महान अभिनेत्री श्रीदेवी की sudden cardiac arrest के कारण 54 वर्ष की आयु में जान चली गई। क्या आपको heart attack और cardiac arrest के बीच के अंतर की जानकारी है? या क्या आप जानती हैं कि cardiac arrest होने के बाद अपनी लाइफ को बचाने के लिए कुछ सेकंड में क्या करना चाहिए? अगर नहीं तो आइए हमारे साथ-साथ आप भी जानें।
जी हां सदमा, लम्हे, इंग्लिश-विंग्लिश जैसे फिल्मों में अपने प्रदर्शन का लोहा मनवाने वाली, श्रीदेवी की अचानक cardiac arres का सामना करना पड़ा। जब वह अपने भतीजे मोहित मारवा की शादी के लिए दुबई गई हुई थीं। उनके अचानक निधन ने फिल्म उद्योग और उनके प्रशंसकों को चौंका दिया है। हर किसी के मन में यह सवाल उठ रहा है कि इतना फिट और हेल्दी दिखने के बाद भी अचानक से ऐसा क्या हो गया कि एक ही पल में उनकी मौत हो गई।
डॉक्टरों के अनुसार, इंसान कभी भी और किसी भी उम्र में 'कार्डिऐक अरेस्ट' का शिकार हो सकता है। मगर समय-समय पर स्वास्थ्य जांच कराकर कुछ हद तक इस समस्या से बचा जा सकता है। जब जीवन और मृत्यु की बात है, तो हर पल कीमती होता है। लेकिन यही समय आपके हाथ में है और किसी व्यक्ति को यह तय करने में हेल्प करता है कि आगे क्या किया जाना चाहिए। किसी व्यक्ति के जीवन को बचाने के लिए जब एक व्यक्ति के पास एक घंटे की बजाय सिर्फ एक सेकंड का समय होता है तो क्या करना चाहिए।
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क्या है golden hour
"Golden hour की अवधारणा एक घंटे का महत्वपूर्ण समय है, जिसके द्वारा एक दर्दनाक चोट या चिकित्सा आपातकाल से पीड़ित एक मरीज को अन्य शरीर के अंगों की अपूरणीय क्षति को रोकने और मृत्यु के लिए उचित चिकित्सा सहायता प्राप्त होनी चाहिए। यद्यपि ऐसा कुछ पत्थर की लकीर नहीं है, लेकिन रोगी को बचाने की संभावनाएं वास्तव में हाई होती हैं, अगर वह दर्दनाक घटना एक घंटे के भीतर चिकित्सकीय ध्यान पाती है।
इसलिए, हार्ट अटैक पड़ने की स्थिति में, Heart attack की शुरुआत के एक घंटे के भीतर रोगी को आपातकालीन देखभाल में लेने की सलाह दी जाती है! लेकिन ऐसा किसी व्यक्ति के बारे में नहीं कहा जा सकता है जो cardiac arrest का सामना कर रहा है।
Heart attack के दौरान, Heart केवल आंशिक रूप से ब्लड पंप करने की क्षमता को खो देता है। heart attack पड़ने वाला व्यक्ति हालत में कुछ मिनटों से घंटे तक चल सकता है, और फिर भी जीवित रह सकता है। कई लोग हार्ट अटैक और cardiac arrest से कंफ्यूज होते हैं। लेकिन दोनों में बहुत फर्क हैं।
हार्ट अटैक से अलग है कार्डियक अरेस्ट
हार्ट अटैक, कार्डियक अरेस्ट का कारण एक हो सकता है लेकिन ये दोनों ही दो अलग-अलग अवस्था हैं। हार्ट अटैक होना या हार्ट का काम करना बंद कर देना सुनने में भला एक जैसा लगता हो लेकिन मेडिकल साइंस में दोनों के मायने बिल्कुल अलग हैं। असल में हार्ट एक मसल्स है जिसे दूसरी मसल्स की तरह ऑक्सीजन और ब्लड सर्कुलेशन की जरूरत होती है और यह काम धमनियों के माध्यम से होता है। जब ये धमनियां ब्लॉक हो जाती है यानी जब ब्लड की सप्लाई किसी कारण से डिस्टर्ब हो जाती है या फिर प्रभावित होती है और हार्ट अटैक आता है। इस स्थिति में दिल शरीर के दूसरे हिस्सों को ब्लड सप्लाई करता रहता है।
Cardiac arrest
जबकि कार्डियक अरेस्ट हार्ट अटैक से बिल्कुल अलग है। कार्डियक अरेस्ट में हार्ट अचानक से बॉडी में ब्लड पम्प करना बंद कर देता है। ऐसे में वह व्यक्ति अचानक से बेहोश हो जाता है या तो वह सांस लेना बंद कर देता है या फिर नॉर्मल तरीके से सांस ले नहीं पाता। इस स्थिति में अगर समय रहते इलाज न मिले तो तत्काल मृत्यु भी हो सकती है। इसमें हार्ट सिर्फ धड़कना बंद कर देता है। हार्ट अटैक में इंसान का heart धड़कता रहता है, भले ही उसे arteries से ब्लड सर्कुलेशन नहीं मिल रहा होता है। जबकि कार्डियक अरेस्ट में हार्ट की धड़कन बंद होने के बाद मरीज को बाहरी artificial instruments से heart को फिर धड़कने के लिए प्रयास किये जाते हैं।
