जब महिलाएं टीबी नाम की बीमारी से ग्रस्त होती हैं तो उनमें से 30 प्रतिशत महिलाओं को जेनिटल टीबी हो सकता है और जेनिटल टीबी महिलाओं में इन्फर्टिलिटी की समस्या को जन्म देता है। ऐसा हाल ही में आई रिसर्च का कहना है।
दरअसल टीबी संक्रमण अक्सर गंभीर होता है और फेलोपियन ट्यूब को नुकसान पहुंचा सकता है। शुरुआत में ट्यूब की सतह पर ट्यूबर्यूलर जमा हो जाता है और बाद में ट्यूब को धीरे-धीरे नुकसान पहुंचाना शुरू कर देता है जिसके बाद ट्यूब की आंतरिक सतह प्रभावित होती है। इसके बाद पस ट्यूब में इक्ट्ठा हो जाता है जिसकी वजह से ट्यूब को पूरी तरह से नुकसान पहुंचता है। इस अवस्था को हाइड्रो सल्क्साइटीस कहा जाता है।
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गर्भाशय ट्यूबरकुलोसिस क्या है?
गर्भाशय टीबी एक ऐसा रोग है जो मुख्य रूप से महिलाओं के जननांग अंग जैसे अंडाशय, फैलोपियन ट्यूब, गर्भाशय, गर्भाशय ग्रीवा और योनि या श्रोणि में आसपास के लिम्फ नोड्स को प्रभावित करता है। पुरुषों में यह प्रोस्टेट ग्रंथि और टेस्टेस को प्रभावित कर सकता है।
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जेनिटल टीबी के शुरुआतीलक्षण क्या हैं?
जेनिटल टीबी की प्रारंभिक अवस्थाओं का पता लगाना काफी मुश्किल हो सकता है। इस रोग का संदेह होने पर, जांच कराने के लिए अच्छी सलाह की आवश्यकता होती है। जेनिटल टीबी इन्फर्टिलिटी का कारण बन सकता है। अगर किसी महिला को मां बनने में समस्या पैदा होती हैं तो उसे इस रोग की जांच जरूर करानी चाहिए। कई महीनों या वर्षों से सभी सामान्य स्थितियों में निर्बलता, थकावट, लो ग्रेड फीवर, पेट-संबंधी परेशानी या दर्द, योनि स्राव और मासिक धर्म अनियमितताओं की अच्छी तरह से जाँच करानी चाहिए।
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जब इस बारे में डॉ. ऋषिकेश डी पाई जो दिल्ली और गुड़गाव IVF & Infertility at Fortis Bloom IVF Center के डायरेक्टर हैं उनसे बात की गईं तो उन्होंने बताया कि टीबी फेफड़ों को मुख्य रूप से प्रभावित करता है और साथ ही ये जीवाणु जो जननांगों पर सीधे हमला करते हैं इनका निदान कर पाना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में महिला को गर्भधारण करने में समस्या होने लगती है। इसके लिए जरूरी है कि महिलाएं अपनी हेल्थ जांच टाइम पर कराती रहें। जेनिटल टीबी होने से योनि स्राव, निचले पेट में गंभीर दर्द, माहवारी अनियमितता, अमेनेरिया, भारी रक्तस्राव और इन्फर्टिलिटी जैसे लक्षण हो सकते हैं।
डॉ. नंदिता पालशेकर IVF & Infertility at Fortis Bloom IVF Center की डायरेक्टर का कहना है, “जैसे-जैसे जेनिटल टीबी की समस्या बढ़ने लगे, उसके ज्यादा बढ़ने से पहले ही इसका उपचार शुरू कर देना चाहिए। हालांकि टीबी से जुड़ी लोगों में कम जागरूकता और सोसायटी में मां ना बन पाने की छोटी सोच के कारण जेनिटल टीबी से लड़ना मुश्किल हो जाता है। इसके बावजूद बहुत जरूरी है कि महिलाएं जेनिटल टीबी का इलाज सही टाइम पर कराएं।
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