मेनोपॉज किसी भी महिला के लिए काफी कठिन समय हो सकता है। यह वह वक्त होता है, जब महिला के पीरियड्स बंद होने शुरू हो जाते हैं। ऐसे में उसे हॉट फ्लैशेस से लेकर मूड स्विंग्स, थकान आदि कई तरह की शिकायतें होती हैं। हालांकि, इन शिकायतों के अलावा अधिकतर महिलाओं को जोड़ों में दर्द का अनुभव भी आम है।
ऐसा इसलिए भी होता है, क्योंकि महिला में एस्ट्रोजन ज्वॉइंट्स को प्रोटेक्ट करता है और सूजन को कम करता है। हालांकि, मेनोपॉज के दौरान एस्ट्रोजन का लेवल गिरता है, जिससे सूजन बढ़ सकती है। इससे ऑस्टियोपोरोसिस और ऑस्टियोआर्थराइटिस का खतरा बढ़ सकता है और आपको जोड़ों में बहुत अधिक दर्द हो सकता है। तो चलिए आज इस लेख में सेंट्रल गवर्नमेंट हॉस्पिटल के ईएसआईसी अस्पताल की डाइटीशियन रितु पुरी आपको बता रही हैं कि मेनोपॉज के दौरान महिला को जोड़ों में दर्द की शिकायत किन वजहों से होती है-
हार्मोनल परिवर्तन होना
मेनोपॉज एक ऐसा समय होता है, जब महिला के शरीर में हार्मोनल परिवर्तन होते हैं। इस दौरान अमूमन एस्ट्रोजन का लेवल कम हो जाता है। एस्ट्रोजन जोड़ों और हड्डियों के स्वास्थ्य को बनाए रखने में भूमिका निभाता है। यही कारण है कि जब महिला का मेनोपॉज पीरियड चल रहा होता है तो उस दौरान एस्ट्रोजन में कमी से जोड़ों में दर्द, स्टिफनेस और सूजन हो सकती है।
बॉडी में इंफ्लेमेशन बढ़ना
मेनोपॉज के दौरान शरीर में इंफ्लेमेशन भी बढ़ती है। दरअसल, इस दौरान हार्माेनल लेवल में तेजी से बदलाव (हेल्दी ड्रिंक) होता है, जिससे बॉडी में इंफ्लेमेशन लेवल भी बढ़ता है। जिसके कारण आपको जोड़ों के दर्द में शिकायत हो सकती है। खासतौर से, अगर किसी महिला को रुमेटीइड गठिया आदि की शिकायत है तो उसकी स्थिति बद से बदतर हो सकती है।
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वजन बढ़ने के कारण दर्द होना
मेनोपॉज के दौरान जब शरीर में तेजी से बदलाव हो रहे होते हैं तो इससे वजन भी बढ़ने लगता है। जब महिला का वजन मेनोपॉज के दौरान बढ़ने लगता है तो इससे स्वाभाविक रूप से जोड़ों पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है। जिसके कारण जोड़ों में दर्द की शिकायत हो सकती है। जिन महिलाओं को पहले से ही जोड़ों में दर्द की समस्या है, उनके लिए स्थिति काफी कठिन हो जाती है।
ऑस्टियोआर्थराइटिस की समस्या
ऑस्टियोआर्थराइटिस का खतरा उम्र के साथ बढ़ता है। खासतौर से, मेनोपॉज के दौरान महिलाएं इसके प्रति बहुत अधिक संवेदनशील (थाइरॉयड से बचने के तरीके) होती हैं। इस दौरान उनमें ऑस्टियोआर्थराइटिस विकसित होने का खतरा अधिक हो सकता है। इस स्थिति में ज्वॉइंट कार्टिलेज और हड्डी को नुकसान होता है। चूंकि मेनोपॉज के दौरान महिला में हार्मोनल बदलाव होते हैं, जो ऑस्टियोआर्थराइटिस को बढ़ावा दे सकते हैं। इससे आपको जोड़ों में दर्द व अकड़न का अनुभव हो सकता है।
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कोलेजन प्रोडक्शन का कम होना
एस्ट्रोजन एक ऐसा हार्मोन है, जो कोलेजन के उत्पादन में मदद करता है। यह एक प्रोटीन है, जो जोड़ों के लचीलेपन को बनाए रखने में मदद करता है। लेकिन मेनोपॉज के दौरान एस्ट्रोजन का लेवल काफी कम हो जाता है। जिसके कारण कोलेजन प्रोडक्शन में भी कमी आती है। इस स्थिति में ज्वॉइंट हेल्थ इफेक्ट होता है और आपको जोड़ों में दर्द की शिकायत हो सकती है।
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Image Credit- freepik
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