अगर कोई नेचुरल तरीके से प्रेग्नेंट नहीं हो रहा है, तो लोग सबसे पहले IVF को चुनते हैं। IVF को मेडिकल टर्म में बहुत ही आसान प्रोसेस कहा जाता है, लेकिन किसी महिला के लिए यह कई सारे साइकोलॉजिकल और इमोशनल बदलावों से होकर गुजरता है। इस दौरान ना सिर्फ मूड में बदलाव हो सकते हैं, बल्कि हेल्थ को लेकर कुछ चिंताएं भी सता सकती हैं। एक तो मां ना बन पाने का स्ट्रेस और दूसरा हार्मोनल इंजेक्शन का स्ट्रेस।
आईवीएफ की तकनीक को पूरी तरह से समझने और उसके बारे आमतौर पर पूछे जाने वाले सवालों के जवाब देने के लिए हमने व्हाइटफील्ड के मनीपाल हॉस्पिटल की आईवीएफ और रिप्रोडक्टिव मेडिसिन की कंसल्टेंट डॉक्टर अरुणिमा हल्दर (Dr. Arunima Haldar, Consultant - IVF & Reproductive Medicine, Manipal Hospital Whitefield) से बात की। डॉक्टर अरुणिमा ने पहली कड़ी में हमें बताया था कि IVF के जरिए प्रेग्नेंट कैसे होते हैं और अब इसी सीरीज की दूसरी कड़ी में वो बताने जा रही हैं कि IVF के कारण शरीर में किस तरह से बदलाव होते हैं।
IVF के दौरान मूड पर होगा सबसे ज्यादा असर
डॉक्टर अरुणिमा का कहना है कि IVF एक्सपीरियंस का सबसे कॉमन पार्ट है मूड स्विंग्स। हालांकि, सही केयर के साथ इन्हें मैनेज किया जा सकता है, लेकिन फिर भी IVF कई मायनों में महिलाओं के लिए मुश्किल हो सकता है। इस दौरान परिवार और दोस्तों का सपोर्ट जरूरी होता है। इसके साथ ही, महिलाओं को इस दौरान साधारण फिजिकल वर्कआउट भी करना चाहिए।
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IVF के दौरान शरीर लगता है फूला हुआ
IVF के एक और लक्षण में से एक है ब्लोटिंग। आमतौर पर जब बहुत सारे फॉलिकल्स बन रहे होते हैं, तब शरीर फूलने लगता है। हार्मोन इंजेक्शन के आखिरी कुछ दिनों में ये साइड इफेक्ट देखा जाता है। ब्लोटिंग से बचने के लिए आपको हाइड्रेट रहना चाहिए और हाई प्रोटीन डाइट लेनी चाहिए। इसी के साथ, कुछ हल्की-फुल्की स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज भी करनी चाहिए।
IVF के दौरान शरीर का बढ़ जाता है वजन
आईवीएफ ट्रीटमेंट के दौरान शरीर का वजन भी बढ़ने लगता है। महिलाओं का 2-3 किलो वजन बढ़ सकता है। ऐसा अधिकतर वाटर रिटेंशन की वजह से होता है और यह वजन कम भी किया जा सकता है। इस वेट गेन से अमूमन अगले पीरियड तक ही असर होता है। एक बार आपके एग्स निकाल लिए गए और हार्मोनल इंजेक्शन बंद हुए, तो वजन भी अपने आप ही नॉर्मल हो जाता है।
IVF के दौरान होती है कब्ज की समस्या
आपके मेटाबॉलिज्म पर तो ज्यादा असर नहीं पड़ता, लेकिन आपके डाइजेशन पर जरूर IVF का असर पड़ सकता है। आपको यह समझना होगा कि यह सब हार्मोन्स में बदलाव के कारण हो रहा है। यह धीरे-धीरे ठीक हो जाएगा। आपको इस दौरान ज्यादा फाइबर वाली डाइट लेनी चाहिए। इसके साथ ही कई सारे फल और सब्जियां खानी चाहिए। यह आपकी डाइजेस्टिव हेल्थ को बेहतर बनाने के लिए जरूरी है।
IVF के दौरान हो सकती है सिरदर्द की समस्या
जिन महिलाओं को माइग्रेन की समस्या है उन्हें सिरदर्द हो सकता है। इस दौरान आप कोई भी पेन किलर डॉक्टर की परमीशन के बिना ना लें क्योंकि पेन किलर्स आपके हार्मोनल इंजेक्शन के असर को कम कर सकती हैं। सिरदर्द कितना कम या ज्यादा होगा यह पेशंट के ऊपर ही निर्भर करता है।
IVF के दौरान होगी थकान और आएगी ज्यादा नींद
IVF के दौरान एक बहुत ही कॉमन लक्षण यही है कि इस समय आपको ज्यादा नींद और थकान महसूस होगी। यह शरीर का नेचुरल रिस्पॉन्स है क्योंकि ज्यादा फॉलिकल्स शरीर में बन रहे होते हैं। इस दौरान आपको अपना ख्याल रखना है और रेस्ट जरूर लेनी है।
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IVF के दौरान हो सकता है पेट में दर्द या क्रैम्प्स
जिस तरह का दर्द आप पीरियड्स के दौरान महसूस करती हैं या फिर क्रैम्प्स होते हैं, उसी तरह का दर्द आप इस दौरान महसूस कर सकती हैं। हालांकि, यह बहुत ज्यादा हो रहा है, तो डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। कई महिलाओं को हार्मोनल इंजेक्शन के कारण ऐसा होता है।
कुल मिलाकर IVF के दौरान होने वाले फिजिकल और इमोशनल बदलाव आम हैं और सही सपोर्ट और केयर के साथ ये कम हो सकते हैं। आपको लक्षण सही से मैनेज करने की जरूरत है। IVF प्रोसेस बिना किसी तकलीफ के हो इसलिए आपको डॉक्टर से पूरी जानकारी और अपने सभी हेल्थ चेकअप के बाद ही इसे करना चाहिए।
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