पीसीओएस की समस्या को नेचुरली करना है मैनेज तो फॉलो करें इंटरमिटेंट फास्टिंग

अगर आप पीसीओएस की शिकायत से जूझ रही हैं तो ऐसे में आपको इंटरमिटेंट फास्टिंग का ऑप्शन चुनना चाहिए। इससे आपको यकीनन फायदा होगा।
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आज के समय में अधिकतर महिलाएं पीसीओएस की समस्या से जूझ रही हैं। पीसीओएस की समस्या होने पर ना केवल आपको अधिक वजन के कारण परेशान होना पड़ता है, बल्कि इसके साथ-साथ आपको मूड स्विंग से लेकर अनियमित पीरियड्स जैसी कई समस्याओं से जूझना पड़ता है। ऐसे में यह बेहद जरूरी हो जाता है कि आप पीसीओएस को मैनेज करें और इसका सबसे पहला व बेसिक स्टेप है अपने लाइफस्टाइल को बदलना।

अगर आप भी पिछले काफी समय से पीसीओएस को मैनेज करने की जद्दोजहद में जुटी हैं तो ऐसे में इंटरमिटेंट फास्टिंग करना आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। अक्सर पीसीओएस को मैनेज करने के लिए हम सभी वजन कम करना चाहती हैं और इसके लिए अपने खाने को प्रतिबंधित करती है। लेकिन इंटरमिटेंट फास्टिंग आपके खाने की टाइमिंग पर अधिक फोकस करती है। जिससे इंसुलिन सेंसेटिविटी बेहतर होने से लेकर हार्मोन बैलेंस करने और वजन घटाने में भी मदद मिलती है। जिससे आपको पीसीओएस में काफी फायदा मिलता है। तो चलिए आज इस लेख में सेंट्रल गवर्नमेंट हॉस्पिटल के ईएसआईसी अस्पताल की डाइटीशियन रितु पुरी आपको बता रही हैं कि पीसीओएस की समस्या होने पर इंटरमिटेंट फास्टिंग किस तरह फायदा पहुंचा सकती है-

इंसुलिन सेंसेटिविटी होती है बेहतर

जब आप इंटरमिटेंट फास्टिंग को फॉलो करती हैं तो इससे आपकी इंसुलिन सेंसेटिविटी बेहतर होती है। जिससे आपको पीसीओएस में लाभ होता है। दरअसल, पीसीओएस वाली अधिकतर महिलाओं में इंसुलिन का स्तर अधिक होता है। ऐसे में उनके शरीर के लिए ब्लड शुगर लेवल को मैनेज करना मुश्किल हो जाता है। इससे ना केवल वजन तेजी से बढ़ता है, बल्कि हार्मोनल असंतुलन की शिकायत भी होती है। लेकिन इंटरमिटेंट फास्टिंग के जरिए जब आप अपने खाने की टाइमिंग को सेट करती हैं तो इससे इंसुलिन लेवल को बेहतर बनाने में भी मदद मिलती है।

हार्मोन होते हैं बैलेंस

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पीसीओएस की समस्या होने पर हार्मोन असंतुलित होने लगते हैं। लेकिन जब आप इंटरमिटेंट फास्टिंग करते हैं तो इससे हार्मोन बैलेंस करने में मदद मिलती है। दरअसल, इंटरमिटेंट फास्टिंग फॉलो करने से आपका वजन धीरे-धीरे कम होने लगता है, जिससे आपके हार्मोन बैलेंस होने लगते हैं। इसके अलावा, इंटरमिटेंट फास्टिंग से आपके शरीर में ऐसे परिवर्तन होते हैं जो इंसुलिन और एण्ड्रोजन के स्तर को कम करते हैं। यह बालों के विकास या मुंहासे जैसे पीसीओएस लक्षणों को कम कर सकता है।

मेटाबॉलिज्म होता है बूस्ट

अक्सर वजन कम करने के लिए लोग क्रैश डाइट फॉलो करते हैं, लेकिन यह आपको काफी सुस्त महसूस करवाती है। लेकिन जब आप इंटरमिटेंट फास्टिंग करते हैं तो फास्टिंग पीरियड के दौरान आपका शरीर में पहले से ही स्टोर फैट को एनर्जी में बदलता है। इससे ना केवल आपका वजन कम होता है, बल्कि मेटाबॉलिज्म भी बूस्टअप होता है।

अतिरिक्त भूख होती है नियंत्रित

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पीसीओएस में आपके भूख से जुड़े हार्मोन ग्रेलिन और लेप्टिन का तालमेल बिगड़ सकता है, जिससे आपको अत्यधिक खाने की इच्छा हो सकती है। लेकिन इंटरमिटेंट फास्टिंग इन भूख हार्मोन को रीसेट करने में मदद कर सकती है, जिससे यह पहचानना आसान हो जाता है कि आपको वास्तव में कब भूख लगी है और कब आपको बस यूं ही क्रेविंग्स हो रही है। इससे जब आप अपनी अतिरिक्त भूख को नियंत्रित कर पाते हैं तो इससे आपकी ओवर ऑल हेल्थ सुधरती है।

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Image Credit- freepik

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