दुनिया की खूबसूरती का अहसास करानी वाली हमारी आंखों हमारे लिए सबसे अनमोल चीजों में से एक हैं, लेकिन फिर भी हम आंखों के मामले में ऐसी लापरवाही करते हैं, जिनसे हमारी आंखों की रोशनी पर असर पड़ता है। हम अनजाने में ऐसे कई काम करते हैं, जिनसे हमारी आंखों पर बुरा असर पड़ता है और आगे चलकर हमारी आईसाइट कमजोर पड़ जाती है। एम्स की तरफ से हुए एक सर्वे के अनुसार स्मार्टफोन करीब से देखने की वजह से स्कूली बच्चों में मायोपिया की समस्या बढ़ रही है। इसी तरह महाराष्ट्र में मेडिकल स्टूडेंट्स पर हुए एक सर्वे में पाया गया कि ज्यादा देर तक मोबाइल फोन और गैजेट्स का इस्तेमाल करने वाले स्टूडेंट्स में से एक तिहाई को सिर दर्द और आखें बोझिल होने की समस्या पाई गई। अगर इस बारे में शुरू से ध्यान दिया जाए तो आंखों की हेल्थ को बरकरार रखा जा सकता है। तो आइए जानते हैं ऐसी ही कुछ आदतों के बारे में, जिनसे आंखों पर पड़ता है बुरा असर-
अक्सर ऑफिस से लौटने के बाद या रात को किचन का काम निपटाने के बाद महिलाएं थक चुकी होती हैं और रिलैक्स करना चाहती हैं। ऐसे समय में वे अक्सर लेटकर कम रोशनी में किताबें या मैगजीन पढ़ती हैं। इससे आंखों पर जोर पड़ता है क्योंकि रोशनी की कमी होने के कारण आंखों की पुतलियां फैल जाती हैं। इसका नतीजा ये होता है कि आंख के फोकस में नजदीक और दूर की चीजों के बीच फर्क कम हो जाता है।
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आंखों के डॉक्टर इस बात के लिए अक्सर चेताते हैं कि गैजेट्स पर ज्यादा देर बिताना आंखों को नुकसान पहुंचाता है। कंप्यूटर, टैबलेट, स्मार्टफोन और स्मार्ट टीवी आदि से निकलने वाली नीली लाइट सूरज से आने वाली अल्ट्रावॉयलेट किरणों की तरह नुकसानदेह साबित हो सकती है। यही नहीं, कंप्यूटर और लैपटॉप पर बहुत ज्यादा देर तक सर्फिंग करने से स्क्रीन से निकलने वाली नीली रोशनी के असर से मोतियाबिंद जैसी बीमारी तक हो सकती है। इस कारण बहुत सी महिलाएं रात में नींद नहीं आने की समस्या से भी जूझती हैं।
मोबाइल और कंप्यूटर पर काम करते हुए हम अक्सर उन्हें बहुत करीब से देखने लगते हैं। अपने काम में हम इतने मसरूफ रहते हैं कि इस तरफ हमारा ध्यान नहीं जाता, लेकिन अपनी इस आदत की वजह से हमारी आंखों पर काफी बुरा असर होता है। बहुत पास से टीवी और गैजेट्स देखने की वजह से आंखों का पर्याप्त मूवमेंट नहीं हो पाता। इस वजह से आंखें लंबे समय तक एक ही पॉइंट पर फोकस रहती हैं। इस कारण ड्राई आई सिंड्रोम की प्रॉब्लम हो जाती है यानी लगातार देखने की वजह से पलकें नही झपकतीं, जिसका नतीजा ये होता है कि आंखों की नमी कम हो जाती है। सामान्य तौर पर एक मिनट में आंखें 12-15 बार झपकती हैं, लेकिन स्क्रीन पर देखने पर आंखें मुश्किल से 5-6 बार ही झपकती हैं। इसके अलावा स्क्रीन से आने वाली इलेक्ट्रो मैग्नेटिक किरणें भी आंखों के रेटिना और कॉर्निया पर बुरा असर डालते हैं।
सिगरेट पीने का आंखों पर काफी बुरा असर पड़ता है। एक्टिव और पैसिव स्मोकिंग दोनों का ही आंखों पर बुरा असर होता है। गौरतलब है कि सिगरेट में पाए जाने वाले 4000 केमिकल्स शरीर के अंगों के साथ-साथ आंखों को भी नुकसान पहुंचाते हैं। ज्यादा सिगरेट पीने से आंखों में लाल धब्बे और आंखों से अन्य बीमारियां होने का खतरा भी बढ़ जाता है।
आई केयर में एक दशक से ज्यादा का तजुर्बा रखने वाले डॉ. संजय तेवतिया, सीनियर कंसल्टेंट, आई डिजीज बताते हैं,
'ज्यादा देर तक कंप्यूटर के सामने बिताने से कंप्यूटर विजन सिंड्रोम हो सकता है। ऐसे में कुछ अहम चीजों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है जैसे कि कमरे में पर्याप्त रोशनी होनी चाहिए। लाइट का रिफलेक्शन यानी प्रतिबिंब स्क्रीन पर नहीं पड़ना चाहिए, जिसे आप देख रहे हैं। स्क्रीन पर काम करने के हर आधे घंटे के बाद स्क्रीन से आंखें हटा लेनी चाहिए और दूर की चीज देखनी चाहिए। साथ ही एक घंटे बाद वर्कस्टेशन से उठना चाहिए और टहना चाहिए। इस दौरान हाथ-पैरों की स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज कर लेनी चाहिए। जो लोग ज्यादा देर तक स्क्रीन देखते हैं या ज्यादा काम करते हैं, उन्हें लिक्विड डाइट ज्यादा लेनी चाहिए। साथ ही इस बात का भी ध्यान रखें कि हरी सब्जी और दूध और मौसमी फलों का इस्तेमाल ज्यादा करना चाहिए। एसी की हवा आंखों को बहुत नुकसान पहुंचाती है, इसीलिए इस बात का भी ध्यान रखें कि एसी की हवा सीधे आंखों पर ना लगे।'
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