World Heart Day: 35-44 की उम्र की महिलाओं में तेजी से बढ़ रहे हैं हार्ट डिजीज के मामले, रहें जागरूक

हर साल 29 सितम्‍बर को वर्ल्ड हार्ट डे मनाया जाता है। इसका उद्देश्‍य पूरे विश्व के लोगों में इस बीमारी के बारे में जागरूकता फैलाना है।

  • Pooja Sinha
  • Her Zindagi Editorial
  • Updated - 2018-10-01, 12:20 IST
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हार्ट डिजीज पूरे वर्ल्‍ड में एक गंभीर बीमारी के तौर पर सामने आ रही है। हर साल 29 सितम्‍बर को वर्ल्ड हार्ट डे मनाया जाता है। इसका उद्देश्‍य पूरे विश्व के लोगों में इस बीमारी के बारे में जागरूकता फैलाना है। क्‍योंकि वर्ल्‍ड में हार्ट डिजीज से होने वाली मृत्यु की दर सबसे अधिक है।

हार्ट डिजीज किसे हो जाए इस बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता। लेकिन ये जरूर पता चल सकता है कि किन लोगों में हार्ट अटैक की संभावना सबसे ज्यादा होती है। ज्यादातर लोगों को लगता है कि हार्ट अटैक सिर्फ पुरुषों को होता है महिलाओं को नहीं। लेकिन बदलती लाइफस्टाइल के चलते आज के समय में महिलाओं को भी हार्ट अटैक की समस्या हो रही है। हार्ट अटैक की समस्‍या हो ही नहीं रही बल्कि महिलाओं को इन दिनों हार्ट अटैक का गंभीर खतरा है। इसके कारणों में बहुत ज्‍यादा ट्रांस फैट, चीनी और नमक वाला खाना, फिजिकल एक्टिविटी का अभाव, बढ़ता स्‍ट्रेस, शराब और सिगरेट जैसे चीजें शामिल हैं।

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विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार हार्ट डिजीज महिलाओं में मृत्यु का तीसरा प्रमुख कारण है। हाल ही हुए एक सर्वे के अनुसार भारत में 5 में से 3 शहरी महिलाएं हार्ट की किसी न किसी प्रॉब्‍लम से परेशान हैं। 35-44 आयुवर्ग की महिलाओं में इसका खतरा तेजी से बढ़ रहा है। इन रोगों का खतरा घरेलू महिलाओं को भी उतना ही है, जितना कामकाजी महिलाओं को है। इन रोगों के खतरे में लो एचडीएल और हाई बीएमआई दो ऐसे बेहद आम कारण है, जो महिलाओं में हार्ट डिजीज का खतरा 35 साल की छोटी उम्र में भी बढ़ा देते हैं।

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20 की उम्र से ही कराएं टेस्‍ट

20 की उम्र में कोलेस्ट्रॉल स्क्रीनिंग, ब्लड प्रेशर, ब्लड शुगर टेस्ट और डायबिटीज स्क्रीनिंग टेस्ट करा लें ताकि रोग का पता प्रारंभिक अवस्था में ही चल जाए। एक बार यह टेस्ट कराने के बाद डॉक्टरी सलाह से रेगुलर चेकअप कराती रहें।

30 की उम्र में लें हेल्‍दी डाइट

आजकल महिलाएं कामकाजी हो गई हैं। 8-10 घंटे कम्प्यूटर के सामने बैठकर काम करना, एक्सरसाइज न करना, नींद की कमी, जंक फूड लेना हार्ट डिजीज की आशंका को दोगुना कर देते हैं। इसलिए बैलेंस और पौष्टिक भोजन करें। साथ ही आपको कैलोरी इनटेक फिजिकल एक्टिविटी और मेटाबॉलिज्म के अनुसार ही लेनी चाहिए।

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40 में हो जाएं सतर्क

घर-परिवार की जिम्मेदारियों व ऑफिस के स्‍ट्रेस के कारण महिलाओं में मेंटल स्‍ट्रेस का लेवल बढ़ा है। इससे उनमें प्री-मैच्योर मेनोपॉज होने लगा है जिससे एस्ट्रोजन हार्मोन का लेवल कम हो जाता है। एस्ट्रोजन महिलाओं में हार्ट अटैक के लिए एक सुरक्षा कवच का काम करता है। इसलिए जिम्मेदारियों और ऑफिस के काम के बीच खुद के लिए भी थोड़ा समय जरूर निकालें।

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50 में करें एक्‍सरसाइज

इस उम्र तक आते-आते अधिकतर महिलाएं मेनोपॉज के लेवल तक पहुंच जाती हैं। मेनोपॉज के बाद महिलाओं के हार्ट के आसपास फैट का जमाव अधिक हो जाता है जो हार्ट डिजीज के लिए एक बड़ा खतरा है। उम्र बढऩे के साथ ही हाई ब्‍लडप्रेशर, डायबिटीज और ब्‍लड में कोलेस्ट्रॉल के हाई लेवल जैसी समस्याओं की आशंका भी बढ़ती है। मेनोपॉज के बाद अधिकतर महिलाओं का वजन भी बढ़ता है इसलिए योग और एक्‍सरसाइज से मोटापा कम करें। जी हां 50 वर्ष की उम्र के बाद अपनी डाइट को कंट्रोल में रखना चाहिए। उन्हें चाहिए कि वे फिजिकली एक्टिवट रहें और रेगुलर अपना चेकअप कराएं।

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क्‍या कहते हैं एक्‍सपर्ट

डॉक्‍टर के के अग्रवाल एक भारतीय चिकित्सक और हृदय रोग विशेषज्ञ हैं जो भारत के हार्ट केयर फाउंडेशन के अध्यक्ष और गैर सरकारी संगठन के तत्काल पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष भारतीय चिकित्सा संघ हैं। इस बारे में डॉक्‍टर के.के. अग्रवाल ने बताया, "पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में हार्ट डिजीज की मौजूदगी ही इसके पता चलने को और मुश्किल कर देती है। क्‍योंकि महिलाओं में यह रोग पुरुषों के मुकाबले 10 साल देर से आता है और इसमें खतरा ज्यादा होता है। महिलाओं में हार्ट डिजीज के दौरान आमतौर पर होने वाला आम सीने का दर्द भी बहुत कम होता है और ट्रेडमिल टेस्ट में भी हाई लेवल का पॉजिटिव रेट गलत हो सकता है। महिलाओं के लक्षण भी पुरुषों के मुकाबले अलग होते हैं।"

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डॉक्‍टर अग्रवाल ने कहा कि महिलाओं में अक्सर शुरुआत में हार्ट अटैक पड़ने जैसे स्पष्ट संकेत मिलने के बजाए सीने का दर्द होता है। बहुत सारे मामलों में महिलाओं को पड़ने वाला हार्ट अटैक भी नजरअंदाज हो जाता है।

हार्ट डिजीज का पुरुषों से ज्यादा महिलाओं को खतरा होता है। जी हां पुरुषों की तुलना में महिलाएं हार्ट डिजीज का ज्‍यादा शिकार होते है। घर व ऑफिस के बीच तालमेल बिठाने में पनपा स्‍ट्रेस इसका प्रमुख कारण है। लेकिन जीवनशैली में सुधार से इस रोग के खतरे को कम किया जा सकता है।

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