आज की लाइफस्टाइल के चलते हमारी नींद जैसी उड़ सी गई हैं। काम के प्रेशर और सोशल मीडिया की लत के कारण नींद ने जैसे हमसे मुंह मोड़ना शुरू कर दिया है। अगर आप भी ऐसी महिलाओं में से एक हैं जिन्हें रातों को नींद नहीं आती है और सारी रात करवटें बदलते निकल जाती है। तो इन चीजों पर ध्यान देना बहुत जरूरी है क्योंकि एक नई रिसर्च के अनुसार अगर आप मानसिक तनाव, दबी हुई इच्छाएं और मन में तीव्र कड़वाहट लिए हुए बिस्तर पर लेटती हैं तो आप अनिद्रा का शिकार हो सकती हैं। हाई ब्लड प्रेशर, कंजेस्टिव हार्ट फेल्योर, डायबिटीज व अन्य बीमारियों से भी अनिद्रा का सीधा संबंध है।
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हार्ट केयर फाउंडेशन (एचसीएफआई) के अध्यक्ष डॉक्टर के. के. अग्रवाल ने कहा, "आयुर्वेद में नींद का वर्णन वात और पित्त दोष के बढ़ने के रूप में मिलता है। इसका सबसे प्रमुख कारण है मानसिक तनाव, दबी हुई इच्छाएं और मन में तीव्र कड़वाहट। उन्होंने कहा, "इसके अलावा अनिद्रा के अन्य कारणों में कब्ज, अपच, चाय, कॉफी और शराब का अधिक सेवन तथा पर्यावरण में परिवर्तन, यानी अधिक सर्दी, गर्मी या मौसम में बदलाव।
ज्यादातर मामलों में ये सिर्फ प्रभाव होते हैं न कि अनिद्रा के कारण। अनिद्रा तीन प्रकार तीव्र, क्षणिक और निरंतर चलने वाली होती है। अनिद्रा से तात्पर्य है सोने में कठिनाई। इसका एक रूप है, स्लीप-मेंटीनेंस इन्सोम्निया, यानी सोए रहने में कठिनाई, या बहुत जल्दी जाग जाना और दोबारा सोने में मुश्किल। पर्याप्त नींद न मिलने पर चिंता बढ़ जाती है, जिससे नींद में हस्तक्षेप होता है और यह दुष्चक्र चलता रहता है। हाई ब्लड प्रेशर, कंजेस्टिव हार्ट फेल्योर, डायबिटीज व अन्य बीमारियों से भी अनिद्रा का सीधा संबंध है।
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हालिया एक रिसर्च में पता चला है कि लगभग 93 प्रतिशत भारतीय अच्छी नींद से वंचित हैं। इसके कारक लाइफस्टाइल से जुड़ी आदतों से लेकर हेल्थ की कुछ स्थितियों तक हैं। अनिद्रा को आमतौर पर एक संकेत व एक लक्षण दोनों रूपों में देखा जाता है, जिसके साथ नींद, चिकित्सा और मनोचिकित्सा विकार सामने आ सकते हैं। इस तरह के व्यक्ति को नींद आने में लगातार कठिनाई होती है।
डॉक्टर अग्रवाल ने अनिद्रा से निपटने हेतु सुझाव देते हुए कहा, "अगर आप कैफीन के प्रति संवेदनशील हैं तो 1 या 2 बजे के बाद कैफीनयुक्त पेय पदार्थ लेने से बचें। अल्कोहल की मात्रा सीमित करें और सोने से दो घंटे पहले अल्कोहल न लें। टहलने, जॉगिंग करने या स्विमिंग करने जैसी रेगुलर एरोबिक एक्सरसाइज में हिस्सा लें। इसके बाद आपको गहरी नींद आ सकती है और रात के दौरान नींद टूटती भी नहीं है। जितनी देर आप सो नहीं पाते हैं उन मिनटों का हिसाब रखने से दोबारा सोने में परेशानी हो सकती है। नींद उचट जाए तो घड़ी को अपनी निगाह से दूर कर दें। उन्होंने कहा, "एक या दो वीक के लिए अपने नींद के पैटर्न को ट्रैक करें।
अगर आपको लगता है कि आप सोने के समय में बिस्तर पर 80 प्रतिशत से कम समय बिना सोये बिता रहे हैं, तो इसका अर्थ है कि आप बिस्तर पर बहुत अधिक समय बिता रहे हैं। बाद में बिस्तर पर जाने की कोशिश करें और दिन के दौरान झपकी न लें। अगर आप शाम को जल्दी सोने लगें, तो रोशनी को तीव्र कर दें। डॉक्टर अग्रवाल ने कहा कि अगर आपका दिमाग सोच-विचार में लगा है या आपकी मसल्स तनाव में हैं, तो आपको सोने में मुश्किल हो सकती है। दिमाग को शांत करने और मसल्स को आराम देने के लिए, ध्यान करना, गहरी सांस लेना या मसल्स को आराम देने से लाभ हो सकता है।
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