेनोपॉज के दौरान महिलाओं को पेल्विक पेन भी होता है। बहुत सारी महिलाएं पेल्विक दर्द का अनुभव कर सकती हैं।
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बचने के टिप्स
- मेनोपॉज कई तरह के बदलाव कई लाता है, खासतौर पर इस दौरान वेजाइना में खुजली, ड्राइनेस और जलन हो सकती है। इसलिए इस समय के दौरान आपको कुछ बातों का ध्यान रखना होगा।
- अपनी वेजाइना के अंदरूनी हिस्सों पर साबुन का उपयोग करना बंद करें; धोने के लिए साफ पानी ही काफी है।
- केवल व्हाइट, असंतृप्त टॉयलेट पेपर का इस्तेमाल करें।
- डाई और परफ्यूम से फ्री डिटर्जेंट से अपने अंडरवियर को धोएं।
- फैब्रिक सॉफ्टनर से बचें।
- आंतरिक वल्वा पर लोशन और सुगंधित प्रोडक्ट का इस्तेमाल करने से बचें।
- डौच और बबल बाथ से बचें।
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