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Pure vegetarian में डायबिटीज की चपेट में आने का खतरा होता है कम

डायबिटीज से छुटकारा पाने के लिए सिर्फ समय पर दवाई लेना और एक्‍सरसाइज करना ही काफी नहीं होता है। बल्कि खान-पान में बदलाव की भी जरूरत होती है।
IANS
Updated:- 2018-02-15, 19:56 IST

डायबिटीज से छुटकारा पाने के लिए समय पर दवाई देने और एक्‍सरसाइज करने की सलाह दी जाती हैं। लेकिन इससे छुटकारा पाने के लिए सिर्फ समय पर दवाई लेना और एक्‍सरसाइज करना ही काफी नहीं होता है। बल्कि खान-पान में बदलाव की भी जरूरत होती है।

जी हां अगर आपने डायबिटीज को दूर भगाना है तो अपने खान-पान को बदल लीजिए और शुद्ध शाकाहारी हो जाइए। यह हम नहीं कह रहे बल्कि एक नई रिसर्च से यह बात सामने आई हैं। हाल ही में हुई एक रिसर्च में वैज्ञानिकों ने इस बात का दावा किया है। यह रिसर्च Nutrition, Metabolism and Cardiovascular Diseases में प्रकाशित की गई है।

क्‍या कहती हैं रिसर्च

रिसर्च में कहा गया है कि जो लोग शाकाहार को अपना लेते हैं उन्‍हें टाइप-2 डायबिटीज होने की संभावना मांसाहार लोगों की तुलना में कम होती है। रिसर्च में सामने आया है कि फल, सब्जियों वाले आहार से बॉडी में ग्‍लूकोज को कंट्रोल करने वाला इंसुलिन ज्‍यादा बेहतर ढंग से काम करता है। यह उन लोगों के लिए ज्‍यादा फायदेमंद है जो मोटापे से परेशान है। इसके साथ ही शोधकर्ताओं ने यह भी कहा कि शाकाहारी आहार से बीटा कोशिकाएं अच्‍छे से काम करती है। जिनका काम इंसुलिन को जमा करके उसे रिलीज करना होता है। टाइप-2 डायबिटीज से हार्ट अटैक, किडनी में खराबी, आंखों की रोशनी जाने का खतरा रहता है।

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टाइप-2 डायबिटीज से कम हो जाती है लाइफ

शोधकर्ताओं का मानना है कि टाइप-2 डायबिटीज से लोगों का जीवन 20 साल कम हो सकता है। अमेरिका में 3 करोड़ लोग डायबिटीज के शिकार है। वहीं ब्रिटेन में 40 लाख लोगों को डायबिटीज की बीमारी है। इन सभी लोगों में से 90 प्रतिशत ऐसे हैं जिन्‍हें टाइप-2 डायबिटीज है। शोधकर्ताओं ने शोध 75 लोगों को शामिल किया जो मोटापे से ग्रस्‍त थे लेकिन डायबिटीज की शिकायत नहीं थी। इन लोगों को दो समूह में बांटा गया। एक समूह के लोगों को 16 हफ्तों तक शाकाहारी भोजन लेने को कहा। इसमें सामने आया कि शाकाहारी खान-पान वाले लोगों में इंसुलिन ज्‍यादा बन रहा था।

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शुगर लेवल पर पड़ता है असर

डायबिटीज एक मेटाबॉलिक डिसॉर्डर है। सामान्य स्थिति में हम जो खाते हैं, वह ग्लूकोज में बदलकर ब्‍लड के जरिए पूरी बॉडी में फैल जाता है। इसके बाद इंसुलिन हार्मोन,  ग्लूकोज को ऊर्जा में बदलता है। डायबिटीज होने पर बॉडी में या तो पर्याप्त मात्रा में इन्सुलिन नहीं बनता या फिर बॉडी सही से इंसुलिन का इस्तेमाल नहीं कर पाती। इस वजह से बॉडी शुगर, स्टार्च व अन्य फूड को एनर्जी में बदल नहीं पाता। ब्‍लड में ग्लूकोज इकट्टा होता जाता है।

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मोटापे व जीवनशैली की गड़बड़ी का इससे सीधा संबंध है। पहले जहां 35 से 40 की उम्र में इसके मामले अधिक दिखते थे, अब युवा भी इसके शिकार हो रहे हैं। डायबिटीज मुख्य तौर पर दो तरह की टाइप-1 और टाइप-2 होती है। टाइप-1 से पीड़ित लोगों में इंसुलिन का निर्माण नहीं होता या बहुत कम होता है। बच्चे और युवा इसके अधिक शिकार होते हैं। इसके लिए इंसुलिन का इंजेक्शन लेना होता है। टाइप -2 से डायबिटीज के 90 प्रतिशत मरीज प्रभावित होते हैं।

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