कोलोरेक्टल कैंसर भारत में सबसे ज्यादा होने वाले 10 प्रकार के कैंसर में शामिल है। मोटापा और डाइट में फाइबर की कमी इस कैंसर का मुख्य कारण माना जाता है। कुछ मामलों में यह आनुवंशिक भी होता है। लेकिन परेशान होने की जरूरत नहीं क्योंकि लहसुन, प्याज और प्याज की प्रजाति की सब्जियां खाने से बड़ी आंत और गुदा के कैंसर का खतरा कम होता है। यह हालिया एक शोध के नतीजों में कही गई है।
महिलाओं में यह तीसरा सबसे आम कैंसर है। यह बड़ी आंत को प्रभावित करता है। अधिकतर मामलों में इसकी शुरुआत सेल्स के नॉन कैंसरस ट्यूमर के रूप में होती है जिसे नजरअंदाज किया जाए तो यह कैंसर बन सकता है। इसके लक्षणों में डायरिया या कब्ज समेत पेट की परेशानी, मल में बदलाव, मलद्वार से ब्लड आना, पेट में दर्द रहना, वजन कम होना और कमजोरी या थकान। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO)का कहना है, कोलोरेक्टल कैंसर पूरी दुनिया में आम है और 2018 में इसके 18 लाख मामले पाए गए जिनमें 8,62,000 की मौत हो गई।
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आहार नाल के निचले छोर पर स्थित बड़ी आंत और गुदा के कैंसर को कोलोरेक्टल कैंसर कहा जाता है। एशिया पैसिफिक जर्नल ऑफ क्लिनिकल ऑनकोलोजी में प्रकाशित इस शोध के नतीजों में बताया गया है कि प्याज की प्रजाति की सब्जियों का ज्यादा सेवन करने वाले वयस्कों में कोलोरेक्टल कैंसर का खतरा उन लोगों से 79 फीसदी कम होता है जो इस तरह की सब्जियां कम खाते हैं।
चाइना मेडिकल यूनिवर्सिटी के फर्स्ट हॉस्पिटल के शोधकर्ता झी ली ने कहा, “ऐसा देखा जाता है कि प्याज प्रजाति की सब्जियां ज्यादा खाने से ज्यादा सुरक्षा होती है। उन्होंने कहा, “मौजूदा शोध का सार यह है कि लाइफस्टाइल बदलने से कोलोरेक्टल कैंसर से शुरुआती तौर पर रोकथाम हो सकती है।”
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प्याज और लहसुन दोनों ही सब्जियां एक ही परिवार यानी 'एलियम्स'' से हैं। इन दोनों ही सब्जियों में एक जैसे गुण होते है। जी हां प्याज और लहसुन खाने का स्वाद बढ़ाने के साथ-साथ औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं। इन दोनों सब्जियों की सबसे खास बात यह है कि इनमें एंटी-कैंसरस गुण भी पाए जाते हैं, जो कैंसर की बीमारी को होने से रोकते हैं। इस तरह ये दोनों सब्जियां हेल्थ के लिए किसी वरदान से कम नहीं होती हैं। लहसुन और प्याज में ऐसे तत्व और केमिकल मौजूद होते हैं जो बॉडी को कैंसर के कुछ प्रकार से बचाने में मदद करते हैं। वैसे भी इलाज से रोकथाम बेहतर होती है।
प्याज और लहसुन दोनों में ही ऐसे एंटी-ऑक्सीडेंट्स होते हैं जो फ्री रेडिकल्स को डीएनए सेल्स को नुकसान पहुंचाने से रोकते हैं। इस तरह कैंसर से बचने के लिए प्याज और लहसुन कारगर उपाय साबित हो सकते हैं। प्याज और लहसुन दोनों में ही ऐसे तत्व मौजूद होते हैं, उन एंजाइम्स को बढ़ावा देते हैं जो कार्सिजेनिक तत्वों को बढ़ने से रोकते हैं या उन्हें खत्म करते हैं। आपको बता दें कि कार्सिजेनिक बॉडी में कैंसर पैदा करने वाले तत्व होते हैं। कैंसर पैदा करने वाले तत्वों को भी ये एंजाइम्स बढ़ने नहीं देते या उनके बढ़ने की रफ्तार को धीमा कर देते हैं।
प्याज का अधिक से अधिक फायदे पाने के लिए आपको कच्ची प्याज ही खानी चाहिए। प्याज को काटकर खाना सबसे बढिया रहता है। प्याज को काटने के 15 मिनट बाद उसे हवा के संपर्क में रख दें। ऐसा करने से उसके एंटी-कैंसर गुण बढ़ जाते हैं, इसलिए इसे काटने के 15 मिनट के बाद ही खाएं। रोजाना सुबह लहसुन की एक कली खाने से कैंसर का खतरा कम होता है। जी हां आपको बॉडी को सुरक्षित रखने के लिए कम से कम आधी कटी हुई प्याज जरूर खानी चाहिए। वहीं हफ्ते में लहसुन की 5 कलियों जरूर खानी चाहिए।
Source: IANS
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