Heart attack और cardiac arrest के बीच का संबंध
हार्ट अटैक कई कारकों में से एक है जो cardiac arrest का कारण बनता है। खराब cardiovascular health, heart diseases, arrhythmia या irregular heartbeats कुछ अन्य कारक हैं जो हार्ट की electrical system को बाधित कर सकते हैं और heart attack को ट्रिगर कर सकते हैं।
हार्ट अटैक के लक्षण
रोगी को सीने के बीच जकड़न और तेज दर्द का एहसास होता है। यह कई मिनट तक रहता है, आराम करने से भी दर्द में राहत नहीं मिलता। हालांकि ये लक्षण ज्यादातर रोगियों में होते हैं लेकिन कई रोगियों को दर्द का पता भी नहीं चलता। दर्द का संचार धीरे-धीरे शरीर के अन्य अंगों जैसे बांहों, जबड़ों, गर्दन रीढ़ और कमर तक पहुंच जाता है। सांस लेने में तकलीफ होती है, शरीर में तेज पसीना भी आने लगता है, कमजोरी, गुस्सा, सर्दी का एहसास आदि अन्य लक्षण भी आने लगते हैं।
Cardiac arrest के लक्षण
सीने में दर्द, सांस लेने में तकलीफ, कमजोरी, चक्कर आना, घबराहट सा महसूस होने लगता है। कार्डियक अरेस्ट के दौरान रोगी अपनी चेतना अचानक खो बैठता है। वह कोई प्रतिक्रिया भी शारीरिक रूप से नहीं देता है। उसकी सांस भी अचानक रुक जाती है। नब्ज ठहर जाती है। दरअसल कार्डियक अरेस्ट में दिल धड़कना बंद कर देता है इसलिए नाड़ी गिरने लगती है। धीरे-धीरे शरीर के तमाम अंगों तक ब्लड पहुंचना बंद हो जाता है और इससे मरीज की मौत हो जाती है।
Cardiac arrest के ‘Golden Seconds’' में क्या करना चाहिए
Heart attack के मामले में, एक परिचर या बचाव करनेवाला के पास मरीज को अस्पताल ले जाने के लिए 'golden hour' होता है, लेकिन cardiac arrest के मामले में, आपके पास केवल, golden seconds होता है। इसलिए, cardiac arrest के लक्षणों की पहचान करने और तत्काल कार्रवाई करने के लिए सभी महत्वपूर्ण हैं।
जब किसी व्यक्ति को cardiac arrest का सामना करना पड़ता है, तो उसे तुरंत एम्बुलेंस के लिए फोन करना चाहिए, और साथ ही साथ cardiopulmonary resuscitation (सीपीआर) को प्रदर्शन करना चाहिए। सीपीआर में चेस्ट से हाथों से पर हार्ट प्रेसिंग शामिल होती है, जिसमें 120 सेकेंशन प्रति मिनट की गति होती है। यह तब तक किया जाना चाहिए जब तक चिकित्सा सहायता नहीं आती। सीपीआर का कोई भी रूप सीपीआर से बेहतर नहीं है।
अगर किसी व्यक्ति को पहले हार्ट अटैक या हार्ट फेल्योर हुआ हो उनमें कार्डियक अरेस्ट की आशंका बहुत बढ़ जाती है। यह खून की नलियों में गतिरोध वसा (कोलेस्ट्रॉल) के जमा होने से होता है। इसलिए आपके माता या पिता पक्ष में इस बीमारी से पीड़ित रहने के इतिहास है तो आपको इसके प्रति सचेत रहना चाहिए।
हार्ट अटैक के कारण अचानक मृत्यु
Asian Heart Institute की Cardio-Vascular-Thoracic Surgeon Dr. Ramakanta Panda ने श्रीदेवी के अचानक निधन पर कहा कि, "इस तरह से हार्ट अटैक के कारण अचानक मौत के दो कारण हैं-
भले ही हार्ट की नलियों में मेजर ब्लॉकेज ना हो लेकिन अगर आप ज्यादा स्ट्रेस में हैं तो भी यह हार्ट अटैक और मौत का कारण बन सकता है- इस तरह से ब्लॉकेज non-critical होती है और पकड़ में नहीं आती है।
रोगी की हार्ट की मसल्स का कमजोर होना- यह rhythmic है लेकिन हार्ट की मसल्स से उत्पन्न अनियमित संकेत के कारण हार्ट अचानक बंद हो जाता है इसे कार्डियोमायोपैथी भी कहा जाता है।'
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