डायबिटीज सिर्फ एक बीमारी नहीं है। यह कई हेल्थ प्रॉब्लम्स तब्दील हो जाती है और अगर इसे सही तरीके से मैनेज नहीं किया गया तो ये मरीज के लिए आजीवन कष्ट का कारण बन सकता है। रेगुलर इंसुलिन की खुराक लेने के अलावा, बैलेंस डाइट लेना और वजन को कंट्रोल में रखने के लिए एक्टिविटी करना बहुत जरूरी है। अगर बॉडी में बहुत अधिक फैट टिश्यु है, तो यह इंसुलिन के काम को प्रभावित करना शुरू कर देता है। एक ताजा अध्ययन में यह बात सामने आई है कि जिन महिलाओं को टाइप 1 डायबिटीज होती है, उनके प्रजनन हेल्थ को लेकर भी परेशानी हो सकती है।
हाल ही में हुए एक अध्ययन में यह बात सामने आई है कि मोटापा टाइप 1 डायबिटीज से ग्रस्त महिलाओं में प्रजनन संबंधी समस्याए हो सकती है। ये अध्ययन ENDO 2019 में प्रस्तुत किया गया था। जो न्यू ऑरलियन्स, ला में एंडोक्राइन सोसाइटी की वार्षिक बैठक के पहले के अध्ययनों से पता चला है कि टाइप-1 डायबिटीज पीरियड्स की अनियमितता और प्रजनन क्षमता की कम दर से जुड़ा हुआ है।
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टाइप-1 डायबिटीज से पीडि़त महिलाओं को वर्तमान ट्रीटमेंट में सुधार के बावजूद प्रजनन समस्याओं का खतरा बना रहता है, और इस समूह में मोटापे के प्रसार द्वारा आंशिक रूप से इसे समझाया जा सकता है," यह कहना ऑस्ट्रेलिया के प्रमुख शोधकर्ता एलेनोर थोंग, एमबीबीएस, मोनाश सेंटर फॉर हेल्थ रिसर्च और कार्यान्वयन, क्लेटन का है।
क्या कहती है रिसर्च
शोधकर्ताओं ने बड़े सामुदायिक-आधारित ऑस्ट्रेलियाई अध्ययन से महिला हेल्थ (ALSWH) के आंकड़ों का विश्लेषण किया। अध्ययन में 18-23 और 34-39 आयु वर्ग की कुल 23,752 महिलाओं को शामिल किया गया। इन महिलाओं में से 162 को टाइप 1 डायबिटीज था। शोधकर्ताओं ने पाया कि टाइप 1 डायबिटीज़ वाली 24 प्रतिशत महिलाएं मोटापे से ग्रस्त थीं, जिनकी तुलना में बिना डायबिटीज़ के 16 प्रतिशत महिलाएं थी। एक और उल्लेखनीय खोज यह थी कि टाइप 1 डायबिटीज के साथ चार में से एक महिला वर्तमान धूम्रपान करने वाली थी, 6 में से एक की तुलना में।
गर्भधारण में कठिनाई
टाइप 1 डायबिटीज वाले 47 फीसदी महिलाओं में पीरियड्स में अनियमितता देखी गई, जबकि बीमारी के बिना 35 फीसदी महिलाओं में यह पाया गया। पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) 14 प्रतिशत डायबिटीज से ग्रस्त महिलाओं में पाई गई, जबकि बीमारी के बिना 5 प्रतिशत लोगों में। पीसीओ के साथ महिलाएं मेल-टाइप हार्मोन की तुलना में अधिक-सामान्य मात्रा में उत्पादन करती हैं। यह हार्मोन पीरियड्स में असंतुलन और गर्भधारण में कठिनाई का कारण बनता है। पीरियड्स में अनियमितता इस बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई), हाई ब्लड प्रेशर, स्मोकिंग और पीसीओएस में वृद्धि के साथ जुड़ी हुई थी।
"यूनिवर्सल हेल्थकेयर और बेहतर डायबिटीज मैनेजमेंट के बावजूद, गर्भपात और स्टिलबर्थ का खतरा टाइप 1 डायबिटीज वाली महिलाओं में बढ़ा हुआ है। बीएमआई बढ़ने से पीसीओएस, पीरियड्स और प्रजनन समस्याओं के विकास में भूमिका हो सकती है। इसके अलावा, धूम्रपान एक बढ़े हुए जोखिम के साथ पीरियड्स संबंधी विकार और गर्भपात से जुड़ा हुआ है।'' यह बात मोनाश सेंटर फॉर हेल्थ रिसर्च एंड इंप्लीमेंटेशन के पीएच.डी.सह-लेखक प्रोफेसर हेलेना टीडे, एमबीबीएस ने कहीं।
उन्होंने कहा, '' प्रेग्नेंसी से पहले देखभाल के लिए टाइप -1 डायबिटीज ग्रस्त महिलाओं को वजन प्रबंधन और धूम्रपान बंद करना शामिल है, गर्भावस्था में जटिलताओं को कम करना अनिवार्य है।''
Source: ANI
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