भारत में गर्भवती महिलाएं आमतौर पर अपने स्वास्थ्य और उचित पोषण पर ध्यान नहीं देतीं, वैक्सीन के जरिए इम्यून करने के लिए उन्हें सिर्फ टिटनस टॉक्सोइड के दो स्टैंडर्ड डोज दिए जाते हैं। भारत में वैक्सीन के जरिए बीमारियों से सुरक्षा पर उतना ध्यान नहीं दिया गया है। इन्फेक्शन से बचाव के लिए सबसे अच्छा तरीका है वैक्सिनेशन, लेकिन इस ओर ध्यान ना देने पर कई बार नतीजे बहुत गंभीर भी हो जाते हैं। डॉक्टर्स को सभी गर्भवती महिलाओं को वैक्सीन लगवाने की सलाह देनी चाहिए। इस बारे में हमने बात की Dr. Anahita Chauhan (MD, DGO, DFP, FICOG) से और उन्होंने हमें अहम जानकारी दीं-
Tdap वैक्सीन से इन बीमारियों के खिलाफ मिलती है सुरक्षा
Tdap वैक्सीन लगवाने से Tetanus, Diphtheria और Pertussis जैसी प्रॉब्लम्स से सुरक्षित रहा जा सकता है। Pertussis या Whooping cough एक संक्रामक respiratory infection है, जो म्यूकस मैंब्रेन और रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट को प्रभावित करता है। इस इन्फेक्शन से म्यूकोसा डैमेज होता है और तेज खांसी आती है।
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Pertussis दुनियाभर में नवजात शिशुओं की मौत की सबसे बड़ी वजह है। नवजात शिशु जब 6 हफ्ते के हो जाते हैं, तब उन्हें Tetanus, Diphtheria और Pertussisके टीके लगने शुरू हो जाते हैं। इस वैक्सिनेशन का असर बच्चों पर 4-12 साल की उम्र में घटने लगता है। ऐसे नवजात शिशु, जिन्हें ये टीका नहीं लगता, उनके Pertussisसे पीड़ित होने की आशंका बढ़ जाती है। आमतौर पर पेरेंट्स में यह बीमारी होने पर बच्चों में इसका संक्रमण हो जाता है। अगर पेरेंट्स बच्चे की सुरक्षा की खातिर टीका लगवा लें, खासतौर पर उसकी मां, तो बच्चों में संक्रमण होने का खतरा नहीं रहता।
क्या है Tdap वैक्सीन
Tdap वैक्सीन एक इनेक्टिव कॉम्बिनेशन वैक्सीन है, जिसमें Tetanus, Diphtheriaऔर Acellular Pertussis का टीका सिंगल शॉट में दिया जाता है। इससे इन तीनों इन्फेक्शन से सुरक्षा मिलती है।
महिलाओं को कब Tdap का टीका लगवाना चाहिए
जिन महिलाओं को Tdap का टीका लग चुका होता है, उन्हें भी हर प्रेग्नेंसी पर Tdap का टीका लगवाने की सलाह दी जाती है। हालांकि Tdap का टीका प्रेग्नेंसी के दौरान कभी भी लगवाया जा सकता है, लेकिन इसे लगवाने का सही समय है 27वें से लेकर 36वें हफ्ते के बीच का, जिसमें मां के शरीर का एंटी बॉडी रेसपॉन्स सबसे ज्यादा होता है और एंटी बॉडीज गर्भ में पल रहे शिशु में जाती हैं। आदर्श रूप में TT के पहले डोज को दूसरे ट्राईमेस्टर में Td से बदल देना चाहिए और उसके बाद इसे Tdap से बदल देना चाहिए। अगर यह वैक्सीन नवजात शिशु के गर्भ में कम से कम 20 हफ्ते पूरे होने के होने के बाद दे दी जाती है, तो बच्चे में इन्फेक्शन की आशंका बहुत कम हो जाती है। अगर गर्भावस्था के दौरान यह वैक्सीन नहीं लगती, तो शिशु के पैदा होने के बाद तुरंत ही ये वैक्सीन बच्चे को लग जानी चाहिए।
Tdap वैक्सीन लगवाने के अच्छे मिले हैं नतीजे
गर्भवती महिलाओं को यह सलाह दी जाती है कि वे अपनी प्रेग्नेंसी के बाद वाले चरण में या फिर पोस्टपार्टम के दौरान वैक्सीन लगवा लें। इससे बच्चे से फिजिकल कॉन्टेक्ट में आने से दो हफ्ते पहले महिलाएं वैक्सिनेटेड हो जाती हैं, जिससे बच्चे को Pertussis होने की आशंका नहीं रहती। Tdap वैक्सीन से नवजात शिशुओं में Pertussis रोकने में सफलता हासिल हुई है। साथ ही इससे नवजात शिशु के हॉस्पिटलाइजेशन और Pertussis के कारण होने वाले गंभीर स्थितियों से बचाव में भी कामयाबी मिली है।
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Reference:
The material provided by the doctor
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