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महिलाओं के लिए खुशखबरी: टागेर्टेड रेडिएशन थेरेपी से होगा ब्रेस्‍ट कैंसर का बेहतर इलाज

डॉक्‍टर का कहना हैं कि ब्रेस्‍ट कैंसर के इलाज के लिए टागेर्टेड रेडिएशन थेरेपी को एक बेहतर विकल्प के रूप में देखा जा सकता है, आइए जानें कैसे। 
IANS
Updated:- 2018-12-12, 18:41 IST

दुनियाभर में ब्रेस्‍ट कैंसर तेजी से पैर पसार रहा है। इस गंभीर रोग के कारण हर साल कई महिलाएं अपनी जान गंवाती हैं। लेकिन महिलाओं को परेशान होने की जरूरत नहीं है क्‍योंकि सही समय पर जांच और पर्याप्त इलाज ही इसका निदान है। विशेषज्ञों का कहना हैं कि इस कैंसर के इलाज की दिशा में टागेर्टेड रेडिएशन थेरेपी को एक बेहतर विकल्प के रूप में देखा जा सकता है। यह बात राजीव गांधी कैंसर इंस्टीट्यूट एंड रिसर्च सेंटर (आरजीसीआईआरसी) की सीनियर कंसल्टेंट और गायनाक्लॉजी रेडिऐशन विभाग की प्रमुख डॉक्‍टर स्वरूपा मित्रा ने कहीं।

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कैंसर कl इलाज 3 तरह से होता है

डॉक्‍टर स्वरूपा मित्रा ने बताया कि "कैंसर का इलाज 3 तरह से होता है-सर्जरी, रेडिएशन और कीमोथेरेपी। रेडिएशन थेरेपी का इस्तेमाल सर्जरी के बाद होता है, ताकि दोबारा कैंसर से बचाव हो सके। रेडिएशन से कैंसर सेल्‍स  तो मर जाती हैं, लेकिन इससे हेल्‍दी सेल्‍स को भी नुकसान पहुंचता है। अब 3डीसीआरटी और आईएमआरटी जैसी टागेर्टेड रेडिएशन थेरेपी से इस परेशानी को काफी हद तक दूर किया जा सकता है। इसमें हेल्‍दी सेल्‍स को बचाते हुए सीधे प्रभावित हिस्‍से पर रेडिएशन देना संभव होता है। डॉक्‍टर मित्रा ने ब्रेथ कंट्रोल्ड रेडियो थेरेपी की चर्चा करते हुए कहा कि यह ब्रेस्‍ट कैंसर के मरीजों को बेहतर जिंदगी जीने में मददगार है।"

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कीमोथेरेपी/ टारगेटेड थेरेपी

कीमोथेरेपी में मरीज की बॉडी में मौजूद हेल्‍दी और अनहेल्‍दी दोनों सेल्‍स को नष्ट किया जाता है जबकि टागरेटेड थैरेपी में कैंसर सेल्स को ब्लॉक करके केवल उसे नष्ट किया जाता है इसलिए मरीज की हेल्‍दी सेल्‍स इस थेरेपी में बच जाती हैं। कैंसर सेल्स हेल्‍दी सेल्‍स से अलग होते हैं।

 

20-30 साल की युवतियां भी होती है ब्रेस्‍ट कैंसर की शिकार 

बैठक के दौरान आरजीसीआई के ओंकोलॉजी विभाग के कंसल्टेंट डॉक्‍टर कुमारदीप दत्ता चौधरी ने ब्रेस्‍ट कैंसर की वर्तमान परिस्थिति पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि भारत के शहरी इलाकों में महिलाओं में होने वाले कैंसर में सबसे बड़ा हिस्सा ब्रेस्‍ट कैंसर का है। यहां तक कि 20-30 साल की युवतियां भी इसका शिकार हो रही हैं।

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गलत लाइफस्‍टाइल है जिम्‍मेदार

डॉक्‍टर दत्ता ने कहा, "बिना मेहनत वाली लाइफस्टाइल, प्रोसेस्ड और जंक फूड खाने की आदत तथा खेतों में इस्तेमाल होने वाले पेस्टिसाइड्स की वजह से देश में कैंसर के मामले बढ़ रहे हैं। इससे बचने के लिए सभी को फिजिकल एक्टिविटी करने, घर का बना हेल्‍दी खाना खाने और खाने से पहले फलों और सब्जियों को अच्छी तरह से गर्म पानी से धोकर खाने की जरूरत है।"

 

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