महिलाओं के शरीर में कई तरह के हार्मोन होते हैं इनमें असंतुलन पैदा होने पर कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इन्हीं हार्मोन में से एक है प्रोलैक्टिन हार्मोन, जो मुख्य रूप से महिलाओं में गर्भावस्था और स्तनपान के दौरान सक्रिय होता है। यह हार्मोन मस्तिष्क के पिट्यूटरी ग्रंथि द्वारा उत्पादित होता है, हालांकि जब प्रोलैक्टिन का स्तर असंतुलित हो जाता है तो यह शरीर पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि प्रोलैक्टिन के असंतुलित होने पर शरीर में कौन-कौन सी समस्याएं हो सकती हैं। इस बारे में हेल्थ एक्सपर्ट रामिता कौर ने जानकारी साझा की है।
प्रोलैक्टिन असंतुलित होने से क्या होता है?
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- प्रोलैक्टिन का असंतुलन मासिक धर्म चक्र को प्रभावित कर सकता है। इसका ज्यादा उत्पादन ओवुलेशन को रोक सकता है। इसके असंतुलन के कारण गर्भधारण में समस्या पैदा हो सकती है
- प्रोलैक्टिन का उच्च स्तर स्तनों में कोमलता और सूजन का कारण बन सकता है इसके कारण महिलाएं स्तन में दर्द और संवेदनशीलता महसूस कर सकती हैं।
- प्रोलैक्टिनके उच्च स्तर के कारण शरीर का मेटाबॉलिज्म धीमा पड़ सकता है जिससे वजन बढ़ने की संभावना बढ़ जाती है।
- प्रोलैक्टिन के असंतुलन होने से हड्डियों की डेंसिटी में कमी आ सकती है, जिससे ऑस्टियोपोरोसिस जैसी समस्या पैदा हो सकती है।
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प्रोलैक्टिन इंबैलेंस के कारण मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, जिसके कारण चिंता और एंग्जायटी को बढ़ावा मिल सकता है। मूड स्विंग्स में बढ़ोतरी हो सकती है
इसके अलावा शरीर में वसा का जमाव बढ़ सकता है खासकर पेट और कमर के आसपास जो कि मोटापे का कारण बन सकता है।
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Image Credit- Freepik
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