लंबे समय तक यूरीन रोकने की आदत आपमें भी हैं तो सावधान हो जाएं

कई बार अनजाने में तो कभी जानबूझकर हम लंबे समय तक यूरीन रोककर रखती हैं। लेकिन क्‍या आप जानती हैं कि यूरीन को ज्‍यादा देर तक रोकना आपकी हेल्‍थ को नुकसान पहुंचा सकता है।

  • Pooja Sinha
  • Her Zindagi Editorial
  • Updated - 2018-09-25, 13:51 IST
holding pee health main

यूरीन बॉडी का नॉर्मल प्रोसेस है, जिसे महसूस होने पर 1 से 2 मिनट के अंदर इसे कर भी लेना चाहिए। जी हां ब्‍लैडर के भरने पर आपके ब्रेन को वॉशरूम जाने का संकेत मिलता है। और पसीने की तरह यूरीन के माध्यम से भी बॉडी डिटॉक्‍स होती हैं। लेकिन अगर वह थोड़े समय भी अधिक बॉडी में रहते हैं, तो इंफेक्‍शन की शुरुआत हो सकती है। इसलिए कभी भी तेज यूरीन आए तो इसे रोकना नहीं चाहिए। जबकि कई महिलाएं इसे कुछ मिनट के लिए तो कुछ लंबे समय तक रोककर रखती हैं। जितना लंबे समय तक आप यूरीन को रोककर रखेंगी, आपका ब्‍लैडर बैक्‍टीरियों को अधिक विकसित कर कई प्रकार की हेल्‍थ प्रॉब्‍लम्‍स का कारण बन सकता है। आइए जानें यूरीन रोकने से महिलाओं को क्‍या-क्‍या प्रॉब्‍लम्‍स का सामना करना पड़ सकता है।

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किडनी स्‍टोन

यूरीन को 1 से 2 घंटे रोकने के कारण महिलाओं में यूरीन संबंधी प्रॉब्‍लम्‍स आती है। जिसमें शुरूआत ब्लैडर में दर्द होता है। साथ ही 8 से 10 घंटे बैठ कर काम करने वाले महिलाओं को यूरीन की जरूरत ही तब महसूस होती हैं, जबकि वह कार्य करने की स्थिति बदलते हैं। जबकि इस दौरान किडनी से यूरिनरी ब्लैडर में यूरीन इकठ्ठा होता रहता है। हर 1 मिनट में 2 एमएल यूरीन ब्लैडर में पहुंचता है, जिसे प्रति 1 से 2 घंटे के बीच खाली कर देना चाहिए। ब्लैडर खाली करने में 3 से 4 मिनट की देरी में यूरीन दोबारा किडनी में वापस जाने लगता है, इस स्थिति के बार-बार होने से किडनी की शुरूआत हो जाती है। क्योंकि यूरीन में यूरिया और अमिनो एसिड जैसे टॉक्सिक तत्व होते हैं।

यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन

जब कभी भी आपको तेज यूरीन आए तो इसे रोके नहीं, बल्कि तुरंत जाएं नहीं तो आपको यूटीआई होने का खतरा बढ़ सकता है। जी हां यूरीन रोकने के कारण यह इंफेक्‍शन फैलता है। यूरिनरी ट्रैक्‍ट इंफेक्‍शन यानी यूरिन मार्ग में इंफेक्‍शन महिलाओं को होने वाली बीमारी है, इसे यूटीआई नाम से भी जाना जाता है। यूरिन मार्ग इंफेक्‍शन बैक्‍टीरिया से होने वाला इंफेक्‍शन है जिसमें यूरीन मार्ग का कोई भी भाग प्रभावित हो सकता है। हालांकि यूरीन में तरह-तरह के द्रव होते हैं किंतु इसमें बैक्‍टीरिया नहीं होते। यूटीआई से ग्रसित होने पर यूरीन में बैक्‍टीरिया भी मौजूद होते हैं। जब ब्‍लैडर या किडनी में बैक्‍ट‍ीरिया प्रवेश कर जाते हैं और बढ़ने लगते हैं तो यह स्थिति आती है।

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यूरीन में पीलापन की कमी

आपने नोटिस किया होगा जब आप बहुत ज्‍यादा देर तक यूरीन को रोकती हैं तो इसका कलर बदलने लगता है। हालांकि ऐसा होने के पीछे सबसे अधिक संभावना इंफेक्‍शन की होती है। इसलिए आपको बहुत ज्‍यादा देर तक यूरीन को रोकने से बचना चाहिए। इसके अलावा बीट, बेरीज, जामुन, शतवारी जैसे कुछ फूड्स के कारण भी यूरीन का कलर पर असर पड़ता है।

इन्टर्स्टिशल सिस्टाइटिस

इन्टर्स्टिशल सिस्टाइटिस एक दर्दनाक ब्‍लैडर सिंड्रोम है, जिसके कारण ब्‍लैडर में सूजन और दर्द हो सकता है। इन्टर्स्टिशल सिस्टाइटिस से ग्रस्‍त महिलाओं में अन्‍य महिलाओं की तुलना में यूरीन बार-बार लेकिन कम मात्रा में आता है। अभी तक इसके सही कारणों की जानकारी नहीं मिल पायी हैं लेकिन डॉक्‍टरों का मानना हैं कि यह बैक्‍टीरियल इंफेक्‍शन के कारण होता है। इन्टर्स्टिशल सिस्टाइटिस के आम लक्षणों में दर्द, बार-बार यूरीन महसूस होना और कुछ मामलों में ग्रस्‍त महिला 1 दिन में 60 बार तक यूरीन आता है। इस समस्‍या का कोई इलाज नहीं है, लेकिन लक्षणों को कम किया जा सकता है।

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ब्लैडर मसल्‍स कमजोर होना

यूरीन आने के बाद भी अगर आप 3 से 4 मिनट भी यूरीन रोकती हैं तो यूरीन के टॉक्सिक तत्व किडनी में वापस चले जाते हैं, जिसे रिटेंशन ऑफ यूरिन कहते हैं। इसके अलावा यूरीन बार-बार रोकने से ब्लैडर की मसल्‍स कमजोर हो जाती हैं और यह यूरीन करने की क्षमता भी कम हो जाती है।
इसलिए महिलाओं को यूरीन महसूस होने पर तुरंत जाना चाहिए।

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