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मोटी महिलाओं में प्रेग्‍नेंसी की संभावना होती है कम, बढ़ता है कई बीमारियों का खतरा

एक्‍सपर्ट की माने तो ज्‍यादा वजन वाली महिलाओं को प्रेग्‍नेंसी में पतली महिलाओं की तुलना में एक साल से अधिक का समय लग सकता है।
Her Zindagi Editorial
Updated:- 2018-10-24, 12:55 IST

मां बनना हर महिला के लिए सबसे खूबसूरत एहसास होता है। यह ऐसा एहसास है जो महिला ही नहीं बल्कि उससे जुड़े सभी लोगों को रोमांचित कर देता है। बच्‍चे की किलकारी से घर का माहौल खुशनुमा और पॉजिटीव हो जाता है। लेकिन प्रेग्‍नेंट होना इतना आसान भी नहीं है। कुछ महिलाओं में प्रेग्‍नेंसी की संभावना अन्‍य महिलाओं के मुकाबले बहुत कम होती है। जी हां ज्‍यादा वजन वाली महिलाओं को प्रेग्‍नेंसी में बैलेंस वजन वाली महिलाओं के मुकाबले एक साल से अधिक का समय लग सकता है। मोटापे से पीड़ित महिलाओं में गर्भपात की आशंका भी दोगुनी से अधिक रहती है।

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Image Courtesy: sarahkhooyw.com

क्‍या कहती हैं एक्‍सपर्ट

फर्टिलिटी साल्यूशंस, मेडिकवर फर्टिलिटी की क्लीनिकल डायरेक्टर और सीनियर कंसल्टेंट डॉक्‍टर श्वेता गुप्ता के मुताबिक, अधिक वजन या मोटापे से पीड़ित महिलाओं में गर्भधारण की संभावनाएं अपेक्षाकृत कम रहती हैं।

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शोध बताते हैं कि मोटापा मुख्य कारण तो नहीं है, लेकिन इनफर्टिलिटी का महत्वपूर्ण कारण जरूर है। मोटापे के कारण एंड्रोजन, इंसुलिन जैसे हार्मोन का अत्यधिक निर्माण जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं या अंडोत्सर्जन तथा शुक्राणु के लिए नुकसानदेह प्रतिरोधी हार्मोन बनते हैं। लिहाजा, हेल्‍दी लाइफस्टाइल अपनाएं। इससे न सिर्फ आपकी फर्टिलिटी बढ़ेगी, बल्कि आप फिट भी रह सकती हैं।

मोटापे के कारण बॉडी को होता है नुकसान

वहीं दूसरे हेल्थ एक्सपर्ट बताते हैं कि मोटापे के कारण आपकी बॉडी को बहुत ज्यादा नुकसान होता है। मोटापे से पीड़ित व्यक्तियों में टाइप 2 डायबिटीज, हाई ब्लडप्रेशर, हार्ट डिजीजी और यहां तक कि कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियां भी उभर सकती हैं। आज युवाओं में मोटापे के मामले आश्चर्यजनक रूप से बढ़ रहे हैं। एक ही जगह पर लंबे समय तक बैठ कर लगातार वेब सीरीज देखते रहना आज युवाओं में एक नया चलन बन गया है और इस वजह से भी बचपन से ही लोग मोटापे का शिकार हो जाते हैं।

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Image Courtesy: Shutterstock.com

तनाव भी बढ़ाता है मोटापा

बालाजी एक्शन मेडिकल इंस्टीट्यूट के सीनियर कंसल्टेंट, गैस्ट्रोइंट्रोलोजिस्ट, डॉक्‍टर जी.एस. लांबा के मुताबिक, अगर आप तनाव में रहते हैं तो आप मोटापे का शिकार हो सकते हैं। तनाव कई तरीके से वजन बढ़ाने में योगदान कर सकता है। तनाव की वजह से हमारी बॉडी में कई हार्मोन पैदा होते हैं, जिनमें कोर्टिसोल भी एक है। यह हार्मोन फैट स्टोरेज और बॉडी की एनर्जी खपत प्रबंधित करने का काम करता है। कोर्टिसोल का लेवल बढ़ने से भूख भी बढ़ जाती है। इस वजह से मीठा और फैट वाला फूड खाने की इच्छा बढ़ जाती है।


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क्‍या करें

उन्होंने कहा, गंभीर तनाव की स्थिति में फैट के रूप में बॉडी में एनर्जी इकट्ठा होने लगती है और यह हमारे पेट पर सबसे ज्यादा असर करती और फैट बढ़ाता है। मोटापे के कारण हार्ट डिजीज, डायबिटीज, ओस्टियो-अर्थराइटिस आदि जैसी कई स्वास्थ्य समस्याएं पैदा होती हैं।

  • इन सभी बीमारियों का रिस्क फैक्टर कम करने के लिए आपको रोजाना कम से कम एक घंटे तक थोड़ी सी एक्‍सरसाइज करना चाहिए।
  • अपनी डाइट में बैलेंस डाइट लेना जरूरी है। 
  • ज्यादा तनाव न लें और फिट एवं हेल्‍दी रहने के लिए अपने व्यक्तिगत तथा प्रोफेशनल लाइफ में संतुलन बनाए रखें।

 

 

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