आजकल ज्यादातर लोगों ऑफिस में कंप्यूटर और रास्ते और घर में मोबाइल से चिपके रहते हैं। उनके पास गर्दन उठाकर किसी की बात सुनने तक का भी टाइम नहीं है। अगर आप भी ऐसा ही कुछ करती है तो सावधान हो जाए क्योंकि ये आपकी स्पाइन को नुकसान पहुंचा सकता है। जी हां जो युवा गैजेट्स का इस्तेमाल जरूरत से ज्यादा करते हैं और लंबे समय तक एक ही पोजीशन में बैठकर काम करते हैं, उन्हें 'रिपिटेटिव इंजरी' होने की आशंका बढ़ जाती है। लेकिन परेशान होने की जरूरत नहीं क्योंकि अच्छे पोषण और भरपूर एक्सरसाइज को अपनाकर इससे आसानी से बची रह सकती हैं।
कोलंबिया एशिया हॉस्पिटल के स्पाइन सेवाओं के प्रमुख डॉक्टर अरुण भनोट का कहना है कि 20 से 40 साल की उम्र वाले प्रोफेशनल्स के बीच रीढ़ से जुड़ी समस्याएं अधिक देखी जा रही हैं। उन्होंने कहा कि रिपिटेटिव इंजरी स्ट्रेस इन्जरी (आरएसआई) को बार-बार एक ही प्रकार की गतिशीलता और ओवर-यूज की वजह से मसल्स और वेन्स का कारण बनता है। इस प्रॉब्लम को ओवरयूज सिंड्रोम, वर्क रिलेटेड अपर लिंब डिसॉर्डर के रूप में भी जाना जाता है।
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डॉक्टर भनोट कहते हैं, "इस उम्र के ज्यादातर लोग लंबा ट्रेवल करके ऑफिस पहुंचते हैं और रास्ते में मोबाइल पर सोशल मीडिया पर लगे रहते है। इसके बाद पूरा दिन ज्यादातर समय एक ही सीट पर बैठकर काम करते हैं। वे कंप्यूटर या लैपटॉप पर काम करते रहते हैं, लंबी मीटिंग के लिए बैठते हैं। घर पहुंचने के बाद भी वह गैजेट का इस्तेमाल करते हैं।"
लेकिन क्या आप जानती है कि लंबे समय तक गैजेट्स का इस्तेमाल रीढ़ की हड्डी पर प्रेशर डालता है। डॉक्टर भनोट बताते हैं, "इससे लिगामेंट में स्प्रेन का खतरा बढ़ जाता है जो वर्टिब्रा को बांधकर रखता है। ऐसे में मसल्स हार्ड होने लगता है और डिस्क में प्रॉब्लम होने का खतरा बढ़ जाता है। ज्यादातर लोग 40 साल से कम उम्र के हैं लेकिन उन्हें स्पाइन की गंभीर समस्या हो चुकी है और इनमें रिपिटेटिव स्ट्रेस इन्जरी सबसे ज्यादा आम है।"
किसी भी अन्य अंग की तरह अगर रीढ़ भी इस्तेमाल में रहती है तो हेल्दी बनी रहती है। लेकिन आजकल की लाइफस्टाइल के चलते बढ़ती उम्र के लोग ही नहीं बल्कि कम उम्र के लोग भी प्रॉब्लम हो रही है, क्योंकि वह ऐसी लाइफ जी रहे हैं जिसमें वह पूरी तरह से गैजेट पर निर्भर है। डॉक्टर भनोट का कहना है कि "सर्विकल स्पाइन जैसे कि स्लिप डिस्क, रिपिटेटिव स्ट्रेस इन्जरी, पीठ में दर्द और लिगामेंट की चोट ज्यादातर युवाओं में देखी जा रही आम समस्या है।"
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समय पर समस्या की पहचान करना सबसे जरूरी है। इसके बाद समस्या का समाधान करने के लिए लाइफस्टाइल में बदलाव किया जाना बेहद जरूरी है। इसके तहत अच्छा पोषण, हल्की एक्सरसाइज और रेगुलर इंटरवल में थोड़ी-थोड़ी देर तक टहलकर सिटिंग टाइम को कम करके दिक्कतों को दूर किया जा सकता है।
Source: IANS
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