पॉलीसिस्टिक सिंड्रोम एक कॉमन एंडोक्राइन डिसऑर्डर है जो महिलाओं में आम हो चला है। इसके कारण पीरियड्स अनियमितता होती है। जब पीरियड्स होते हैं तो आपको बहुत ज्यादा दिनों तक हो सकते हैं। इस डिसऑर्डर के कारण आपके शरीर में एंड्रोजन हार्मोन की मात्रा भी बढ़ जाती है।
पीसीओएस वो स्थिति होती है जिसमें आपकी ओवरी में छोटी पानी के सैक्स हो जाते हैं। इन्हें सिस्ट कहा जाता है और इनमें इमैच्योर अंडे होते हैं। पीसीओएस होने का क्या असल कारण है यह तो पता नहीं लेकिन इसके लक्षण यदि पता हो तो उसे मैनेज करना आपके लिए आसान हो सकता है।
कई महिलाओं को इसके बारे में पता ही नहीं होता है। Futterweit की एक स्टेस्टिकल रिपोर्ट के मुताबिक, 50-75 प्रतिशत महिलाएं इस चीज से अनजान होती हैं कि उन्हें ये सिंड्रोम है।
गाइनोक्लोजिस्ट डॉ. तनुश्री पांडे पडगांवकर इंस्टाग्राम पर अक्सर महिलाओं की हेल्थ से जुड़ी समस्याएं, जानकारी और हल शेयर करती रहती हैं। उन्होंने अपने एक पोस्ट में बताया, 'यह एक हार्मोनल डिसऑर्डर है, जिसमें ओवरी में कई सारे छोटे फॉलिकल उत्पन्न हो जाते हैं। शरीर में एंड्रोजन और इंसुलिन का लेवल हाई हो तो पीसीओएस हो सकता है।'
डॉ. तनुश्री इसके लक्षण और इसे मैनेज करने का तरीका भी बताती हैं। आइए इस आर्टिकल में हम पीसीओएस को मैनेज करने का तरीका जानें।
क्या है पीसीओएस के लक्षण?
पीसीओएस के कुछ ऐसे लक्षण हैं जो आपको शुरू-शुरू में दिखाई देंगे। इन लक्षणों में चेहरे पर बाल होने लगते हैं, अचानक वजन बढ़ता है, बॉडी हेयर बढ़ने लगते हैं, चेहरे पर मुंहासे निकल आते हैं और अन्य कई समस्याएं होने लगती हैं।
अनियमित पीरियड्स होना- अगर आपको पीसीओएस है, तो आपके पीरियड्स अनियमित हो सकते हैं। ऐसा भी हो सकता है कि यह पूरी तरह से जाएं। आपको पता न हो तो बता दें कि औसत मासिक धर्म चक्र 28 दिनों का होता है। एकक ओव्यूलेशन के साथ जब एक एग रिलीज होता है, लेकिन 21 से 35 दिनों के बीच अगर यह हो तो भी सामान्य माना जाता है। एक 'अनियमित' साइकिल प्रति वर्ष आठ या उससे कम होती है।
अचानक बढ़ता है वजन- पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम वाली महिलाओं में वजन बढ़ने का मुख्य कारण इंसुलिन प्रतिरोध है। इंसुलिन प्रतिरोध तब होता है जब शरीर में कुछ कोशिकाएं अग्न्याशय द्वारा उत्पादित इंसुलिन का जवाब नहीं देती हैं। नतीजतन, अग्न्याशय सामान्य ब्लड शुगर के स्तर को बनाए रखने के लिए अधिक इंसुलिन का उत्पादन करता है। इससे एंड्रोजन का अधिक उत्पादन होता है और वजन बढ़ता है। यह एक दुष्चक्र बनाता है जिसमें इंसुलिन प्रतिरोध बढ़ता है, इसलिए लक्षण और वजन बढ़ता है।
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कैसे करें पीसीओएस मैनेज?
डाइट में करें बदलाव
अगर आप अपने आहार को अच्छा और स्वस्थ बनाएं तो आपकी आधी परेशानी कम हो सकती है। इस दौरान उच्च फाइबर खाद्य पदार्थ आपको अपने आहार में शामिल करने चाहिए। यह पाचन को धीमा करके और रक्त पर शर्करा के प्रभाव को कम करके इंसुलिन प्रतिरोध का मुकाबला करने में मदद कर सकते हैं। साथ ही अगर आप अपने आहार में एंटी-इंफ्लेमेटरी खाद्य पदार्थों को शामिल करती हैं तो पीसीओएस के लक्षणों को कम करने में मदद मिल सकती है।
स्ट्रेस मैनेजमेंट करें
पीसीओएस को नियंत्रण में रखने के लिए तनाव प्रबंधन आवश्यक है। पर्याप्त नींद लें और अपने तनाव के स्तर को कम करने के लिए ध्यान और अन्य विश्राम तकनीकों का अभ्यास करें। जब पीसीओएस के प्रबंधन की बात आती है, तो जीवनशैली फैक्टर एक मजबूत भूमिका निभा सकते हैं। इन कारकों में से एक तनाव है, जो पीसीओएस की समस्या को बिगाड़ सकता है।
एक्सरसाइज करें
व्यायाम और किसी भी तरह का वर्कआउट करने से भी पीसीओएस में काफी मदद मिलती है। एक महिला के शरीर के कम से कम 5 प्रतिशत वजन घटाने से महिलाओं को ओव्यूलेशन चक्र बहाल करने और उनकी साइकिल की नियमितता में सुधार करने में मदद मिल सकती है। पीसीओएस और बांझपन के प्रबंधन में अकेले आहार की तुलना में आहार और व्यायाम के प्रयासों का संयोजन अधिक प्रभावी है।
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अगर आप भी पीसीओएस जैसी समस्या से गुजर रही हैं तो अपनी गायनोक्लोजिस्ट से संपर्क करें। अपनी जीवनशैली में अच्छे बदलाव करें और नियमित रूप से एक्सरसाइज करें।
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